स्वामी दयानंद के आदर्शों को अपनाएं तो समाज टूटने की अपेक्षा जुड़ेगा :आर्य
नारनौल, 25 अक्तूबर (हप्र)
आर्य समाज के विद्वान कप्तान जगराम आर्य ने कहा कि मृत्यु के बाद समाज में व्यक्ति के उन गुणों को याद किया जाता है, जो उसने नीजि हित की अपेक्षा दूसरों के लिए किये हों। डॉ यादव ने शिक्षा के साथ-साथ समाज सेवा और महर्षि दयानंद की विचारधारा को आगे बढ़ाने में महत्ती भूमिका निभाई। वह गुरुवार को विश्व प्रसिद्ध जीव वैज्ञानिक डा. जे.एस. यादव की बारहवीं पुण्य तिथि के अवसर पर उनके पैतृक गांव नीरपुर में आयोजित हवन एवं श्रद्धांजलि समारोह में उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यदि मनुष्य आज स्वामी दयानंद द्वारा दर्शाये गए आदर्शों को अपनाएं तो समाज टूटने की अपेक्षा जुड़ेगा तथा उसमें जाति भेद एवं अंहकार नहीं रहेगा।
इस अवसर पर प्राचार्य मदन गोपाल ने कहा कि डा. यादव ने अपने जीवनकाल में शिक्षा के साथ-साथ वैचारिक और सामाजिक पर्यावरण को सुधारने में महत्ती भूमिका निभाई। उन्होंने अपने जीवन में शिक्षा प्राप्ति के बाद कुरूक्षेत्र को अपनी कर्मस्थली बनाया। उनके जीवन के प्रत्येक पृष्ठ से कुछ न कुछ सीखने को मिलता है। डॉ यादव ने सामाजिक एकता को कायम रखते हुए कुरुक्षेत्र में योगेश्वर श्रीकृष्ण भवन का निर्माण करवाकर न केवल जातिय बंधनों पर कुठाराघात किया। पूर्व प्राचार्य एवं पर्यावरणविद डॉ रामनिवास यादव ने कहा कि डा.यादव कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय में पढऩे वाले दक्षिणी हरियाणा के सभी विद्यार्थियों के संरक्षक थे। उनके आवास से लेकर फीस व खाने तक की समस्याओं का वो हमेशा ध्यान रखते थे और उनका समाधान करते थे। साहित्यकार रघुवीन्द्र यादव ने कहा कि शिक्षा वह प्रकाश है जो जीवन से हर तरह के अंधेरे को दूर करता है। इस अवसर डा. यादव के पुत्र मेजर जनरल अरविंद यादव, डा. अतुल यादव, असीम राव, जेएस यादव की उनकी धर्मपत्नी कमला देवी, सुरेन्द्र नम्बरदार, राजकुमार खातौद, बल्ली शेखावत, साहित्यकार रघुविन्दर यादव, कप्तान हरिसिंह, पूर्व प्राचार्य मदन गोपाल, कप्तान बीरेंद्र सिंह, मास्टर संतलाल, अभय सिंह बोहरा, धर्मवीर प्रधान, सुबेदार दयानंद, करतार मास्टर, डॉ सोनल यादव, प्रवीण राव एडवोकेट, राजकुमार नीरपुर, सतीश सैनी, भालेंद्र यादव, देवेंद्र यादव, मनीष यादव, उत्कर्ष यादव, विभु यादव आदि उपस्थित थे।