मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

भक्ति के उफान में डूबते मुद्दे

07:24 AM Sep 04, 2021 IST

इधर बिजली-पानी देने के वादे तो चाहे पहले की तरह पूरा जोर लगाकर न किए जाते हों, लेकिन हर बस्ती, हर गांव में विकास की गंगा बहा देने के वादे की तरह ही हर पार्क और हर संस्थान में तिरंगा लगाने के वादे अब पूरे जोर-शोर से अवश्य किए जाने लगे हैं। बिजली-पानी के वादों में कोई देशभक्ति नहीं होती है न, सो वे अब दूसरे वादों जैसे ही हो गए हैं। उनमें न आक्रामकता रही और न ही कोई ताजगी। देशभक्ति का जैसा जोश तिरंगा फहराने के वादे से आता है, वह जोश बिजली-पानी के वादे में कहां। भ्रष्टाचार विरोधी अन्ना हजारे की रैलियों में भी उतने तिरंगे नहीं फहराए गए होंगे, जितने इन दिनों फहराए जा रहे हैं।

Advertisement

भ्रष्टाचार मिटाने के वादे तो चाहे न किए जा रहे हों, लेकिन हर जगह आकाश छूते तिरंगे झंडे फहराने के वादे जरूर किए जा रहे हैं। ऐसे में सिर्फ आकाश छूती मूर्तियां ही इन तिरंगों का मुकाबला कर सकती हैं। फिर पंद्रह अगस्त के आसपास तो तिरंगे वैसे भी चौराहों पर बिकने लगते हैं। कुछ जलकुकड़ों का कहना है कि चौराहों पर बिकने वाले ये तिरंगे चीन से आते हैं, वैसे ही जैसे दीवाली पर रोशनी की लड़ियां और लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां आती हैं। ये तिरंगे बड़ी-बड़ी गाड़ियों से लेकर रिक्शाओं तक पर लगे होते हैं। यह बारिश में भीगने और पतंगें उड़ाने की ही तरह तिरंगे फहराने वाली देशभक्ति का भी सीजन होता है।

लेकिन इस बार देशभक्ति ऐसी उमड़ी है कि सिर्फ तिरंगे फहराए ही नहीं गए, तिरंगा यात्राएं भी निकाली गयीं। सबने निकाली। इसने भी निकाली और उसने भी निकाली। एक-दूसरे के धुर विरोधियों ने निकाली। और तो और पिछले आठ-नौ महीनों से आंदोलन कर रहे किसानों ने भी निकाली। उन्हें लगा होगा कि इससे पहले कि कोई उन पर चीन और पाकिस्तान का समर्थक होने का आरोप लगा दे, उन्हें अपनी देशभक्ति साबित कर देनी चाहिए। सो उन्होंने खूब तिरंगा यात्राएं निकाली।

Advertisement

हालांकि छब्बीस जनवरी की तरह इस बार किसी के भूलकर लालकिला पहुंचने का कोई चांस नहीं था क्योंकि इस बार बड़े-बड़े कंटेनर लगाकर घेराबंदी की गयी थी। लेकिन वे दूध के जले थे, सो उन्होंने छाछ भी फूंक-फूंककर ही पी। खैर, तिरंगा यात्राओं ने माहौल में देशभक्ति का ऐसा जोश भरा कि तिरंगा यात्राएं निकालने वालों में असली और नकली वालों जैसी भिड़ंत हो गयी।

वे एक-दूसरे से नक्कालों से सावधान रहने जैसी चेतावनियां देने लगे। एक-दूसरे को फेक बताने लगे। अपने असली होने के दावे वैसे ही किए जाने लगे जैसे असली देसी घी की जलेबी की कई दुकानें अपने को असली बताया करती हैं और दूसरों को नकली।

Advertisement
Tags :
डूबतेभक्तिमुद्दे