हाई कोर्ट की अनुमति बगैर खनन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश
शिमला, 31 जुलाई (हप्र)
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड राज्य की सीमा के बीच स्थित आसन वेटलैंड संरक्षण रिजर्व के 10 किलोमीटर के दायरे में बिना अनुमति खनन करने वालों के खिलाफ कड़ी करने के आदेश जारी किए हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार से दोषियों पर की गई कार्रवाई रिपोर्ट भी तलब की है। आसन वेटलैंड यमुना और आसन नदी का 444 हेक्टेयर क्षेत्र है जो उत्तराखंड के देहरादून जिले में यमुना नदी के साथ संगम तक फैला हुआ है।
आसन संरक्षण रिजर्व, कई दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों का घर और प्रवासी पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण शीतकालीन स्थल को रामसर साइट घोषित किया गया है। मध्य एशियाई फ्लाईवेज़ (सीएएफ) के भीतर रणनीतिक रूप से स्थित, रिजर्व में पक्षियों की 330 प्रजातियां हैं, जिनमें गंभीर रूप से लुप्तप्राय- सफेद-पंख वाले गिद्ध (जिप्स बंगालेंसिस), बेयर पोचार्ड (अयथ्या बेरी), लुप्तप्राय- मिस्र के गिद्ध (नियोफरन पर्कनोप्टेरस), स्टेपी ईगल (एक्विला निपालेंसिस), और संवेदनशील- मार्बल्ड टील (मार्मेरोनेटा एंगुस्टिरोस्ट्रिस), कॉमन पोचार्ड (अयथ्या फेरिना), इंडियन स्पॉटेड ईगल (क्लैंगा हास्टाटा) आदि शामिल हैं। यह रूडी शेल्डक के जमावड़े के लिए सबसे प्रसिद्ध स्थलों में से एक है।
मौजूद अन्य गैर-एशियन प्रजातियों में 49 मछली प्रजातियां शामिल हैं, इनमें से एक लुप्तप्राय पुटिटर महासीर (टोर पुटिटोरा) है। मछलियाँ भोजन, प्रवास और अंडे देने के लिए इस स्थल का उपयोग करती हैं। आसन और यमुना नदियों के संगम पर स्थित इस जैव विविधता वाले पारिस्थितिकी तंत्र को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 36 ए के तहत 2005 में संरक्षण रिजर्व घोषित किया गया था। प्रत्येक वर्ष, यह आर्द्रभूमि अपने शीतकालीन प्रवास के दौरान कई प्रवासी पक्षी प्रजातियों की मेजबानी करती है, जैसे कि रूडी शेल्डक, रेड-क्रेस्टेड पोचार्ड, कॉमन पोचार्ड, गैडवॉल, यूरेशियन विगॉन, नॉर्दर्न शॉवलर, नॉर्दर्न पिंटेल, ग्रेलैग गूज, बार-हेडेड गूज और फेरुगिनस डक। हाईकोर्ट ने इस वेटलैंड के रखरखाव से जुड़े मामले में राज्य सरकार से खनन लाइसेंस धारकों की सूची तलब की थी। कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी यमुना नदी की आद्रभूमि की निशानदेही करने के आदेश दिए थे। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ के समक्ष देहरादून निवासी गजेंद्र रावत द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में गुहार लगाई गई है कि वेटलैंड के 10 किलोमीटर के दायरे में खनन पर रोक लगाई जाए और इसके लिए राज्य सरकार की ओर से जारी लाइसेंस को रद्द किया जाए। मामले पर हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने यमुना नदी की वेटलैंड के 10 किलोमीटर के दायरे में वन्यजीव और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और जलवायु परिवर्तन राष्ट्रीय बोर्ड की स्थायी समिति की अनुमति के बगैर खनन रोक लगाने के आदेश पारित किए हैं। कोर्ट ने कहा कि बिना अनुमति खनन करने वालों के खिलाफ राज्य सरकार कार्यवाई करे।
उल्लेखनीय है कि आसन वेटलैंड रिजर्व मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनुपालाना में हाईकोर्ट ने प्रदेश के अन्य हिस्सों की वेटलैंड की देखरेख पर संज्ञान लिया है। रेणुकाजी, खजियार, और पोंग डेम वेटलैंड के रखरखाव को केंद्र सरकार ने 421.28 लाख रुपये जारी किए थे। वेटलैंड भूमि का वह क्षेत्र है जिसमें या तो स्थायी रूप से या मौसमी रूप से पानी जमा होता है। शीर्ष अदालत ने पाया था कि कई वेटलैंड और झीलें गायब हो रही हैं।