खटाखट तो नहीं हुआ पर धड़ाधड़ है जारी
सहीराम
वैसे तो जी देखो बुजुर्गों ने कहा है कि जल्दी का काम शैतान का होता है। लेकिन इधर जो भी कुछ हो रहा है, धड़ाधड़ ही हो रहा है। वादा तो खटाखट होने का था, पर हो धड़ाधड़ रहा है। इधर बिहार में अगर धड़ाधड़ पुल गिर रहे हैं तो उधर महाराष्ट्र में रईसजादे अपनी गाड़ियों से धड़ाधड़ इंसानों को कुचलते जा रहे हैं। वैसे इधर अगर प्रधानमंत्री मोदीजी धड़ाधड़ विदेश दौरे कर रहे हैं और उधर नेता प्रतिपक्ष राहुलजी धड़ाधड़ देश के दौरे कर रहे हैं। लोकतंत्र के तकाजे को देखें तो अवश्य ही दोनों ने मिलकर तय किया होगा-मोदीजी विदेश यात्राएं करेंगे और राहुलजी देश की यात्राएं करेंगे। दोनों की आदत भी यही है। चुनाव निपटे महीना भर भी नहीं हुआ कि दोनों अपनी-अपनी यात्राओं पर निकल गए। मोदीजी इटली के बाद रूस चले गए और वहां से आस्ट्रिया। उनकी रूस यात्रा से राहुलजी को तो कोई ईर्ष्या नहीं हुई, लेकिन युक्रेन वाले जेलेंस्की जलभुनकर खाक हो गए।
मोदीजी को तो हवाई जहाज में रहने की पता नहीं कितनी आदत लगी है, पर राहुलजी को सड़क पर रहने की आदत जरूर लग गयी लगती है। घर पर रहते ही नहीं। इधर संसद का सत्र निपटा नहीं कि असम, मणिपुर से लेकर पता नहीं कहां-कहां घूम लिए। कभी रेलवे स्टेशन पहुंच जाते हैं-लोको पायलेट्स से मिलने तो कभी आनंद विहार पहंुच जाते हैं मजदूरों से मिलने। कभी रायबरेली तो कभी गुजरात होते हैं। अंबानीजी बेटे की शादी का न्योता देने पंहुचे तो घर पर मिले ही नहीं।
घर पर रहें तो मिलें। ऐसे में स्मृति ईरानी यह कह सकती हैं कि अगर इनको सड़क पर ही रहना है तो बंगला वापस लो। पता चला कि उनका बंगला खाली कराया जा रहा है।
बिहार में धड़ाधड़ गिर रहे पुलों को अब बताओ चाइनीज भी कैसे कहोगे। यह तो विकास बाबू का विकास है। विपक्ष वाले नीतीशजी से उम्मीद लगाए बैठे थे कि वे सरकार गिराएंगे, पर गिर रहे हैं पुल। मोदीजी टेंशनिया रहे होंगे कि कहीं इसके लिए भी पैकेज न मांग लें। इधर रईसजादों के अजीब शौक हो गए साहब। करोड़ों की विदेशी गाड़ी में चलेंगे, पर उसे सड़क पर नहीं चलाएंगे-फुटपाथ पर चलाएंगे। अरे भाई सलमान खान को इतना अपना आदर्श मत बनाओ यारो। अभी पुणे वाले रईसजादे की चर्चा थमी भी नहीं थी कि अब मुंबई के रईसजादे आ गए। बताते हैं कि मुख्यमंत्री शिंदे के यार के बेटे हैं। चाचा हमारे विधायक हैं कि तर्ज पर हो सकता है इन्होंने भी तड़ी दी हो कि मुख्यमंत्री हमारे पिता के मित्र हैं। इधर कश्मीर में मुठभेड़ें भी धड़ाधड़ हो रही हैं। पेपर लीक तो धड़ाधड़ हो ही रहे थे। अगर इतना सब धड़ाधड़ होगा तो कब क्या धराशायी हो जाए, क्या पता। नहीं क्या?