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सीएम के आने से हाॅट सीट बनी  लाडवा, सभी की नजरें टिकीं

09:34 AM Sep 11, 2024 IST

विनोद जिन्दल/हप्र
कुरुक्षेत्र, 10 सितंबर
मुख्यमंत्री नायब सैनी के लाडवा सीट से उतरने से यह विधानसभा क्षेत्र हॉट सीट बन गई है। राजनीति में रूचि रखने वाले लोगों ने भी अभी से इस सीट पर अपनी नजरें लगा दी हैं। जीत-हार की अटकलों और बाजियों का दौर भी शुरू हो गया है। लोग आपस में शर्तें भी लगाने लगे हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में अभी तक मुख्य रूप से तीन उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं और तीनों ने ही अपना धुंआधार प्रचार शुरू कर दिया है। नायब सिंह सैनी ने अपने इस क्षेत्र में स्थित पैतृक गांव मंगोली जाटान में परिवार सहित जाकर दादा खेड़ा की पूजा अर्चना करके अपनी चुनावी प्रचार की शुरुआत करते हुए जहां लगभग 10 गांवों में जनसभाओं को संबोधित किया। वहीं उनकी पत्नी सुमन सैनी ने भी लगभग 10 गांवों में ही चुनाव प्रचार किया। दूसरी ओर कांग्रेस के उम्मीदवार विधायक मेवा सिंह ने भी रविवार से अपने चुनावी प्रचार को तेज कर दिया है। उन्होंने भी आज कई बड़े कार्यक्रमों में जाकर अपना प्रचार-प्रचार किया और अपने लिए वोट मांगे। तीसरे उम्मीदवार पूर्व विधायक इनेलो के शेर सिंह बडशामी भी यहां से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। वे पिछले कई दिनों से चुनावी प्रचार में जुटे हुए हैं। आज भी उन्होंने अपने चुनावी कार्यक्रम आयोजित किए।
अब इन तीनों नेताओं की चुनावी सभाओं को देखकर लोग जो आकलन कर रहे हैं कि इसकी सभा में कितने लोग जुट रहे हैं और किस जाति और क्षेत्र के हैं।
लाडवा विधानसभा क्षेत्र को सैनी बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है, लेकिन आम जनता के हाथों में जो पूरे क्षेत्र के जातीय समीकरण और जातीय मतदाताओं की संख्या के आंकडें हैं। उनके अनुसार लाडवा में लगभग 40 हजार सैनी मतदाता हैं तो जाट मतदाता भी इसके बराबर के हैं। इसके अलावा अन्य 36 बिरादरियों के मतदाता हैं।
वैसे लाडवा क्षेत्र जब से अस्तित्व में आया उसके बाद से लाडवा का यह चौथा विधानसभा का चुनाव है। इससे पहले लाडवा विधानसभा क्षेत्र थानेसर तथा रादौर क्षेत्र में संख्या के हिसाब से बंटा हुआ था। 2009 में लाडवा से शेरसिंह बडशामी ने इनेलो के उम्मीदवार के रूप में विजय प्राप्त की थी। उसके बाद 2014 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार डाॅ. पवन सैनी यहां से विजयी हुए थे, लेकिन 2019 में कांगेेस के उम्मीदवार मेवा सिंह ने डाॅ. पवन सैनी को हराकर विजय प्राप्त की थी। यदि जातीय मतदाताओं की संख्या को जीत-हार का आधार माना जाए तब भी तीन चुनाव में से दो पर यहां से जाट उम्मीदवार की विजय हुई है। अब यह तो समय ही बताएगा कि अबकी कौन विजयी होता है, लेकिन यह बात निश्चित है कि चुनाव होने तक लाडवा विधानसभा क्षेत्र पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय रहेगा और राजनीति में रूचि रखने वाले लागों की नजरों इस पर लगी रहेंगी। आए दिन लोग आकलन करते रहेंगे।

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