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समय की पहल

07:04 AM Sep 18, 2021 IST

सरकार ने टेलीकॉम सेक्टर को बचाने के लिए जो राहत पैकेज प्रदान किया है, वह सराहनीय है। इस राहत से टेलीकॉम सेक्टर में फौरी तौर पर जान आएगी और डूबने के कगार पर खड़ी वोडाफोन को भी उबरने का मौका मिल जायेगा। अब कंपनियों को चार साल तक एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू और स्पेक्ट्रम का बकाया नहीं चुकाना पड़ेगा। इस राहत से केंद्र सरकार पर अतिरिक्त भार पड़ेगा। अब कंपनियों का भी फ़र्ज़ बनता है कि वे 5-जी के क्षेत्र में कदम रखते हुए अपने नेटवर्क में सुधार और उपभोक्ताओं के हितों का भी ध्यान रखें।

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चंद्र प्रकाश शर्मा, दिल्ली

राष्ट्रभाषा का दर्जा

किसी भी देश की परिकल्पना हम उसके भाषायी आधार पर करते हैं। अगर किसी देश की मातृभाषा ही अस्तित्व खोने लगे तो यह बेहद चिंतनीय है। ऐसा क्यों होता है कि जब कोई विशेष दिवस आता है तभी हम उसकी विशेषता पर ध्यान देते हैं। उसी तरह आज हमारी मातृभाषा के साथ बर्ताव हो रहा है। आज पूरे भारत में भले ही ‘हिंदी’ को राजभाषा और आधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त हो, लेकिन ये सिर्फ कहने मात्र का है। आज मातृभाषा का अस्तित्व छात्रों में सिर्फ पढ़ने के लिए रह गया है, न कि रुचि के लिए। सरकार को चाहिए कि हिंदी भाषा को राजभाषा से राष्ट्रभाषा की ओर ले जाए, जिससे हमारी मातृभाषा का वजूद कायम रहे।

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शशांक शेखर, नोएडा

तालिबान से मुकाबला

पंजशीर के लड़ाके अभी भी युद्ध के मैदान में डटे हुए हैं। अहमद मसूद के इन लड़ाकों ने दुनिया भर से मदद की अपील की है। तालिबान ने प्रचार किया है कि उसने पंजशीर पर कब्जा कर लिया है। पंजशीर के लोगों ने अपनी आजादी के कई वीडियो जारी किए हैं। उन्होंनेे कहा है कि अगर दुनिया हथियार और अन्य वित्तीय सहायता प्रदान करे तो वे अफगानिस्तान में लोकतंत्र स्थापित कर देंगे।

नरेंद्र कुमार शर्मा, भुजड़ू, मंडी

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