‘आम इंसान की जिंदगी से जुड़ी भूमिकाएं पसंद’
रेणु खंतवाल
एक फिल्म फेयर पुरस्कार और दो इंडियन टेलिविजन अकादमी पुरस्कार प्राप्त अभिनेता विक्रांत मैसी अपने अभिनय के लिए हमेशा तारीफ पाते रहे हैं। हाल ही में उनकी फिल्म ‘12वीं फेल ’ खूब चर्चा में रही। विक्रांत ने अपने कैरियर की शुरुआत टीवी से की जिसमें धूम मचाओ धूम उनका पहला शो रहा। उसके बाद बालिका वधु में श्याम सिंह के किरदार ने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई। उन्होंने धरमवीर, बाबा ऐसो वर ढूंढो, झलक दिखला जा जैसे शो किए। वहीं वेब सिरीज मिर्जापुर, ब्रोकन बट ब्यूटीफुल, क्रिमिनल जस्टिस, मेड इन हैवन की भी खूब चर्चा रहीं। फिल्मों की बात करें तो छपाक, दिल धड़कने दो, लिपस्टिक अंडर माई बुर्का, राम प्रसाद की तेहरवीं जैसी कई फिल्में शामिल हैं। हाल ही में एक कंपनी ने उन्हें अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया है जिसके अनाउंसमेंट इवेंट में विक्रांत मैसी दिल्ली आए। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश –
आपके लिए किसी ब्रांड से जुड़ने की पहली प्राथमिकता क्या होती है?
मैंने अब तक ज्यादातर भूमिकाएं ऐसी निभाई हैं जो आम इंसान के जीवन को दर्शाती हैं। चाहे ‘12वीं फेल’ हो या मेरे अन्य किरदार हों। यही वजह है कि आम लोग मुझे पसंद भी करते हैं। किसी ड्राइव एप से जुड़ने की वजह बन जाती है यदि उसकी सर्विसेज आम इंसान के फायदे में हों और उसकी जिंदगी को आसान बनाती हों। मैं खुद एक आम आदमी की तरह जिंदगी जीता हूं। अपने लिए कई बार खुद कैब बुक करता हूं।
क्या सच में आप अपनी कार से न जाकर कैब करके ट्रैवल करते हैं?
हां, कई बार मैं ऐसा करता हूं। बल्कि मैं कैब में कम, ऑटो लेकर कहीं आना-जाना ज्यादा पसंद करता हूं। वह मुझे ज्यादा आसान लगता है। यह मुझे सोशल स्टेटस का मामला नहीं लगता। मेरे पास गाड़ी, स्कूटी और बाइक भी हैं। कई बार कहीं टाइम पर पहुंचना होता है तो मुंबई के ट्रैफिक में फंसने के बजाय मैं मैट्रो से भी चला जाता हूं। राजकुमार हिरानी के ऑफिस गाड़ी से जाऊं तो मुंबई के ट्रैफिक में दो घंटा लगता है जबकि मैं मैट्रो से 20-25 मिनट में पहुंच जाता हूं।
अभिनेता होने के नाते आपके लिए मैट्रो में या ऑटो में सफर करना आसान होता है?
मेरे लिए यह सामान्य बात है क्योंकि मैं सफर करता हूं। बहुत लोग पूछते हैं कि लोग परेशान नहीं करते। मैं बोलता हूं कोई परेशान नहीं करता। जो लोग पहचान लेते हैं वो आपसे बात करना चाहते हैं। दो-चार तस्वीरें, सेल्फी लेना चाहते हैं। आपसे हाथ मिलाना चाहते हैं। मुझे लगता है कि जिन लोगों की वजह से आप हैं, आपकी फिल्में चल रही हैं, आपको काम मिल रहा है, उनको आप इतना भी नहीं दे सकते तो यह बहुत गलत बात है।
आपका जो यह लुक है वह आपके अपने लिए है या फिर आने वाली किसी फिल्म के लिए कैरेक्टर का लुक है?
आजकल मैं बहुत आलसी हो गया हूं इसलिए शेव नहीं कर रहा हूं। मैं छुट्टियां मना रहा हूं। लेकिन जो आपने कहा वो हो भी सकता है। इस राज़ को तो मैं बाद में खोलूंगा।
आने वाले प्रोजेक्ट क्या हैं आपके?
‘साबरमती रिपोर्ट’ का टीज़र आ चुका है। अभी मेरा पूरा फोकस साबरमती रिपोर्ट पर है।
आपने जिस तरह का काम टीवी पर किया, सिनेमा में करते हैं उसमें किरदार काफी हटकर होते हैं। क्या वजह है?
मुझे अच्छा लगता है कि मैं अपने किरदारों के माध्यम से आम इंसान की बात करूं। आम आदमी के संघर्ष को उसके जीवन चरित्र को पेश करूं। हाल ही में जिस तरह आपने फिल्म 12वीं फेल में देखा कि गरीबी में जीने वाला लड़का कैसे अपनी मेहनत और संघर्ष से आईपीएस बनता है। मुझे इसी तरह के आम किरदार पसंद हैं।
आप खुद कैसे स्टूडेंट रहे हैं?
मैं शुरुआत में जब तक निक्कर पहनता था खूब पढ़ाकू बच्चा था लेकिन जैसे ही पैंट पहन कर स्कूल जाने लगा एवरेज स्टूडेंट हो गया। क्योंकि तब ध्यान बाकी कामों में भी लग गया। डांस सीखने लगा। हमारे मुंबई में 10वीं के बाद पढ़ाई को कॉलेज बोलते हैं। पहले साल में प्रि एग्जाम में मैं 9 में से 6 विषयों में मैं फेल हो गया था। मेरी मम्मी को स्कूल बुलाया और कहा कि हम इसे हॉल टिकट नहीं देंगे, यह स्कूल की इमेज खराब कर देगा। लेकिन मैंने उन्हें भरोसा दिलाया और मैं पास हो गया। मैं आज जो कुछ भी हूं अपने स्कूल की वजह से ही हूं क्योंकि मैं डांस, खेल और को-करिकुलर एक्टिविटीज में आगे रहता था। मेरे टीचर्स मुझे बहुत मोटिवेट भी करते थे।