पत्ते नहीं, ‘नोट’ झरते हैं...
महोगनी के पेड़ से पानी के जहाज, टिकाऊ फर्नीचर, लकड़ी की मूर्तियां, सजावटी सामान, वाद्ययंत्र आदि चीजें बनायी जाती हैं। इसके बीज और इसकी पत्तियों का इस्तेमाल शक्तिवर्धक दवाओं के बनाने में होता है। इसकी पत्तियों से खेती के लिए कीटनाशक भी तैयार होते हैं और इसकी पत्तियों से निकले तेल से साबुन, पेंट और वार्निश भी बनते हैं। महोगनी के पेड़ की पत्तियां, कैंसर, अस्थमा, ब्लड प्रेशर तथा शुगर में भी कई तरह से उपयोगी होती हैं।
वीना गौतम
अमेरिकी मूल के ऊष्णकटिबंधीय पेड़ की पत्तियां पूरी तरह से कभी नहीं झरतीं। जिन पेड़ों की पत्तियां पूरी तरह से कभी नहीं झरतीं, उन्हें सदाबहार पेड़ कहते हैं, इनमें एबोनी, महोगनी, शीशम और आबनूस जैसे पेड़ आते हैं। महोगनी चूंकि मूलतः अमेरिका का पेड़ है, इसलिए यह भारत में आमतौर पर लाल और काली मिट्टी के क्षेत्र में सबसे अच्छी तरह से विकसित होता है। हालांकि जहां पानी रुके नहीं और जहां की मिट्टी चिकनी न हो, ऐसी सभी जगहों पर भी न सिर्फ महोगनी का पेड़ आसानी से उग आता है बल्कि इसकी कॉमर्शियल खेती भी होती है। इसलिए सिर्फ पहाड़ी इलाकों और बहुत पथरीली मिट्टी वाले क्षेत्रों को छोड़कर भारत में करीब-करीब हर जगह महोगनी का पेड़ उगाया जा सकता है और यह कैश क्रॉप के रूप में उगाया भी जा रहा है, क्योंकि इस पेड़ की लकड़ी ही नहीं बल्कि इसके विभिन्न अवयवों की भी बाजार में भारी मांग है।
महोगनी के पेड़ से पानी के जहाज, टिकाऊ फर्नीचर, लकड़ी की मूर्तियां, सजावटी सामान, वाद्ययंत्र आदि चीजें बनायी जाती हैं। इसके बीज और इसकी पत्तियों का इस्तेमाल शक्तिवर्धक दवाओं के बनाने में होता है। इसकी पत्तियों से खेती के लिए कीटनाशक भी तैयार होते हैं और इसकी पत्तियों से निकले तेल से साबुन, पेंट और वार्निश भी बनते हैं। महोगनी के पेड़ की पत्तियां, कैंसर, अस्थमा, ब्लड प्रेशर तथा शुगर में भी कई तरह से उपयोगी होती हैं।
हाल के सालों में महोगनी का पेड़ भारत में नगदी फसल उगाने वाले किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ है। महोगनी के पेड़ की खेती करने में ज्यादा लागत भी नहीं आती। दो सालों के बाद तो इसकी देखरेख की भी ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती। इसलिए कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, दक्षिण पूर्वी महाराष्ट्र, उड़ीसा, मैसूर आदि इलाकों में जहां लाल मिट्टी बहुतायत में पायी जाती है।
महोगनी का पौधा 10 से 12 सालों में 60 से 80 फुट ऊंचाई तक का घना पेड़ बन जाता है। ऐसे में एक पेड़ से लगभग 40 घन फुट लकड़ी मिल जाती है। जबकि इसकी एक घन फुट लकड़ी 1300 से 2500 रुपये में बिकती है। वहीं इसके एक पौधे से लगभग 5 किलोग्राम बीज हासिल होते हैं और बाजार में महोगनी के बीज की कीमत 1,000 रुपये प्रति किग्रा तक मिल जाती है। अगर एक एकड़ में महोगनी के पेड़ लगा दिए जाएं और इसकी सही से देखभाल हो जाये तो करीब 10 साल बाद ये पेड़ 1 करोड़ रुपये के आसपास बिक जाएंगे।
भारत से हर साल 8 से 10 अरब रुपये की जो लकड़ियां विदेश भेजी जाती हैं, उनमें बड़ा हिस्सा महोगनी की लकड़ी का भी होता है। लब्बोलुआब यह है कि अगर किसान गंभीरता से इस इमारती लकड़ी वाले पेड़ की खेती करें तो वे आर्थिक रूप से काफी मजबूत हो सकते हैं। इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर