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केंद्र को आप कार्यालय के लिए जमीन आवंटित करने पर छह सप्ताह में फैसला लेने के निर्देश

05:43 PM Jun 05, 2024 IST
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नयी दिल्ली, पांच जून (भाषा)

Land issue for AAP office in Delhi: दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) को अन्य राजनीतिक दलों की तरह यहां पार्टी कार्यालय के लिए जगह लेने का अधिकार है। साथ ही हाई कोर्ट ने केंद्र से इस मुद्दे पर छह सप्ताह के भीतर फैसला लेने को कहा।

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न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि राष्ट्रीय दलों को दिल्ली में ‘जनरल पूल' (आवासीय आवंटन प्रणाली) से दिल्ली में लाइसेंस शुल्क के भुगतान पर कार्यालय के लिए एक आवासीय इकाई का अधिकार है और यह तब तक के लिए है जब तक उन्हें अपना दफ्तर बनाने के लिए ज़मीन नहीं मिल जाती।

न्यायाधीश ने कहा कि "दबाव" या ‘जनरल पूल' की अनुपलब्धता अनुरोध को अस्वीकार करने का कारण नहीं हो सकती है। अदालत ने अपने आदेश में कहा, “तथ्य यह है कि भारी दबाव है, यह प्रतिवादियों द्वारा याचिकाकर्ता (आप) को पार्टी कार्यालय स्थापित करने के लिए जीपीआरए (जनरल पूल आवास) से आवास आवंटित करने के अधिकार से इनकार करने का एकमात्र कारण नहीं हो सकता है।''

अदालत ने कहा, “प्रतिवादियों को निर्देश दिया जाता है कि वे आज से छह सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता के अनुरोध पर विचार करें और एक विस्तृत आदेश पारित करके निर्णय लें कि जीपीआरए से एक भी आवासीय इकाई याचिकाकर्ता को क्यों नहीं आवंटित की जा सकती है, जबकि अन्य सभी राजनीतिक दलों को जीपीआरए से समान आवास आवंटित किया गया है।”

आदेश में कहा गया है, “उन्हें याचिकाकर्ता के आग्रह पर फैसले वाला विस्तृत आदेश याची को उपलब्ध करने दें।” न्यायाधीश ने कहा कि अगर ‘आप' के आग्रह को केंद्र सरकार खारिज करती है तो पार्टी कानून के तहत उचित कदम उठा सकती है। ‘

आप' ने एक राष्ट्रीय दल के तौर पर मान्यता प्राप्त होने के आधार पर पार्टी कार्यालय के लिए जगह आवंटित करने का आग्रह किया है। पार्टी ने अपने दफ्तर के निर्माण के लिए राष्ट्रीय राजधानी में जमीन देने या कुछ समय के लिए लाइसेंस आधार पर एक आवास के आवंटन का अनुरोध करते हुए पिछले साल अदालत में दो अलग अलग याचिकाएं दाखिल की थीं।

जमीन के आवंटन का अनुरोध करने वाली ‘आप' की याचिका अभी उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। ‘आप' को 15 जून तक राउज एवेन्यू स्थित अपना वर्तमान कार्यालय खाली करना है, इसके मद्देनजर पार्टी के वकील ने दलील दी कि दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) मार्ग पर एक आवास जो वर्तमान में दिल्ली सरकार के एक मंत्री के पास है, उसे अस्थायी रूप से आवंटित किया जाए।

हालांकि न्यायमूर्ति प्रसाद ने कहा कि पक्षकार डीडीयू मार्ग की संपत्ति पर हक का दावा नहीं कर सकता, क्योंकि यह दिल्ली सरकार को दी गई थी, पक्षकार को नहीं और रिकॉर्ड के अनुसार, कब्जा एलएंडडीओ (भूमि एवं विकास कार्यालय) को सौंपा जाना है।

अदालत ने कहा कि भले ही वह ‘आप' को डीडीयू मार्ग स्थित परिसर में अपना कार्यालय स्थापित करने की अनुमति नहीं दे सकती है, लेकिन इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि यह एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल है।

अदालत ने यह भी कहा कि भले ही जमीन के आवंटन को लेकर पक्षों के बीच विवाद हो, लेकिन यह दल को "राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों को जनरल पूल से सरकारी आवास के आवंटन के लिए समेकित निर्देशों" के अनुसार, अस्थायी तौर पर कार्यालय के लिए एक आवासीय इकाई के आवंटन के आधिकार से वंचित किए जाने का कारण नहीं हो सकता है।

अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली पार्टी ने अदालत में कहा कि चूंकि प्राधिकारियों ने नयी दिल्ली में प्रमुख स्थानों पर सभी अन्य राष्ट्रीय दलों को कार्यालय परिसरों के निर्माण के लिए जमीन आवंटित की है इसलिए यह सुनिश्चित करना भी उनकी जिम्मेदारी है कि केंद्र की नीति के अनुसार उसे भी ऐसा ही आवंटन किया जाए।

हाई कोर्ट ने मार्च में ‘आप' को यहां राउज एवेन्यू स्थित उसके कार्यालयों को खाली करने के लिए 15 जून तक का समय दिया था। अदालत ने पाया कि इस भूमि को न्यायिक अवसंरचना के विस्तार के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय को आवंटित किया गया था।

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