नायब कैबिनेट में जींद को नहीं मिली हिस्सेदारी
दलेर सिंह/हप्र
जींद(जुलाना), 20 मार्च
प्रदेश की राजनीतिक राजधानी कहे जाने वाले जींद को नायब कैबिनेट में हिस्सेदारी नहीं मिली है। लोगों को उम्मीद थी कि वर्ष 2019 के उप चुनाव में जींद विधानसभा में पहली बार कमल खिलाने वाले और आम चुनाव में लगातार दूसरी बार जींद से भाजपा की टिकट पर विधायक बने डॉ. कृष्ण मिड्ढा को नयी कैबिनेट में जगह मिल सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। प्रदेश में भाजपा सरकार के कार्यकाल-2 में बांगर पूरी तरह से सत्ता से वंचित रह गया। वर्ष 2014 में भाजपा कार्यकाल-1 में जींद जिले की पांचों विधान सीट में से उचाना कलां से भाजपा की टिकट पर बीरेंद्र सिंह पत्नी प्रेमलता विजयी हुर्ई थीं। इनके अतिरिक्त सफीदों से निर्दलीय विधायक बने जसबीर देशवाल ने भी भाजपा को समर्थन दे दिया था। इसके बावजूद दोनों को मनोहर कैबिनेट में जगह नहीं मिली। हालांकि बाद में बीरेंद्र सिंह को भाजपा ने केंद्रीय मंत्री अवश्य बनाया, लेकिन हरियाणा सरकार में जींद को प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया। वर्ष 2014 में जींद से डॉ. हरीचंद मिड्ढा, जुलाना से परमेंद्र सिंह ढुल व नरवाना से पृथी नंबरदार इनेलो की टिकट पर विधायक चुने गये थे। उस समय इनेलो प्रदेश का प्रमुख विपक्षी दल बना था। वर्ष 2019 के चुनाव में जींद से भाजपा के डॉ. कृष्ण मिड्ढा, सफीदों से कांग्रेस के सुभाष गांगोली, जबकि नयी नवेली पार्टी जजपा ने उचाना, जुलाना व नरवाना में जीत हासिल की। नये समीकरणों में भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार बनी, जिसमें उचाना से जजपा विधायक दुष्यंत चौटाला प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बने। उन्हें भारी भरकम विभागों को जिम्मेदारी दी गई। पिछले दिनों भाजपा-जजपा गठबंधन टूटा तो अब बांगर के लोगों के हाथ निराश ही लगी।
सफीदों पड़ रहा सब पर भारी!
जींद जिला के सफीदों विधानसभा क्षेत्र से वर्तमान में कांग्रेस का विधायक होने के नाते भले ही विपक्ष में हो, लेकिन जींद की पांचों विधानसभा हलकों पर उचाना सब पर भारी पड़ता नजर आता है। सफीदों हलका से भाजपा नेता राजकुमार उर्फ राजू मोर मौजूदा जिलाध्यक्ष हैं। अब नायाब सरकार में सफीदों क्षेत्र के नेता कर्मवीर सैनी व अमरपाल राणा को चेयरमैन बनाया गया है। मंत्रिमंडल गठन के बाद जजपा के नरवाना से बागी विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा के समर्थकों की उम्मीद भी आधी अधूरी ही रही।