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जींद जिप चेयरपर्सन की बड़ी ‘अग्निपरीक्षा’ 22 को

08:26 AM Jan 20, 2025 IST
जींद जिप चेयरपर्सन की बड़ी ‘अग्निपरीक्षा’ 22 को
जींद में जिला परिषद चेयरपर्सन मनीषा रंधावा पति कुलदीप रंधावा के साथ। -हप्र
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जसमेर मलिक/हप्र
जींद, 19 जनवरी
जींद जिला परिषद चेयरपर्सन मनीषा रंधावा के दो साल के कार्यकाल में पहली और बड़ी अग्निपरीक्षा 22 जनवरी को होगी। 22 की विशेष बैठक में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित होना काफी मुश्किल नजर आ रहा है। बैठक से चार दिन पहले तक जो हालात हैं, उनमें उनके विरोधी बैकफुट पर नजर आ रहे हैं।
रंधावा के खिलाफ विरोधी गुट ने पिछले साल 2 दिसंबर को डीसी को अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था। अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस पर डीसी ने पिछले साल 13 दिसंबर को जिला परिषद के विशेष बैठक बुलाई थी। 13 दिसंबर को डीसी के आकस्मिक अवकाश पर चले जाने के कारण बैठक स्थगित करनी पड़ी थी। तब भी जिला परिषद चेयरपर्सन मनीषा का विरोधी गुट अपने द्वारा चेयरपर्सन के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को पारित करवाने की स्थिति में नहीं था।
सूत्रों के अनुसार इस बैठक से पहले मनीषा रंधावा के पास जिला परिषद के 25 में से 12 पार्षदों का समर्थन है। उन्हें अपनी कुर्सी बचाने के लिए केवल 9 पार्षदों के समर्थन की जरूरत है और वह इससे ज्यादा पार्षदों को अपने साथ मजबूती से लामबंद कर चुकी हैं। विरोधियों को मनीषा को कुर्सी से हटाने के लिए 17 जिला पार्षदों का समर्थन चाहिए। बैठक में चेयरपर्सन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव गिर गया तो विरोधियों को दोबारा अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए एक साल तक इंतजार करना होगा। तब तक जिला परिषद चेयरपर्सन का कार्यकाल 3 साल से ज्यादा का हो जाएगा। चेयरपर्सन मनीषा रंधावा ने कहा कि उनका मकसद सरकार के सहयोग से जींद जिले का ग्रामीण विकास करना है। वह और उनके पति कुलदीप रंधावा दोनों भाजपा के सदस्य हैं।

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भाजपा में ही घमासान

चेयरपर्सन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव से भाजपा में ही घमासान मचा हुआ है। मनीषा रंधावा और उनके पति कुलदीप रंधावा शुरू में जजपा में थे। जजपा की मदद से मनीषा चेयरपर्सन बनी थी। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मनीषा रंधावा उनके पति कुलदीप रंधावा ने कांग्रेस का साथ दिया था। बाद में मनीषा और उनके पति कुलदीप रंधावा ने कांग्रेस छोड़ भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। यानी अब चेयरपर्सन भाजपाई हैं। उन्हें पद से हटाने में लगे पार्षदों में भी ज्यादातर भाजपा समर्थक हैं। यही कारण है कि भाजपा में ही इस मसले पर घमासान हो रहा है। मनीषा अविश्वास प्रस्ताव को नाकाम करने के प्रति आश्वस्त हैं। उन्होंने ही विशेष बैठक बुलाने के लिए कानून का सहारा लिया है। उसके बाद ही 22 जनवरी को विशेष बैठक बुलाई गई है।

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