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दूसरों को सीएम बनाने वाला जींद कभी नहीं बन पाया सीएम सिटी

07:54 AM Sep 06, 2024 IST

जसमेर मलिक/हप्र
जींद, 5 सितंबर
दूसरों को सीएम की कुर्सी तक पहुंचाने वाला जींद जिला आज तक अपना सीएम नहीं बन पाया है। जींद का सीएम सिटी बनने का सपना अभी तक अधूरा है।
हरियाणा के मध्य में स्थित जींद जिला प्रदेश की राजनीतिक राजधानी तो 1986 से बना हुआ है, लेकिन आज तक जींद को सीएम सिटी बनने का सौभाग्य हासिल नहीं हो पाया है।
जींद की धरती से राजनीतिक ताकत हासिल कर कई नेता प्रदेश के सीएम की कुर्सी तक पहुंचे। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल, पूर्व सीएम चौधरी बंसीलाल, पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा, पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के नाम प्रमुख हैं।
1982 में लोकदल और भाजपा का बहुमत होने के बावजूद सत्ता से वंचित कर दिए गए चौधरी देवीलाल ने 23 मार्च 1986 को जींद में समस्त हरियाणा सम्मेलन का आयोजन किया था। उन्हें जींद से इतनी बड़ी राजनीतिक ताकत मिली कि वह 1987 में प्रदेश के सीएम और 1989 में देश के उप प्रधानमंत्री बने। पूर्व सीएम चौधरी बंसीलाल ने भी कांग्रेस से अलग होकर हरियाणा विकास पार्टी बनाने के बाद जींद की धरती का सहारा सीएम बनने के लिए लिया था।
उनकी जींद में हुई सफल रैली उनके सीएम बनने की नींव रख गई थी। 1996 में वह प्रदेश के सीएम बने थे। पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने भी महम उपचुनाव में हुई हिंसा के दाग धोने के लिए जींद की धरती का सहारा लिया था।
महम उप-चुनाव की हिंसा के दाग जींद की धरती पर धोने के बाद वह 1999 में प्रदेश के सीएम बने थे। ओमप्रकाश चौटाला भले ही फरवरी 2000 में नरवाना से विधायक और प्रदेश के सीएम बने, लेकिन वह जींद जिले के नहीं होकर, सिरसा जिले के थे। पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ने भी इनेलो शासन में जींद के कंडेला में हुए किसान आंदोलन में किसानों की मदद कर जींद से दिल्ली होते हुए हरियाणा के सीएम की कुर्सी हासिल की थी।

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दावेदार पद तक नहीं पहुंच पाए

ऐसा नहीं है कि जींद जिले से सीएम पद के दावेदार राजनीति में आगे निकल कर नहीं आए हों। एक दौर में चौधरी दलसिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री की दौड़ में बहुत मजबूत थे, लेकिन वह प्रदेश के सीएम बनते -बनते रह गए थे। 1991 में जब कांग्रेस पार्टी ने चौधरी बीरेंद्र सिंह के नेतृत्व में प्रदेश में पहली बार स्पष्ट बहुमत से सरकार बनाई थी, तब चौधरी बीरेंद्र सिंह सीएम पद के सबसे मजबूत दावेदार थे। तमिलनाडु में आतंकी हमले में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के साथ ही चौधरी बीरेंद्र सिंह का प्रदेश का सीएम बनाने के सपने को ग्रहण लग गया था। राजीव गांधी ने 1991 के विधानसभा चुनाव में जींद के अर्जुन स्टेडियम में आयोजित रैली में पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल से कहीं ज्यादा महत्व जींद जिले के चौधरी बीरेंद्र सिंह को देखकर साफ किया था कि कांग्रेस के सत्ता में आने पर सीएम बीरेंद्र सिंह होंगे, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। राजीव गांधी की हत्या के बाद राजनीतिक हालात बदले और जींद के बीरेंद्र सिंह की जगह हिसार के भजनलाल सीएम बने। चौधरी बीरेंद्र सिंह के अलावा पूर्व मंत्री शमशेर सिंह सुरजेवाला और उनके बेटे वर्तमान में राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला भी सीएम पद के दावेदार रहे, लेकिन सीएम नहीं बन पाए। रणदीप सुरजेवाला तो अब भी खुद को और उनके समर्थक रणदीप सुरजेवाला को भावी सीएम के रूप में प्रोजेक्ट कर रहे हैं। कई कई मौकों पर रणदीप सुरजेवाला ने सार्वजनिक सभाओं में यह कहा है कि जींद के लोगों ने उनके साथ दिया, तो वह प्रदेश की सत्ता को जींद की चौखट पर लाकर रख देंगे। इससे रणदीप सुरजेवाला का आश्य मुख्यमंत्री का पद जींद जिले में लाने का है।

सीएम सिटी नहीं रहा जींद : चौ. देवीलाल से लेकर चौधरी बंसीलाल, भूपेंद्र हुड्डा और ओमप्रकाश चौटाला को सीएम बनाने वाला जींद जिला जींद सीएम सिटी नहीं बन पाया। 1999 से 2005 तक जब ओमप्रकाश चौटाला सीएम थे, तब भी सीएम सिटी सिरसा था, जींद नहीं।

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