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पढ़ाई के साथ कमाई से स्वावलंबन की सीख

08:42 AM Apr 18, 2024 IST
पढ़ाई के साथ कमाई से स्वावलंबन की सीख
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राजेंद्र कुमार शर्मा
उच्च शिक्षा के लिए विदेशों को पलायन करने वाले भारतीय विद्यार्थियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अभिभावक जैसे-तैसे पैसों का प्रबंध करके अपने बच्चे को उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजना चाहते हैं। इसके पीछे मंशा यह रहती है कि विदेशों में विद्यार्थियों को पढ़ने के साथ-साथ सप्ताह में कुछ घंटे काम करके कमाने का विकल्प खुला रहता है। जिससे बच्चा अपने खर्च के कुछ हिस्से का स्वयं प्रबंध कर पाता है। इसके विपरीत, हमारे देश में यह सुविधा औपचारिक रूप से तो उपलब्ध नहीं है लेकिन अनौपचारिक तौर पर जरूरतमंद विद्यार्थी पढ़ने के साथ-साथ काम भी करते हैं या फिर अपने पुश्तैनी काम में अपने बड़ों का हाथ बंटाते हैं। एक प्रकार से वे परिवार को आमदनी बढ़ाने में मदद  करते हैं।

कुछ नया व उपयोगी सीखने का अवसर

पार्ट टाइम जॉब या पढ़ाई के साथ कमाई युवाओं और किशोरों को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पढ़ाई से छुट्टी मिलने पर किशोर और युवा इनका सदुपयोग कर सकते हैं। पॉकेट मनी के साथ-साथ काम भी सीख सकते हैं। क्षेत्र चाहे कोई भी हो, काम सीख लेना ही वह जज्बा है, जो व्यक्ति को हर जगह सफलता दिलवाता है। अगर आपमें काम के प्रति अटूट लगन व श्रद्धा पैदा होगी, तो वह हर मुश्किल काम को आसान करने में आपकी सहायता करेगी।

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स्वावलंबी बनने की राह

पढ़ाई के दौरान छुट्टियां मिलती हैं तो कुछ दिन वैसे ही बीत जाते हैं। ऐसे में बड़े बच्चों के लिए जरूरी है कि कोई समर जॉब जैसी राह ढूंढ़ें। इससे वे कम उम्र में ही स्वावलंबी बनते हैं। इसके लिए समाचार पत्र देखते रहें। कहीं पार्ट टाइम जॉब की जगह निकलती है तो कहीं ट्रेनिंग का काम भी मिल सकता है। आजकल के किशोरों और युवाओं के पास कंप्यूटर और मोबाइल जैसे गैजेट्स की अच्छी जानकारी उपलब्ध है। वे संस्थानों से काम लेकर, घर से भी अपने कंप्यूटर से जॉब वर्क कर सकते है और अपने लिए सीखने के साथ आमदनी भी कर  सकते हैं।

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पैसों की अहमियत का ज्ञान

जब अभिभावक पैसों की अहमियत के बारे में बच्चों को कोई सीख देते हैं तो शायद बच्चों को समझ में न आए, पर वे जब स्वयं कुछ पैसा कमाने लगते हैं, तब पैसों की अहमियत समझने लगते हैं। कहां खर्च जरूरी है, कहां बचाना है, इस बात का पता छोटी उम्र में समझना आज की अहम जरूरत है। अपनी बचाई कमाई, आप भविष्य में अपनी ही पढ़ाई पर खर्च कर सकते हैं। किताबें , नोट्स आदि खरीद सकते हैं तथा माता पिता का आर्थिक बोझ भी कम कर सकते हैं।

पार्ट टाइम जॉब समय की मांग

यूं तो कमाने की एक उम्र होती है, पर अब जमाना बदल गया है। इस नए दौर में कमोबेश सारी परंपराओं की परिभाषाएं बदलती जा रही हैं। इसीलिए सवाल उठने लगा है कि कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चे पार्टटाइम जॉब या पढ़ाई करते हुए, क्यों न कुछ साइड जॉब करके, कुछ आय अर्जित करें। जो उनकी पॉकेट मनी की जरूरत को पूरा कर सके और साथ ही पढ़ाई का खर्च भी उठा सके। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों में जहां एक से अधिक बड़े बच्चे कॉलेज की पढ़ाई कर रहे हों, वहां इस तरह की आर्थिक मदद ज्यादा मायने
रखती है।

काम के प्रति सम्मान की भावना

कॉलेज में पढ़ने वाले किशोरों या युवाओं को पार्ट टाइम जॉब के तौर पर जरूरी नहीं है कि किसी बड़ी कंपनी या बड़े पद पर कार्य करने का अवसर मिले। दरअसल, पार्ट टाइम काम छोटे-मोटे, लघु अवधि के लिए होते हैं। अतः ज़रूरी हो जाता है कि युवा ऐसे काम के प्रति सम्मानजनक नजरिया अपनाए क्योंकि कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता। पार्ट टाइम जॉब या कार्य में काम के इच्छुक और काम करवाने वाले दोनों की जरूरत पूरी होती है, पर सीखने का भरपूर अवसर मिलता है, जो जीवन में उपयोगी होने के साथ-साथ हमेशा के लिए अतिरिक्त आय का साधन बन सकता है।

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