रक्तदाता के सम्मान में सहूलियतों की प्रेरणा
रेखा देशराज
रक्तदान करने वाला कोई भी व्यक्ति अगर हर साल चार बार रक्तदान करता है, तो वह कम से कम चार लोगों की जान बचा रहा होता है। दुनिया में सबसे बड़ा दान है, जीवन का दान और जीवन का दान, रक्तदान से भी संभव है। रक्तदान इसलिए जरूरी है कि समय पर रक्त न मिलने के कारण भारत में हर साल 15 लाख लोग दम तोड़ देते हैं। आज भी अपने देश में रक्तदान को लेकर पर्याप्त जागरूकता नहीं है। एक हजार लोगों में केवल 8 लोग ही हैं, जो स्वैच्छिक रक्तदान करते हैं। रक्तदान को लेकर लोगों के दिल-दिमाग में कई तरह की गलतफहमियां हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, हर साल समूची दुनिया में 11,74,000,00 यूनिट रक्तदान के जरिये एकत्र किया जाता है, फिर भी विश्व में अभी भी हजारों नहीं, लाखों लोग हैं, जो हर दिन समय पर रक्त न मिलने के कारण मर जाते हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि रक्तदान कितना जरूरी है। हालांकि रक्तदान करने के अपने फायदे भी हैं। नियमित रक्तदान करने से कैंसर सहित कई दूसरी बीमारियों का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। लेकिन हममें से ज्यादातर भारतीय रक्तदान का महत्व नहीं जानते हैं।
प्रोत्साहन की दरकार
भारत में अगर लोग रक्तदान के प्रति उदासीन हैं, तो इसके लिए सिर्फ उनकी अज्ञानता या खुद को लेकर उनकी चालाकी भर जिम्मेदार नहीं है। रक्तदाताओं को किसी तरह के प्रोत्साहन की सुविधा न होना भी रक्तदान में कमी का एक बड़ा कारण है। सरकारों को रक्तदान के संबंध में एक सकारात्मक और लाभपरक योजना चलायी जानी चाहिए। हर वह व्यक्ति जो रक्तदान के लिए आगे बढ़कर आता है, उसे सरकार और कुछ दूसरे गैर सरकारी संगठनों द्वारा सिर्फ सम्मानित ही नहीं करना चाहिए बल्कि कुछ ऐसी स्थायी सुविधाएं और सहूलियतें भी देनी चाहिए, जिनसे आकर्षित होकर कई ऐसे लोग भी रक्तदान के लिए तैयार हों।
सार्वजनिक सुविधाओं में पहल
सरकार की ओर से रक्तदान करने वालों को तमाम सार्वजनिक सुविधाओं में प्राथमिकता देनी चाहिये। मसलन, अगर किसी व्यक्ति ने साल में दो बार रक्तदान दिया है तो भारत सरकार को ऐसे व्यक्ति के लिए एक साल के लिए स्लीपर क्लास की रेलवे टिकटों का किराया आधा कर देना चाहिए। पूरे साल कभी भी टिकट लेने की स्थिति में उसे कन्फर्म टिकट ही मिलना चाहिए या फिर पांच सालों तक हर साल दो बार रक्तदान करने वाले व्यक्ति को सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में 50,000 रुपये तक के इलाज की छूट होनी चाहिए।
रक्तदाता का कार्ड
हर साल रक्तदान करने वाले व्यक्ति को एक कार्ड इश्यू किया जाना चाहिए और उस कार्ड की बदौलत उसे कई तरह की सुविधाएं मिलनी चाहिए। मसलन अस्पतालों में उसका रजिस्ट्रेशन बिना लाइन में लगे हो। रक्तदान को प्रोत्साहित करने के लिए बहुत तरह की छूटें दी जा सकती हैं, लेकिन वे इतनी ज्यादा न हों कि लोग अपने शरीर आदि की परवाह न करते हुए भी रक्तदान के लिए उतावले हों। आमतौर पर बाजार में खरीदने पर एक यूनिट खून की कीमत 8000 रुपये से लेकर ब्लड बैंक और अस्पताल 10,000 रुपये तक कुछ भी वसूल कर सकते हैं और गरीब मरीज चाहकर भी खून खरीद नहीं सकता। इसलिए भी हमारे देश में रक्तदान के प्रति जागरूकता बेहद जरूरी है।
इसलिए रक्तदान को केवल नैतिक जिम्मेदारी मानने के साथ ही अगर इसके साथ इसमें थोड़े से इंसेंटिव जोड़ दिए जाएं तो देश में बड़ी संख्या में लोग रक्तदान करेंगे। इससे लाखों लोगों की जिंदगी बचायी जा सकती है। -इ.रि.सें.