मिल न सका अपना असली मुकाम
कैलाश सिंह
अरुणा ईरानी की अभिनय प्रतिभा व नृत्य कौशल का दुनिया लोहा मानती है। उनकी सुंदरता के भी सभी दीवाने हैं। ऐसे में उन्हें फिल्मों में लीड हीरोइन होना चाहिए था। हीरोइन बनने का उन्हें अवसर भी मिला, लेकिन हालात ने उन्हें बड़े पर्दे के नेगेटिव व चरित्र किरदारों की एक्ट्रेस बना दिया। बहरहाल, अरुणा ईरानी ने मात्र नौ साल की आयु में अपना फ़िल्मी सफ़र दिलीप कुमार की एक फिल्म से किया था। तभी से वह लीड हीरोइन बनने के सपने देखने लगी थीं। किसी हद तक उनका यह सपना साकार भी हुआ जब 1972 में महमूद ने उन्हें ‘बॉम्बे टू गोआ’ में अमिताभ बच्चन के साथ उनकी हीरोइन के रूप में कास्ट किया। इसी तरह वह जितेन्द्र के साथ भी ‘कारवां’ में हीरोइन के रूप में आयीं। इस फिल्म के लाइफटाइम टिकट (31 करोड़) फिल्म ‘शोले’ के लाइफटाइम टिकट (25 करोड़) से अधिक थे। लेकिन इंडस्ट्री ने उन्हें नेगेटिव रोल्स ही दिए, जबकि वह हास्य भूमिकाएं निभाने में भी निपुण थीं और हैं।
कामयाबी की हक़दार थीं लेकिन...
अरुणा ईरानी जिस सफलता की हक़दार थीं वह उन्हें शायद इस कारण से न मिल सकी कि कैरियर के शुरू में ही उनका नाम दो शादीशुदा मर्दों- महमूद व कुकू कोहली से जुड़ गया। उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि किसी शादीशुदा आदमी से शादी करने के बाद काफी परेशानियां आती हैं, जैसे ‘मेरी शादी एक शादीशुदा आदमी से हुई है।’ अरुणा ईरानी ने कुकू कोहली से 1990 में शादी की थी। अरुणा ईरानी का जन्म 3 मई 1946 को बॉम्बे में हुआ था। उनके पिता ईरानी और मां हिन्दू थीं। उनके पिता फरिदुन ईरानी एक ड्रामा कंपनी चलाते थे और मां सगुना अभिनेत्री थीं। अरुणा अपने आठ भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं और एक्टर बिंदु उनकी कज़न हैं। उनके भाई इंद्र कुमार, आदि ईरानी व फ़िरोज़ ईरानी भी फिल्मोद्योग से जुड़े हुए हैं।
बतौर बाल कलाकार फिल्मों में प्रवेश
अरुणा को छठी कक्षा के बाद स्कूल को अलविदा कहना पड़ा क्योंकि सभी बच्चों को शिक्षित करने हेतु उनके परिवार के पास पैसे नहीं थे। फिल्मों में काम करते हुए ही उन्होंने नृत्य सीखा क्योंकि किसी मास्टर से प्रोफेशनल ट्रेनिंग लेने के लिए भी पैसे नहीं थे। अपने परिवार की आर्थिक मदद करने के उद्देश्य से अरुणा ईरानी ने बतौर बाल कलाकार फिल्मों में प्रवेश किया। सबसे पहले उन्होंने दिलीप कुमार की फिल्म ‘गंगा जमुना’ में अजरा के बचपन की भूमिका अदा की थी और इसके बाद उन्होंने ‘अनपढ़’ (1962) में माला सिन्हा के बचपन की भूमिका निभायी। फिर उन्होंने अनेक फिल्मों में छोटी-छोटी भूमिकाएं अदा कीं।
सत्तर के दशक में उन्हें बतौर लीड हीरोइन कई फिल्मों में लिया गया, जिनका ऊपर उल्लेख किया जा चुका है। वह फ़िल्में तो सफल रहीं, लेकिन अरुणा लीड हीरोइन का सफ़र जारी न रख सकीं और वैम्प व चरित्र भूमिकाएं करने लगीं। 1980 व 1990 के दशकों में वह मां की भूमिकाओं में आने लगीं। हिंदी, कन्नड़, मराठी व गुजराती में पांच सौ से अधिक फिल्मों में काम करने वाली अरुणा की प्रतिभा का इसी बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि फिल्मफेयर अवार्ड्स में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री की श्रेणी में उन्हें रिकॉर्ड 10 नामंकन मिल चुके हैं, जिनमें से उन्होंने दो जीत हासिल कीं ‘पेट प्यार और पाप (1985) व ‘बेटा’ (1992)।
महमूद से अफेयर
जनवरी 2012 में अरुणा को 57वें फिल्मफेयर अवार्ड्स में उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। 1995 व 2019 के बीच अरुणा ने दो दर्जन से अधिक टीवी धारावाहिकों में काम किया। अरुणा का नाम महमूद से जुड़ा, जोकि पहले से ही शादीशुदा व्यक्ति थे। अपने एक हाल के इंटरव्यू में उन्होंने इस संदर्भ में महमूद को ‘ईश्वर की तरफ़ से भेजा गया फरिश्ता’ कहा। अरुणा के अनुसार यह जानते हुए भी कि महमूद विवाहित थे, वह उनके लिए ‘दोस्त से अधिक’ थे। शादीशुदा थे, इसलिए यह संबंध आगे न बढ़ सका।
छिपाकर रखनी पड़ी कोहली से शादी
विरोधाभास देखिये कि अरुणा आखि़रकार एक पूर्व विवाहित व्यक्ति की ही पत्नी बनीं। फिल्ममेकर कुकू कोहली से अरुणा ने अपनी शादी को कई वर्षों तक सार्वजनिक नहीं किया क्योंकि उनका पहली पत्नी से तलाक़ नहीं हुआ था। वह कहती हैं, ‘कुकू कोहली से मेरा संबंध किसी को दुःख पहुंचाना नहीं था या किसी को किसी से छीनना नहीं है।’ कोहली की पहली पत्नी के निधन के बाद अरुणा धीरे-धीरे अपने संबंध को सार्वजनिक करने लगीं।
-इ.रि.सें.