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जींद : चीनी मिल की पिराई क्षमता बढ़ाने की योजना 26 साल से लटकी

10:42 AM Oct 24, 2024 IST
जींद सहकारी चीनी मिल : पिराई क्षमता बढ़ने की उम्मीद में। -हप्र
जसमेर मलिक/हप्र
जींद, 23 अक्तूबर
जींद सहकारी चीनी मिल की पिराई क्षमता बढ़ाने की 120 करोड़ रुपए की परियोजना अब तक धरातल पर नहीं उतर सकी है, जिसके कारण जिले में गन्ने की फसल का रकबा बढ़ने में गंभीर मुश्किलें आ रही हैं। 1984 में स्थापित इस मिल की वर्तमान पिराई क्षमता 16500 क्विंटल प्रतिदिन है, जो पिछले 26 साल से गन्ने के रकबे के हिसाब से अपर्याप्त साबित हो रही है।
इस परियोजना की पहली घोषणा 1998 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बंसीलाल ने की थी, जब उन्होंने जींद में एक रैली में यह कहा था कि चीनी मिल की पिराई क्षमता को बढ़ाया जाएगा। इसके बाद भी हरियाणा के सभी मुख्यमंत्री ने अपने कार्यकाल में इसी तरह की घोषणाएँ कीं, लेकिन किसी भी योजना पर ठोस अमल नहीं हुआ। लगभग दो साल पहले जींद सहकारी चीनी मिल की पिराई क्षमता बढ़ाने की योजना में कुछ प्रगति हुई थी। हरियाणा शुगरफेड ने इस योजना की डीपीआर को मंजूरी दे दी थी, जिसमें पिराई क्षमता 16550 क्विंटल प्रतिदिन से बढ़ाकर 22000 क्विंटल प्रतिदिन करने की योजना थी। इसके लिए नई और बड़ी टरबाइन, साथ ही अन्य मेकेनिकल उपकरण मिल में स्थापित करने की आवश्यकता थी। इसके लिए टेंडर भी जारी किए गए थे, लेकिन परियोजना अब तक आगे नहीं बढ़ पाई है। पिराई क्षमता बढ़ाने के लिए पहले जारी किए गए टेंडर तकनीकी कारणों से रद्द कर दिए गए थे। इसके बाद नए सिरे से टेंडर जारी किए जाने थे, लेकिन हरियाणा शुगरफेड से अनुमति नहीं मिल पाने के कारण यह परियोजना पिछले डेढ़ साल से फाइलों में लटकी हुई है।

अनुमति का इंतजार : एमडी

जींद सहकारी चीनी मिल के प्रबंधक निदेशक प्रवीण तहलान ने बताया कि परियोजना पर अभी काम शुरू नहीं हुआ है और मुख्यालय से दोबारा टेंडर करने की अनुमति का इंतजार है। जैसे ही अनुमति मिलेगी, परियोजना पर कदम आगे  बढ़ाए जाएंगे।

ये पड़ रहा असर

पिराई क्षमता में कमी के कारण जींद जिले में गन्ने की खेती में स्थिरता का अभाव है। अगर किसान गन्ने का रकबा बढ़ाते हैं, तो मिल को मई और जून में संचालित करना पड़ता है, जिससे दोनों पक्षों को घाटा उठाना पड़ता है। मई और जून में गन्ने की कटाई और सफाई के लिए लेबर की कमी होने के कारण चीनी मिल की मशीनरी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पाती। इसी कारण कई बार स्थिति ऐसी बनी है कि जींद सहकारी चीनी मिल के पास गन्ने की पिराई के लिए एक सप्ताह के लिए भी गन्ना उपलब्ध नहीं रहा।
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