सत्ता परिवर्तन की आकांक्षा के निहितार्थ
जनाकांक्षाओं की कसौटी
सतीश शर्मा, माजरा, कैथल
बदलाव के संकेत
सभी एग्जिट पोल के विपरीत, भाजपा ने हरियाणा में तीसरी बार सरकार बनाकर एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया है। सत्ता परिवर्तन की आकांक्षाओं के चलते जम्मू-कश्मीर में गठबंधन सरकार बना सकती है, लेकिन वहां भी जनता ने अकेली कांग्रेस को नकार दिया है। किसी भी गठबंधन की बैठक के पहले ही फारूक अब्दुल्ला ने उमर अब्दुल्ला को मुख्यमंत्री घोषित कर दिया, जिससे कांग्रेस को उसकी जगह दिखा दी गई। कांग्रेस का रवैया देखिए—उन्हें कश्मीर की ईवीएम और चुनाव आयोग ईमानदार लगते हैं, जबकि अन्य राज्य की ईवीएम और चुनाव आयोग सत्ता के दबाव में।
सुभाष बुड़ावन वाला, रतलाम, म.प्र.
सत्ता परिवर्तन से संतुलन
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
विचारधारा बनाम चेहरे
सत्ता परिवर्तन दो प्रकार का होता है—एक विचारधारा के स्तर पर, जहां एक दल को हटा कर दूसरे दल की सरकार बनाई जाती है, और दूसरा कुछ चेहरों को बदलना। दोनों परिवर्तनों की कसौटी होती है सरकार की कार्यशैली, विश्वसनीयता और जनता से जुड़ाव। लेकिन राजनीति अक्सर इस कसौटी पर भारी पड़ जाती है। महाराष्ट्र जैसा दलबदल विचारधारा में परिवर्तन को निरर्थक बना देता है। चुनाव के बाद यदि दलीय सत्ता परिवर्तन होता है, तो पुरानी योजनाओं पर रोक लग जाती है और नई सरकार के मंत्री और प्राथमिकताएं बदल जाती हैं, जिससे मूल मुद्दे पीछे रह जाते हैं।
बृजेश माथुर, गाजियाबाद, उ.प्र.
बदलाव के निहितार्थ
रमेश चन्द्र पुहाल, पानीपत
मतदाता की नई सोच
हाल ही के चुनाव परिणामों ने स्पष्ट किया है कि मतदाताओं ने भ्रामक प्रचार को दरकिनार करते हुए विवेक से सत्ता परिवर्तन किया। तेलंगाना में वंशवाद की राजनीति को नकारते हुए बीआरएस से सत्ता छीनी गई। राजस्थान में बीजेपी की एकजुटता को कांग्रेस के बिखराव पर तरजीह मिली। मध्यप्रदेश में मुफ़्त इलाज और लाडली बहना योजना जैसे ठोस उपायों का समर्थन मिला। लोकसभा चुनावों में मतदाताओं ने यह संदेश दिया कि उन्हें ‘गारंटीड’ नहीं लिया जा सकता, जैसे उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी की सांसदों की संख्या में गिरावट और अयोध्या में हार। वहीं प्रधानमंत्री को अपने चुनाव क्षेत्र से हुआ लाखों वोटों का नुक़सान।
ईश्वर चन्द गर्ग, कैथल