‘विलक्षण कलम साधक चंद्र त्रिखा’ पुस्तक का लोकार्पण
विनोद जिन्दल/हप्र
कुरुक्षेत्र, 3 अक्तूबर
मूर्धन्य साहित्यकार एवं पत्रकार डॉ. चंद्र त्रिखा के समग्र व्यक्तित्व पर केन्द्रित पुस्तक 'विलक्षण कलम-साधक चंद्र त्रिखा' के लोकार्पण एवं परिचर्चा-कार्यक्रम का आयोजन प्रेरणा वृद्धाश्रम कुरुक्षेत्र के सभागार में किया गया। पुस्तक का संपादन विख्यात समालोचक प्रोफेसर लालचंद गुप्त मंगल द्वारा किया गया है। अद्विक प्रकाशन से प्रकाशित इस पुस्तक पर आयोजित परिचर्चा-कार्यक्रम में सेवानिवृत्त आईएएस डॉक्टर सुमेधा कटारिया मुख्य अतिथि रहीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अधिष्ठाता प्रोफेसर लालचंद गुप्त मंगल ने की। हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के संस्कृत प्रकोष्ठ के निदेशक डॉ. चितरंजन दयाल सिंह कौशल, गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग में उप सम्पादक और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. धनेश द्विवेदी तथा वरिष्ठ साहित्यकार एवं समाजसेवी जयभगवान सिंगला विशिष्ट अतिथि रहे।
डॉक्टर चंद्र त्रिखा की गरिमामयी उपस्थिति में मंच पर उपस्थित अतिथियों द्वारा 'विलक्षण कलम-साधक चंद्र त्रिखा' का विमोचन किया गया। अद्विक पब्लिकेशन की उपसंपादक डॉ. स्वाति चैधरी द्वारा सभी आमंत्रित अतिथियों शाब्दिक स्वागत के बाद परिचर्चा-कार्यक्रम की शुरुआत हुई। राष्ट्रीय स्तर पर पहचान रखने वाले हास्य कवि विनीत पांडेय ने डॉक्टर त्रिखा के संबंध में पुस्तक में संकलित प्रतिष्ठित साहित्यकारों द्वारा लिखे गए आलेखों पर परिचयात्मक रूप में बात रखी। हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी में समन्वय डॉ. विजेंद्र ने इस अवसर पर डॉ. त्रिखा के अकादमी के निदेशक के रूप में विभिन्न कार्यकाल में साहित्य संवर्धन के लिए किए गए कार्यों पर प्रकाश डाला। उनके बाद अंतरराष्ट्रीय गीतकार गजलकार चरणजीत चरण ने गजल के क्षेत्र में डॉ. त्रिखा के योगदान पर प्रकाश डालते हुए उनकी गजलों के संदर्भ के माध्यम से उन्हें कबीर के करीब बताया।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. कुमार विनोद ने डॉक्टर चंद्र त्रिखा को लेकर के अपने संस्मरण साझा किए। इतिहास संकलन समिति के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं वरिष्ठ साहित्यकार कमलेश शर्मा ने डॉक्टर त्रिखा के नेतृत्व में निकाली गई पांच साहित्य चेतना यात्राओं के अनुभव और और साहित्य जगत पर उनके प्रभावों के बारे में अपना वक्तव्य दिया। केंद्रीय साहित्य अकादमी के सदस्य सुविख्यात साहित्यकार डॉ. दिनेश दधीचि ने डॉ. त्रिखा की साहित्यक यात्रा को अद्वितीय और प्रेरक बताया। कैथल साहित्य सभा के प्रधान सुप्रसिद्ध नाटककार प्रोफेसर अमृतलाल मदान ने डॉ. त्रिखा द्वारा भारत पाकिस्तान विभाजन पर लिखे उनके साहित्य पर अपना व्याख्यान देते हुए उन्हें सकारात्मकता और संवेदना का संदेश वाहक बता उत्कृष्ट साहित्य और पत्रकारिता के लिए श्रेष्ठ उदाहरण बताते हुए अपना संबोधन दिया।
विशिष्ट अतिथि हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के संस्कृत प्रकोष्ठ के निदेशक डॉ. चितरंजन दयाल सिंह कौशल ने इस अवसर पर कहा कि डॉक्टर त्रिखा के सान्निध्य में कार्य करना उनके लिए उपलब्धि है, जिसे वह अविस्मरणीय मानते हैं। विशिष्ट अतिथि रहे गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग में उप सम्पादक और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. धनेश द्विवेदी ने डॉ. त्रिखा को सामाजिक जीवन को सही दिशा प्रदान करने के लिए साहित्य रचना करने वाला मार्गदर्शक साहित्यकार बताया।
वरिष्ठ साहित्यकार एवं समाजसेवी जयभगवान सिंगला कार्यक्रम में पधारे सभी अतिथियों का धन्यवाद करते हुए डॉक्टर चंद्र त्रिखा को साहित्य का सच्चा साधक और बेहतरीन व्यक्तित्व का धनी बता उन्हें इस अवसर पर शुभकामनाएं दीं। विशिष्ट अतिथियों के संबोधन के बाद डॉक्टर चंद्र त्रिखा ने इस अवसर पर अपना जीवन अनुभव साझा करते हुए कहा कि प्रदेश के साहित्यकारों एवं पत्रकारों द्वारा दिए गए प्यार एवं सम्मान के लिए दिल की गहराइयों से आभारी हूं। मैंने सदैव पूरे सामर्थ्य और सत्य-निष्ठा से साहित्य जगत की सेवा का प्रयास किया है। तदनंतर अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए प्रोफेसर मंगल ने डॉक्टर त्रिखा की रचनाशीलता के संदर्भ में कहा कि डॉक्टर त्रिखा की सृजनयात्रा के अनेक आयाम हैं। पत्रकार, कवि, जीवनीकार, इतिहासकार, विभाजन विभीषिका आख्यान, संस्कृति साधक आदि अनेक रूपों में वह हमारे समक्ष आते हैं। अंत में अद्विक प्रकाशन की ओर से अशोक गुप्ता ने आयोजन में शामिल होने के लिए डॉक्टर त्रिखा के साथ-साथ सभी अतिथियों का हृदय से आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पवन कुमार शर्मा और कवि दिनेश शर्मा दिनेश ने किया।