मतदान तक ही हमसफर रहे इनेलो-बसपा
जसमेर मलिक/हप्र
जींद, 13 अक्तूबर
हरियाणा की राजनीति में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) की दोस्ती हमेशा अल्पकालिक ही साबित हुई है। दोनों दलों ने दो बार गठबंधन किया, लेकिन यह दोस्ती कभी मतदान के दिन से आगे नहीं बढ़ पाई।
हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भी इनेलो और बसपा ने गठबंधन किया था। इनेलो ने इस गठबंधन को किसान और कमेरे का गठबंधन बताते हुए इसे हरियाणा की राजनीति में एक बड़ा बदलाव बताया था। लेकिन यह गठबंधन मतदान और मतगणना के दिन तक ही सीमित रहा। जब चुनाव परिणाम घोषित हुए और बसपा को एक भी सीट नहीं मिली तो बसपा सुप्रीमो मायावती ने तुरंत इनेलो से नाता तोड़ने का ऐलान कर दिया। मायावती ने इनेलो पर आरोप लगाते हुए कहा कि बसपा का वोट बैंक इनेलो की तरफ ट्रांसफर हुआ, लेकिन इनेलो का वोट बैंक बसपा के प्रत्याशियों को नहीं मिला। इनेलो और बसपा के बीच इससे पहले 1998 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन हुआ था। उस समय इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला और बसपा सुप्रीमो मायावती ने मिलकर इस गठबंधन को अंजाम दिया था। उस चुनाव में गठबंधन ने हरियाणा विकास पार्टी और भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी। 10 में से 5 लोकसभा सीटों पर गठबंधन के प्रत्याशियों की जीत हुई थी, जिसमें बसपा के अमन कुमार नगर अंबाला सुरक्षित सीट से सांसद बने थे। लेकिन जैसे ही 1998 के लोकसभा चुनाव के मतदान समाप्त हुए, इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने बसपा के साथ गठबंधन तोड़ने की घोषणा कर दी थी, यह कहते हुए कि यह गठबंधन केवल मतदान तक का था।