नीट परीक्षा में जींद के बच्चों का शानदार प्रदर्शन
जींद, 5 जून (हप्र)
राष्ट्रीय स्तर की नीट परीक्षा में जींद के वी प्लस यू कोचिंग सेंटर, जींद के इंडस पब्लिक स्कूल, आधारशिला पब्लिक स्कूल और डीएवी स्कूल के विद्यार्थियों का प्रदर्शन शानदार रहा। नीट परीक्षा में जींद के वी प्लस यू कोचिंग सेंटर के छात्र शुभम लोहान ने 705 अंकों के साथ जींद जिले में टॉप किया। वी प्लस यू कोचिंग सेंटर के 16 बच्चों ने मेडिकल कॉलेज में अपना दाखिला पक्का किया है। इसके लिए भी कोचिंग सेंटर के निदेशक विनोद कुमार और रमेश चहल ने विद्यार्थियों तथा स्टाफ को बधाई दी।
जींद के इंडस पब्लिक स्कूल के 21 विद्यार्थियों ने अच्छे अंकों से नीट परीक्षा उत्तीर्ण की है। स्कूल प्राचार्या अरूणा शर्मा और निदेशक सुभाष श्योराण ने कहा कि इन बच्चों ने हर रोज आठ से 12 घंटे तक पढ़ाई की। स्कूल में बच्चों को सही मार्गदर्शन मिला और नियमित टेस्ट लिए गए, जिस कारण बच्चों ने नीट परीक्षा में शानदार प्रदर्शन किया है। जींद के आधारशिला पब्लिक स्कूल के बच्चों ने भी नीट परीक्षा में शानदार प्रदर्शन किया। स्कूल निदेशक अंजू सिहाग और चेयरमैन संदीप सिहाग ने बच्चों को इस सफलता पर बधाई देते हुए कहा कि कड़ी मेहनत व एकाग्रभाव से किसी भी लक्ष्य को भेदा जा सकता है। नीट परीक्षा में जींद के डीएवी स्कूल के बच्चों ने भी परचम लहराया है। स्कूल प्राचार्या रश्मि विद्यार्थी ने बताया कि 20 से अधिक विद्यार्थियों ने उत्कृष्ट अंक प्राप्त कर जिले भर में नीट की परीक्षा को क्वालीफाई कर विद्यालय का नाम रोशन किया।
जींद के हेमांग ने नीट परीक्षा में 720 में से 705 अंक हासिल कर लोहा मनवाया। उसने प्रतिदिन 12 से 14 घंटे तक पढ़ाई कर यह मुकाम हासिल किया है। हेमांग मंथन आशरी के पिता अंग्रेजी के प्रोफेसर महेश आशरी हैं तो मां डा. सुमिता आशरी राजकीय महिला कालेज में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। हेमांग ने बताया कि वह नीट परीक्षा क्लियर करने के लिए एनसीइआरटी की किताबें पढ़ा करते थे। उसने अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपने गुरुजनों और माता-पिता को दिया।
होली चाइल्ड के 10 छात्रों ने पाई सफलता
रेवाड़ी (हप्र) : होली चाइल्ड स्कूल के 10 विद्यार्थियों ने नीट मेडिकल प्रवेश परीक्षा में सफलता प्राप्त की है। स्कूल निदेशक अनिरुद्ध सचदेवा ने सभी मेधावी विद्यार्थियों को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। सफलता प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों ने इसका श्रेय माता-पिता, अध्यापकों व स्कूल प्रबंधकों को दिया है।