मुख्यमंत्री पद की उम्मीद मुझे भी और मेरे समाज को भी : सैलजा
चंडीगढ़, 10 सितंबर (ट्रिन्यू)
पूर्व केंद्रीय मंत्री व सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने हरियाणा में मुख्यमंत्री पद को लेकर खुलकर अपनी दावेदारी पेश कर दी है। उनका कहना है कि इस बार मुख्यमंत्री पद की उम्मीद मुझे भी है और मेरे समाज को भी। विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा फिर से जाहिर करते हुए सैलजा ने कहा,’मैं चुनाव लड़ना चाहती हूं और मेरी टिकट का फैसला हाईकमान करेगा।’ पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर भी उन्होंने बिना नाम लिए इशारों-इशारों में निशाना साधा।
दिल्ली में एक न्यूज चैनल से विशेष बातचीत में सैलजा ने कहा कि वे भी सीएम पद की दावेदार हैं और विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती हैं। हुड्डा पर हमला करते हुए उन्होंने कहा,’पहले वे अपने घर में तय करें कि सीएम कौन होगा।’ मीडिया के सवाल के जवाब में राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि आप पार्टी के सीएम उम्मीदवार की बात कर रहे हैं, वहां घर में ही फैसला नहीं हो पा रहा। उनका इशारा भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे व रोहतक सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा की ओर था।
सैलजा ने कहा,’सीएम पद की उम्मीद मुझे भी है और मेरे समाज को भी। मैं अगर विधानसभा चुनाव लड़ती हूं तो इससे पूरी पार्टी को फायदा होगा। मैंने लोकसभा से पहले ही कहा था कि मैं विधानसभा चुनाव लड़ूंगी।’
यूपी की मुख्यमंत्री व बसपा सुप्रीमो कुमारी मायावती पर हमला बोलते हुए सैलजा ने कहा कि उनकी पार्टी का हरियाणा में न आधार है न ही कोई असर। भाजपा के खिलाफ प्रदेश में एंटी-इन्कमबेंसी का माहौल है। भाजपा में भगदड़ मची है। कांग्रेस में सीएम पद के दावेदारों से जुड़े सवाल पर सैलजा ने कहा कि पार्टी में संघर्ष है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि मैं उम्मीद भी न रखूं। अगर मुझे मौका मिला तो मैं सभी को साथ लेकर चलूंगी।
कांग्रेस की गुटबाजी को लेकर सांसद ने कहा कि पार्टी में खींचतान तो रहती है। चुनाव में तो ज्यादा ही हो जाती है। एक ही उम्मीदवार होता है और टिकट मांगने वाले कई। अंतिम फैसला हाईकमान ही करता है। वह फिर विधानसभा टिकट का हो या फिर मुख्यमंत्री पद का।
उन्होंने दो-टूक कहा कि सूबे में मुख्यमंत्री हाईकमान का होगा। हरियाणा में पूर्ण बहुमत की सरकार बनने का दावा करते हुए सैलजा ने कहा कि मेरे चाहने से दलित सीएम नहीं बनेगा। समय के साथ राजनीति बदली है और पार्टी का नजरिया भी। उम्मीदें सब रखते हैं। समाज की भी और व्यक्तिगत भी। पार्टी की सिपाही हूं। मैंने अपनी बात कह दी, इच्छा जता दी है।