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सेमीकंडक्टर पावर हाउस बनाने की पहल

08:08 AM Aug 11, 2023 IST

शशांक द्विवेदी

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पिछले दिनों देश के सेमीकंडक्टर मिशन को गति देने के उद्देश्य से गुजरात में तीन दिवसीय सेमीकॉन इंडिया 2023 सम्मेलन का आयोजन हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य भारत की सेमीकंडक्टर स्ट्रैटेजी और इस सेक्टर में हुए डेवलपमेंट को दर्शाना है। सेमीकॉन इंडिया 2023 में सेमीकंडक्टर से जुड़ी देश-दुनिया की कई कंपनियों ने हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेमीकॉन इंडिया 2023 सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए देश के इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में सुधार करने और एक मजबूत सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने भारत को अगला सेमीकंडक्टर पावर हाउस बनने के लिए अपना व्यापक दृष्टिकोण भी सामने रखा।
आज के समय में बिना सेमीकंडक्टर के किसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की कल्पना नहीं की जा सकती है। असल में सेमीकंडक्टर चिप एक तरह से हर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का दिल है। भारत में सेमीकंडक्टर की खपत 2026 तक 80 बिलियन डॉलर और 2030 तक 110 बिलियन डॉलर को पार करने की उम्मीद है। इससे यह साफ होता है कि चिप निर्माण भारतीय अर्थव्यवस्था और व्यापार जगत के लिए क्या मायने रखता है। चूंकि सेमीकंडक्टर की आपूर्ति के लिए पूरी दुनिया चीन, ताइवान और साउथ कोरिया पर निर्भर है। 2022 में इंडियन सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री 27 बिलियन डॉलर यानी 22 खरब रुपये से ज्यादा की थी। इसमें से 90 फीसदी चिप की आपूर्ति के लिए हमें आयात पर निर्भर रहना पड़ता है। वहीं, 2026 तक इसकी खपत 80 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। कोरोना महामारी के बाद सेमीकंडक्टर निर्माण में कमी आने के बाद भारतीय ऑटो मोबाइल समेत अन्य तकनीकी उद्योग प्रभावित हुए थे, क्योंकि महंगी कारों से लेकर स्मार्टफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल होता है।
भारत सरकार ने सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग को लेकर 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर का एक इन्वेस्टमेंट प्रोग्राम शुरू किया, जिसका उद्देश्य भारत में चिप निर्माण के लिए जरूरी इको-सिस्टम डेवलप करना और इसके लिए विदेशी निवेश को आकर्षित करना है।
आने वाले वर्षों में सेमीकंडक्टर्स की मांग तेजी से बढ़ेगी। सबसे ज्यादा डिमांड कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक गुड्स, इलेक्ट्रिक व्हीकल, स्मार्टफोन्स इंडस्ट्री में होगी। वहीं, टेलीकॉम सेक्टर में पूरी तरह से 5जी सर्विसेज के आने के बाद आईओटी डिवाइस का इस्तेमाल तेजी से बढ़ेगा, इस वजह से स्मार्ट इलेक्ट्रिक डिवाइसेस की मांग भी बढ़ेगी। भारत हर साल 100 अरब डॉलर मूल्य के इलेक्ट्रॉनिक्स का आयात करता है। इसमें 30 अरब डॉलर के सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले ग्लास शामिल हैं। सेमीकंडक्टर चिप निर्माण कुछ ही देशों में केंद्रित है। ताइवान दुनिया के 60 प्रतिशत से ज्यादा सेमीकंडक्टर का उत्पादन करता है और दक्षिण कोरिया 100 प्रतिशत सबसे उन्नत चिप्स (10 नैनोमीटर से कम) बनाता है।
दरअसल, मेमोरी चिप निर्माता माइक्रॉन टेक्नोलॉजी द्वारा भारत में संयंत्र लगाने की घोषणा किए जाने के बाद कई सेमीकंडक्टर निर्माताओं ने देश में चिप निर्माण संयंत्र लगाने में दिलचस्पी दिखाई है। मेमोरी चिप निर्माण में कुछ बड़ी कंपनियां एसेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग और पैकेजिंग (एटीएमपी) तथा निर्माण संयंत्रों के लिए भारत पर ध्यान दे रही थीं। इसके अलावा, कम्पाउंड सेमीकंडक्टर एटीएमपी कंपनियां भारत में निवेश की संभावना तलाश रही हैं। माइक्रॉन ने पिछले महीने सरकार की 10 अरब डॉलर की पीएलआई योजना के तहत गुजरात में सेमीकंडक्टर एटीएमपी संयंत्र लगाने की योजना का खुलासा किया था। कंपनी ने 2024 के अंत तक 2.75 अरब डॉलर का संयंत्र चालू करने की योजना बनाई है।
भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण के लिए माइनिंग और मिनरल क्षेत्र की दिग्गज कंपनी वेदांता ग्रुप सबसे आगे है। इसके लिए कंपनी जरूरी संसाधन और टेक्नोलॉजी पार्टनर ढूंढ़ रही है। वेदांता ग्रुप की महत्वाकांक्षी सेमीकंडक्टर निर्माण परियोजना से ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन अलग हो चुकी है। हालांकि, कंपनी का कहना है कि ज्वाइंट वेंचर के लिए कई भागीदार तैयार हैं। ‘सेमीकॉन इंडिया 2023’ के दौरान वेदांता ग्रुप के प्रमुख अनिल अग्रवाल ने यहां तक कह दिया कि हम ढाई साल में भारत विनिर्मित चिप उपलब्ध करा देंगे। इस साल कंपनी सेमीकंडक्टर फैब और डिस्प्ले फैब के क्षेत्र में कदम रखेगी। उन्होंने कहा कि वेदांता लिमिटेड ने भारत में अब तक 35 अरब डॉलर का निवेश किया है। चिप निर्माण के लिए स्थानीय आपूर्ति शृंखलाओं का अभाव भारत में चिप निर्माण तंत्र निर्माण की राह में उद्योग हितधारकों की मुख्य चिंताओं में से एक था। चिप निर्माण के लिए कई तरह के कच्चे माल की जरूरत होती है।
भारत ने अगर अपना इकोसिस्टम तैयार कर लिया तो सेमीकंडक्टर प्लांट लगने के बाद देश धीरे-धीरे चिप बनाने के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएगा।
अर्द्धचालक और डिस्प्ले निर्माण एक बहुत ही जटिल और प्रौद्योगिकी-गहन क्षेत्र है, जिसमें भारी पूंजी निवेश, उच्च जोखिम, लंबी भुगतान अवधि तथा प्रौद्योगिकी में तेज़ी से बदलाव शामिल है, जिसके लिये महत्वपूर्ण व निरंतर निवेश की आवश्यकता होती है। भारत सरकार को चिप निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिये भारत में संबंधित उद्योगों को जोड़ने की तत्काल आवश्यकता है।

लेखक मेवाड़ यूनिवर्सिटी में  डायरेक्टर हैं।

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