मदवि में शुरू हुए इंडियन साइन लैंग्वेज कोर्स
हरीश भारद्वाज/ हप्र
रोहतक, 7 जुलाई
महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय ने मूक-बधिर विद्यार्थियों को न केवल समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए, बल्कि उन्हें सांकेतिक भाषा में पारंगत करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इसके तहत विश्वविद्यालय में दो नये पाठ्यक्रम शुरू किए गये हैं। इन कोर्सों से मूक-बधिर को न केवल अपनी बात कहने में आसानी होगी, बल्कि रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।
मदवि के सेंटर फॉर डिसएबिलिटी स्टडीज के निदेशक प्रो. राधेश्याम और फैकल्टी ऑफ इंटर डिसीप्लिनरी स्टडीज के डीन प्रो. सुरेन्द्र कुमार ने पत्रकारों को बताया कि विश्वविद्यालय में भारतीय पुनर्वास परिषद (आरसीआई) से मान्यता प्राप्त- डिप्लोमा इन इंडियन साइन लैंग्वेज इंटरप्रेटिंग (डीआईएसएलआई) और डिप्लोमा इन टीचिंग इंडियन साइन लैंग्वेज (डीटीआईएसएलआई) शुरू किए जा रहे हैं।
प्रो. राधेश्याम ने कहा कि हरियाणा में मदवि भारतीय सांकेतिक भाषा से संबंधित पाठ्यक्रम शुरू करने वाला पहला विश्वविद्यालय है। उन्होंने कहा कि मदवि का ‘हरियाणा वेलफेयर सोसायटी फॉर पर्सन्स विद स्पीच एंड हियरिंग इंपेयरमेंट’ के साथ एमओयू है, जिससे इन पाठ्यक्रमों के संचालन में काफी मदद मिलेगी। सोसायटी की परियोजना अधिकारी पल्लवी ने मूक-बधिर व्यक्तिओं की शैक्षणिक जरूरतों के लिए इन दोनों पाठ्यक्रमों को महत्वपूर्ण बताया। प्रो. सुरेन्द्र कुमार ने कहा कि सांकेतिक भाषा का पठन-पाठन समय की जरूरत है। इससे न केवल मूक-बधिर विद्यार्थी लाभान्वित होंगे, बल्कि नयी शिक्षा नीति के समावेशी शिक्षा के संकल्प को पूरा करने में भी आसानी होगी।
30-30 सीटें, 21 तक कर सकते हैं आवेदन
दोनों पाठ्यक्रम में 30-30 सीटें हैं। प्रवेश आरसीआई द्वारा आयोजित आॅल इंडिया ऑनलाइन एप्टीट्यूड टेस्ट के जरिए होगा। प्रवेश प्रक्रिया 22 जून को शुरू हुई है। इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 21 जुलाई है।