जींद को बाप-बेटा की राजनीति से मुक्ति की जरूरत : प्रदीप गिल
जींद, 30 जून (हप्र)
जींद को बाप और बेटा की राजनीति से छुटकारे की जरूरत है। इसके लिए जींद में नयी राजनीति की शुरुआत होगी। यह बात रविवार को जींद के सफीदों रोड पर एक निजी प्रतिष्ठान में प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रदीप गिल ने 1000 से ज्यादा समर्थकों की भीड़ के बीच कही। प्रदीप गिल ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले 2024 के चुनाव में जींद जिला और खासकर जींद विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत शानदार रहा है। जींद विधानसभा क्षेत्र के सभी बूथों पर उनके समर्थकों ने रात -दिन मेहनत कर सतपाल ब्रह्मचारी की सोनीपत से जीत में अहम भूमिका निभाई। इसके लिए कार्यकर्ताओं और जींद की जनता का आभार जताते हुए प्रदीप गिल ने कहा कि जींद को अब बाप और बेटा की राजनीति से मुक्ति दिलवानी है। इसके लिए नई राजनीति की सख्त जरूरत है। कांग्रेस से कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि वह जींद में नयी राजनीति का समर्थन करेगी। उन्होंने अपने समर्थकों से विधानसभा चुनाव के लिए अभी से हर बूथ पर काम में जुट जाने का आह्वान किया। जींद विधानसभा क्षेत्र में बाप-बेटा की राजनीति का लंबा इतिहास है। 1977 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधायक बने मांगेराम गुप्ता चार बार जींद से विधायक बने। वह भजनलाल और भूपेंद्र हुड्डा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। 2019 में उनके बेटे महावीर गुप्ता ने जजपा की टिकट पर जींद से विधानसभा चुनाव लड़ा और लगभग 43000 वोट लिए। इसी तरह जींद के एक और पूर्व विधायक तथा प्रदेश के पूर्व मंत्री बृजमोहन सिंगला 1982 में जींद से लोकदल की टिकट पर विधायक बने थे। बाद में वह भजनलाल सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। बृजमोहन सिंगला बंसीलाल और भजनलाल सरकार में भी कैबिनेट मंत्री रहे। 2019 में कांग्रेस ने उनके बेटे अंशुल सिंगला को जींद से प्रत्याशी बनाया। अंशुल जमानत भी नहीं बचा पाए थे। 2009 और 2014 में इनेलो के टिकट पर हरिचंद मिड्ढा विधायक बने। उनके निधन के बाद कृष्ण मिड्ढा भाजपा से विधायक बने।