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बढ़ाएं कोलेजन ताकि चमकती रहे त्वचा

08:51 AM Jan 24, 2024 IST
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एक उम्र के बाद हमारी त्वचा, खासकर चेहरे पर रूखापन व झुर्रियां नजर आने लगती हैं। ऐसा कोलेजन नामक प्रोटीन की कमी के कारण होता है। यह कमी किन वजहों से होती है,कोलेजन स्तर को कैसे बनाये रखें, कम होने पर आपूर्ति किन चीजों के सेवन से करें आदि को लेकर नई दिल्ली स्थित त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. सीरिशा सिंह से रजनी अरोड़ा की बातचीत।

बढ़ती उम्र में वक्त के साथ त्वचा में बदलाव आना बहुत स्वाभाविक है। त्वचा से ग्लो, लचीलापन, चमक खो-सी जाती है और चेहरे पर झुर्रियां आ जाती हैं। यह मूलतः कोलेजन प्रोटीन की कमी के कारण होता है। हमारी त्वचा का 70 प्रतिशत भाग कोलेजन प्रोटीन होता है। यह त्वचा के सेल्स में कसावट लाने वाला प्रोटीन है जिसकी वजह से हमारी त्वचा पर सालों तक झुर्रियां नहीं आती और हम अपनी त्वचा को जवान रख सकते हैं। त्वचा की चमक देखकर हमारी उम्र का पता नहीं चल पाता। कोलेजन त्वचा को लचीला, स्वस्थ और चमकदार बनाता है। लेकिन यह प्रोटीन हमारी उम्र के साथ कम होता जाता है। करीब 22-25 साल तक आते-आते त्वचा में इस प्रोटीन का निर्माण कम हो जाता है। जिसकी वजह से हमारी त्वचा की नमी खोने लगती है और कसावट कम हो जाती है। त्वचा पर बढ़ती उम्र के प्रभाव दिखने लगते हैं यानी रूखापन आना, झुर्रियां, बारीक लाइनें, ओपन पोर्स दिखना, कांति कम होने लगती हैं। कई बार चेहरे की त्वचा लटकने लगती है जिसे ठीक करना संभव नहीं हो पाता। जानिये हमारी त्वचा में कोलेजन किन कारणों से कम होता है-

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सन एक्सपोजर

हमारी त्वचा में मौजूद कोलेजन सूरज की अल्ट्रा वायलेट किरणों से बहुत जल्दी नष्ट होता है। जिसकी वजह से सनबर्न, टैनिंग और यहां तक कि त्वचा का कैंसर भी हो सकता है।

गलत खानपान

हम जो खाते हैं वह हमारे शरीर ही नहीं, त्वचा को भी प्रभावित करता है। असंतुलित आहार- जंक फूड, फास्ट फूड, प्रोसेस्ड फूड,जरूरत से ज्यादा चीनी, ऑयली फूड का सेवन कोलेजन को नुकसान पहुंचाते हैं जिससे हमारी त्वचा पर बढ़ती उम्र का असर देखने को मिलता है।

जीवनशैली का असर

हमारी जीवनशैली काफी खराब हो गई है जिसका असर हमारी त्वचा पर भी पड़ता है। स्मोकिंग, एल्कोहल या दूसरे नशीले पदार्थ और वातावरण में मौजूद प्रदूषण हमारे शरीर में मौजूद कोलेजन को नष्ट करता है जिसकी वजह से त्वचा पर बुढ़ापे का असर देखा जा सकता है।

ऐसे बूस्ट करें कोलेजन

हालांकि बाजार में तरह-तरह की एंटी-रिंकल क्रीम या मॉश्चराइजर मिलते हैं, लेकिन सटीक प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं कि इनसे कोलेजन की आपूर्ति होती हैं। अक्सर लोग दूसरों की देखा देखी या बाजार में मिलने वाले ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने लग जाते हैं। लेकिन अक्सर उनसे ज्यादा फायदा नहीं मिलता। बजाय इनके रोजाना नियमित रूप से कोलेजन युक्त खाद्य पदार्थ और सप्लीमेंट लेना अधिक फायदेमंद है।

पौष्टिक तत्वों से भरपूर आहार

त्वचा रोग विशेषज्ञ कोलेजन को बढ़ाने के लिए सबसे ज्यादा संतुलित, प्रोटीन और एंटी ऑक्सीडेंट युक्त आहार का सेवन करने पर बल देते हैं। जिसके माध्यम से व्यक्ति त्वचा में मौजूद कोलेजन की क्षति को रोक सकते हैं। मांसाहारी पदार्थों में कोलेजन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा दूध और दूध से बने पदार्थ भी लाभदायक हैं। विटामिन सी और डी का सेवन कोलेजन के निर्माण में सहायक है। विटामिन सी संतरा, मौसमी, आंवला, कीवी, स्ट्राबेरी,नींबू सेवन से मिलता है। गाजर, संतरा, पपीता, चुकंदर, शकरकंद में मिलने वाले विटामिन ए में मौजूद केरोटीन कोलेजन बढ़ाता है। आहार में मिनरल्स की मात्रा भी कोलेजन के निर्माण में सहायक है। मैगनीशियम की मात्रा बढ़ानी चाहिए। मैगनीशियम अनानास, केले, एवोकेडो, ड्राई फ्रूट्स, सीड्स, डार्क चॉकलेट में मिलता है। वहीं कॉपर त्वचा में ऑक्सीजन का सर्कुलेशन बनाए रखता है। यह मशरूम, पालक, मेथी, ड्राई फ्रूट्स में मिलता है। आयरन हीमोग्लोबिन बढ़ाता है जो मेथी, पालक,ब्रोकली, ड्राई फ्रूट्स में है। त्वचा में मौजूद टॉक्सिन को दूर करने में सल्फर मदद करता है। यह लहसुन में काफी मात्रा में मिलता है। वहीं जिंक कद्दू के बीज में मिलता है।

यूं बचें सन एक्पोजर से

सूरज की यूवी ए-बी किरणें हमारी त्वचा को नुकसान पहुंचाती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि त्वचा को होने वाले नुकसान का 80 प्रतिशत भाग सूरज की किरणों की वजह से होता है। इससे बचने के लिए जरूरी है-त्वचा पर 50 प्रतिशत एसपीएफ युक्त सनस्क्रीन नियमित रूप से लगाएं। विटामिन डी की आपूर्ति के लिए गर्मियों में जहां सुबह 10 बजे से पहले और शाम 5 बजे के बाद धूप सेंकनी चाहिए वहीं सर्दियों में सुबह 11 बजे से शाम बजे की धूप सेंकनी उपयुक्त है।

कोलेजन सप्लीमेंट

अनुसंधानों से साबित हुआ है कि कोलेजन पेप्साइड सप्लीमेंट लेने से झुरियां कम होती हैं, त्वचा में लचीलापन आता है, नमी और कांति बनी रहती है। हाइड्रोलिक एसिड युक्त सप्लीमेंट ज्यादा अच्छे होते हैं। बेहतर है कि डॉक्टर की सलाह पर
ही लें।

 

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