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जॉब्स के बाजार में कद्र स्किल सुधार से

06:37 AM Jun 27, 2024 IST
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नरेंद्र कुमार
भारत की कुल आबादी में लगभग 40 प्रतिशत युवा हैं। यह संसार के देशों में सबसे बड़ी युवा जनसंख्या है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन यानी आईएलओ का अनुमान है कि आगामी दशक के दौरान भारतीय श्रम बल सालाना 80 लाख से अधिक से वृद्धि करेगा। एक देश के रूप में हम इस युवा जनसंख्या का भरपूर फ़ायदा उठा सकते हैं। लेकिन यह तभी संभव है, जब हमारे युवा बदलते हालात व आधुनिक ज़रूरतों के अनुसार अपने कौशल को अपग्रेड करते रहें। आज संसार निरंतर विकास कर रहा है और डिजिटल भविष्य की ओर बढ़ रहा है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि संसार की बदलती ज़रूरतों के अनुसार युवा ख़ुद को अपस्किल व रि-स्किल करते रहें। इस दिशा में सरकार ने भी अनेक प्रभावी पहल की हैं ताकि पूरे देश में स्किल विकास को प्रोत्साहित किया जा सके। युवाओं को इनके जरिये जॉब्स पाने व तरक्की करने की उनकी संभावनाओं में इज़ाफ़ा हो सके।

निरंतर कौशल सुधार है जरूरी

कौशल में निरंतर सुधार के महत्व को दोहराने की आवश्यकता नहीं। फिर भी इस संदर्भ में एक मिसाल देना लाभकारी रहेगा। मानव इतिहास में सबसे बड़ी क्रांति पहिये के आविष्कार से आयी थी। एक गांव में एक परिवार बढईगीरी करता था। उसकी कई पुश्तें लकड़ी के पहिये बनाने में माहिर थीं, जो बुग्गी, बैलगाड़ी आदि में इस्तेमाल होते थे। फलस्वरूप यह परिवार धनी था। लेकिन समय के साथ नये-नये तरीके के पहिये बनने लगे। रबर टायर-ट्यूब चढ़े लोहे के पहिये इस्तेमाल होने लगे। उस परिवार ने अपना स्किल अपग्रेड नहीं किया, लकड़ी के पहिये ही बनाता रहा। उसके वंशजों की स्थिति यह है कि वे मज़दूरी करने के लिए मजबूर हैं।

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जॉब बाज़ार की मांगों के मुताबिक स्किल्ड हों युवा

सरकार ने 2015 में स्किल इंडिया मिशन लांच किया ताकि गतिशील जॉब बाज़ार की मांगों को पूरा करने के लिए युवाओं को अपस्किल व रि-स्किल किया जा सके। सरकारी डाटा के अनुसार 1.4 करोड़ युवाओं ने पीएमकेवीवाई के तहत अभी तक ट्रेनिंग हासिल की है। इनमें से 24 लाख ने सफलतापूर्वक प्लेसमेंट हासिल की है, जबकि 54 लाख ने अपस्किल व रि-स्किल कार्यक्रमों में भाग लिया है।

उद्योगों से तालमेल कर हो शिक्षण-प्रशिक्षण

इसके अतिरिक्त दावा यह भी है कि अटल इन्क्यूबेशन सेंटर्स (एआईसी) ने भी बेरोज़गारी कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। दरअसल, ज़रूरत इस बात की है कि राज्य अपने शिक्षा फ्रेमवर्क को नयी शिक्षा नीति के अनुरूप मज़बूती से करें ताकि कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में जो वर्तमान में शिक्षा प्रदान की जा रही है वह ऐसी हो जाये जिससे रोज़गार मिलने की संभावनाएं बढ़ जायें। अवसरों में वृद्धि करने के लिए राज्य सरकारों को चाहिए कि वह उद्योग लीडर्स जैसे इनफ़ोसिस, नासकॉम यानी नेशनल एसोसिएशन ऑफ़ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कम्पनीज आदि से स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप्स स्थापित करें ताकि छात्रों की पहुंच स्किल विकास पाठ्यक्रमों तक हो सके और यह सुनिश्चित हो जाये कि वह प्रोफेशनल संसार में जॉब पाने के योग्य हो गये हैं।

निजी कंपनियों के स्किल डेवेलपमेंट कोर्स

इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि कुछ राज्यों ने उद्योग लीडर्स से ऐसी स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप की हुई है, लेकिन इसका दायरा बढ़ाने की ज़रूरत है और ऐसा सभी राज्यों को करना चाहिए। गौरतलब है कि इनफ़ोसिस अपने स्प्रिंगबोर्ड पोर्टल के ज़रिये स्किल विकास पाठ्यक्रम व संसाधन ऑफर करती है और इनकी रेंज भी बहुत विस्तृत है। अन्य कंपनियां भी ऐसे ही पाठ्यक्रम ऑफर कर रही हैं जो तेज़ी से विकास कर रहे जॉब बाज़ार की मांगों को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किये गये हैं। अगर छात्र इन पाठ्यक्रमों को पूर्ण कर लेते हैं तो उन्हें अपने चुने हुए कैरियर में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक स्किल व योग्यता आ जाती है।

स्किल अपग्रेड का मूल्यांकन

छात्रों ने अपनी जॉब संभावना में वृद्धि करने के लिए अपना स्किल कितना अपग्रेड किया है, यह जानना भी ज़रूरी होता है। मसलन, बीई/बीटेक के छात्र व्हीबॉक्स नेशनल एम्प्लोयबिलिटी टेस्ट (डब्लूनेट) के अपने स्कोर से इसका अंदाज़ा लगा सकते हैं। -इ.रि.सें.

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