शनि सुधारने को शनियान भी भेजे इसरो
आलोक पुराणिक
सूर्य की तरफ भी यान चल निकला है। देर-सवेर नौ के नौ ग्रहों की तरफ भारतीय यान जायेंगे। मुझे इसमें अपार कारोबारी संभावनाएं दिख रही हैं।
भारत न कृषि प्रधान देश है न नेता प्रधान देश है, भारत मूलत: ज्योतिष प्रधान देश है। हरेक को ग्रह दिखाने हैं, सिर्फ दिखाने ही नहीं हैं, उनकी चाल भी सैट करवानी है। ज्योतिषियों का कारोबार अद्भुत है। अगर किसी ज्योतिषी की भविष्यवाणी ठीक न होती, तो बंदा ज्योतिषी के खिलाफ कंजूमर फोरम न जाता, वह अगले ज्योतिषी के पास जाता है। ज्योतिष प्रधान मुल्क में चांद सूरज पर जायें यान तो कुछ कमाने का जुगाड़मेंट कर सकते हैं।
चांद से कुछ धूल लानी चाहिए चंद्रयान को। नहीं तो कम से कम धूल का फोटो ही भेज दिया जाये। सूरज के करीब जाकर हमारा आदित्य मिशन सूरज के करीब के फोटू भेजे, इसके बहुत इस्तेमाल हैं। कुछ बाबा इन फोटुओं के लॉकेट बेच लेंगे, इन लॉकेटों पर अधिकतम रेट वाला जीएसटी लगाया जाये। सब कमाये खायें और सरकार को भी दें। धूल के फोटू का लाकेट बिकेगा। हमारा मुल्क कमाल मुल्क है-हाथी की पूंछ का बाल, शेर की मूंछ का बाल, कुत्ते की बायीं आंख के ऊपर का बाल, बिल्ली की खाल, सफेद उल्लू, काला हंस- सब कुछ तंत्र में यूज होता है। सूर्य के करीब का फोटूवाला लाकेट भी बिकेगा।
नवग्रह का बड़ा कारोबार है, अपने यहां। लोग अपने सगे बाप से न डरते, शनि महाराज से डरते हैं। शनि की तऱफ कब भेजा जायेगा शनियान यह सवाल पूछना बनता है। देश में दो ग्रह हैं, जो आमतौर पर आम आदमी की लाइफ पर असर डाल रहे हैं-एक मंगल और दूसरा शनि।
मुल्क की शादियां मंगल की वजह से रुक रही हैं या टूट रही हैं। जन्मकुंडलियों में मंगल ग्रह ने बहुत जनता को परेशान कर रखा है। मतलब यहां तक का सीन है, परम बेरोजगार टाइप के लड़के भी अपनी शादी न होने का जिम्मा मंगल पर डाल देते हैं। अरे भाई कुछ काम-धाम करो, कुछ घर-दुकान जमाओ फिर शादी के लिए जाओ। तब ही तो शादी होगी, पर न ऐसे निकम्मे भी मंगल के सहारे बैठे हैं। मतलब हाल यह है कि ऐसा लगता है कि मंगल ग्रह ने जैसे कोई मेट्रिमोनियल एजेंसी खोल रखी है, शादियों का जिम्मा मंगल का ही है। भारत ऐसा मुल्क है जो चांद और सूरज पर पहुंच गया है, फिर भी शादियों का जिम्मा मंगल ग्रह पर ही है।
खैर, आधा मुल्क मंगल से त्रस्त है बचा मुल्क शनि से परेशान घूम रहा है। मंगल और शनि की तरफ इसरो वाले अपना य़ान भेजें, तो देश में जनता के कष्ट का निवारण हो। जनता के कष्ट पर भी इसरो को ध्यान देना चाहिए।