बंद और धरने ऐसे ही होते रहे तो कारोबार ठप हो जायेंगे : पंकज
लुधियाना, 19 फ़रवरी (निस)
चेंबर ऑफ इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल अंडरटेकिंग्स के महासचिव पंकज शर्मा ने आज यहां कहा कि यदि पंजाब में लगातार विरोध प्रदर्शन और सड़कों पर यातायात ठप होते रहे तो पंजाब में उद्योग और व्यापार व ऐसी अन्य आर्थिक गतिविधियां बर्बाद हो जायेंगी और राज्य बुरी तरह से पिछड़ जायेगा। उन्होंने कहा कि राज्य में आय दिन बंद, रेल व मोटर यातायात ठप करना और राष्ट्रीय मार्गों पर धरने देने से विकास बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। उन्होंने कहा कि व्यापारी व कारोबारी राज्य में आने से बचने लगे हैं। वे पंजाब के उद्योग को नये आर्डर देने से हिचकिचाने लगे हैं क्योंकि वे इस बात से डरे हुए हैं कि पंजाब के उद्योगपतियों को दिया गया आर्डर समय पर भुगत भी सकेगा या नहीं। शर्मा ने कहा कि कई कारोबारियों को तो औद्योगिक क्षमता पर भी संदेह होने लगा है।
चैम्बर के वरिष्ठ नेता ने कहा कि ऐसे कई उदाहरण प्रस्तुत किये जा सकते हैं कि नियमित ग्राहकों ने अन्य राज्यों के कारखानों को नये आर्डर देने को प्राथमिकता दी है, जो पंजाब के लिए खतरे की लाल झंडी है। पंकज ने कहा कि गत सप्ताह के किसान यूनियनों द्वारा आयोजित भारत बंद और सड़कों पर धरनों से पंजाब के उद्योग व व्यापार पर प्रभाव दिखने लगा है। उन्होंने ‘बंद’ व ऐसी गतिविधियों से पंजाब में व्यावसायिक गतिविधियों को प्रभावित करने के तरीके पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि पंजाब के उद्योगपति या व्यापारी किसानों या उनकी मांगों के खिलाफ नहीं हैं, वे अपनी मांगों के लिए संघर्ष करें किसी को कोई आपत्ति नहीं है लेकिन किसान यूनियनों को राज्य में व्यापार और उद्योग के हितों के बारे में भी गम्भीरता से सोचना चाहिए।
उन्होंने किसान यूनियनों से विरोध की शैली में बदलाव करने के लिए आग्रह किया है। उन्होंने सुझाव दिया कि किसी भी आंदोलन की रणनीति ऐसी हो कि जनसाधारण और राज्य के उद्योग व व्यापार को उसका खमियाजा न भुगतना पड़े। सीआईसीयू के महासचिव ने कहा कि लुधियाना उद्योग चल रहे आंदोलन के कारण व परिवहन प्रणाली प्रभावित हो जाने के कारण आये दिन सैंकड़ों करोड़ों रुपये के नुकसान का सामना कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि परिवहन लागत बढ़ गई है, जिससे अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि बार-बार विरोध प्रदर्शनों से पंजाब की छवि को भी धक्का लगा है। वर्तमान परिस्थितियों से पंजाब के छोटे और मध्यम उद्यम सबसे अधिक शिकार हुए हैं।