साइलेंट वोट के सहारे कंवर पाल गुर्जर, कांग्रेस व आप से मिल रही चुनौती
दिनेश भारद्वाज/ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
यमुनानगर, 1 अक्तूबर
यहां किसी भी सीट पर स्थिति स्पष्ट नहीं है। भाजपा और कांग्रेस चाहे कितने ही दावे करें, लेकिन ग्राउंड रियलटी यह है कि मतदाताओं की चुप्पी सभी के लिए खतरें की घंटी है। जी हां, हम बात कर रहे हैं यमुनानगर जिला के अंतर्गत आने वाली चार विधानसभा सीटों – यमुनानगर, जगाधरी, सढ़ौरा और रादौर की। चारों ही सीटें बुरी तरह से फंसी हुई हैं। कहीं आमने-सामने तो कहीं त्रिकोणीय मुकाबले हैं। अनुसूचित जाति से जुड़े मजबूत चेहरे इन सीटों पर समीकरण बिगाड़ रहे हैं।
भाजपा के हेवीवेट नेता और नायब सरकार में कृषि मंत्री कंवर पाल गुर्जर जगाधरी सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे हैं। लगातार दो बार यहां से चुनाव जीते गुर्जर अब जीत की हैट्रिक की जुगत में है। उन्हें साइलेंट वोट बैंक अपने पक्ष में जाने की उम्मीद है। गुर्जर का मुकाबला कांग्रेस के अकरम खान और आम आदमी पार्टी के आदर्श पाल सिंह से हो रहा है। यह सीट त्रिकोणीय मुकाबले में उलझी हुई है। अकरम खान विधानसभा के डिप्टी स्पीकर रह चुके हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री व सिरसा सांसद कुमारी सैलजा समर्थकों में उनकी गिनती होती है और सैलजा की सिफारिश पर ही उन्हें टिकट मिली है। कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने के बाद आदर्श पाल सिंह ने पार्टी छोड़ दी। वे फिर से आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए और आप ने उन्हें जगाधरी से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। बसपा-इनेलो गठबंधन की टिकट पर दर्शन लाल खेड़ा चुनाव लड़ रहे हैं। अगर खेड़ा अनुसूचित जाति वोट बैंक में सेंध लगाने में कामयाब रहते हैं तो इससे नतीजों पर काफी असर पड़ेगा।
यमुनानगर सीट पर भाजपा के मौजूदा विधायक घनश्याम दास अरोड़ा जीत की हैट्रिक लगाने के लिए मैदान में डटे हैं। 2014 और 2019 में लगातार दो बार विधायक बने चुके अरोड़ा के सामने कांग्रेस ने ब्राह्मण कार्ड खेला है। उनके मुकाबले रमन प्रकाश त्यागी को टिकट दिया है। वहीं इनेलो टिकट पर पूर्व विधायक और अभय सिंह चौटाला के समधि दिलबाग सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। शहर की सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बना हुआ है। इस सीट के चुनावी नतीजों को लेकर यहां के लोग भी दुविधा में दिख रहे हैं।
साढ़ौरा में बृजपाल छप्पर ने बिगाड़ा खेल बृजपाल छप्पर कांग्रेस टिकट के प्रबलतम दावेदारों में शामिल रहे। सिटिंग-गैटिंग फार्मूले के चलते मौजूदा विधायक रेणु बाला को ही कांग्रेस का टिकट मिला। रेणु बाला पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा की नजदीकी हैं। कांग्रेस से टिकट नहीं मिला तो बृजपाल छप्पर बसपा-इनेलो गठबंधन की टिकट पर चुनावी मैदान में आ डटे। वहीं भाजपा ने पूर्व विधायक बलवंत सिंह को लगातार तीसरी बार अपना उम्मीदवार बनाया है। बसपा के छप्पर सढ़ौरा में भाजपा व कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ रहे हैं। उन्होंने मुकाबले को त्रिकोणीय बनाया हुआ है। 2014 में उनकी पत्नी पिंकी छप्पर ने इनेलो टिकट पर चुनाव लड़ा था और उन्हें 49 हजार 626 वोट हासिल हुए थे। बृजपाल छप्पर की गिनती पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नजदीकियों में होती थी। लेकिन टिकट नहीं मिलने के बाद वे बागी हो गए।
रादौर में सैनी की राहें आसान नहीं
इस विधानसभा सीट पर कांग्रेस के मौजूदा विधायक बिशनलाल सैनी की राहें आसान नहीं लगती। बिशनलाल सैनी 2019 में भाजपा के कर्णदेव काम्बोज को चुनाव हराने में कामयाब रहे थे। इस बार भाजपा ने पूर्व विधायक श्याम सिंह राणा को टिकट दिया है। हालांकि टिकट कटने के बाद कर्णदेव काम्बोज भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आ चुके हैं और वे बिशनलाल सैनी के लिए प्रचार भी कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी की टिकट पर भीम सिंह राठी चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर इनेलो-बसपा गठबंधन के धर्मपाल सिंह तिगरा और जजपा-एएसपी गठबंधन के मनदीप सिंह खेल बिगाड़ते दिख रहे हैं। सामान्य वर्ग की सीट पर दोनों गठबंधनों ने एससी उम्मीदवारों पर दांव लगाया है। इस वजह से एससी वोट बैंक में सेंधमारी की आशंका बनी हुई है।