कैसे थमें सड़क हादसे
यातायात के नियमों का पालन न करना, शराब पीकर तीव्र गति से वाहन चलाना, मोबाइल से बात करना, यातायात मार्गों में खड्डे होना, स्पीड ब्रेकर व यातायात चेतावनी संकेत पट्टिका का अभाव सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि करता है। प्राकृतिक कारणों में धुंध-कोहरा के दौरान चालकों द्वारा लाल बत्तियों को न जलाना अथवा ब्रेक लाइट का खराब होना है। कारगर स्वास्थ्य सेवाएं, साफ-सुथरे यातायात मार्ग, शराब व मोबाइल का प्रयोग वाहन चलाने वालों पर लगाम, संकेत पट्टिकाएं तथा मीडिया के माध्यम से प्रचार-प्रसार की मदद से सड़क हादसों में कमी आ सकती है।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
दुख की बात है कि 2020 में सड़क दुर्घटना में एक लाख बीस हज़ार लोग मारे गए। आज भी गांव या शहरों में सड़कों की हालत ठीक नहीं है, जिसका खमियाजा दुर्घटना के रूप में भुगतना पड़ता है। सरकार को सड़कों का मरम्मत कार्य शीघ्र करवाना चाहिए ताकि दुर्घटनाओं पर लगाम लगाई जा सके। दूसरा सबसे बड़ा दुर्घटना का कारण नाबालिग बच्चों को वाहन चलाने के लिए देना। माता-पिता का बच्चों पर नियंत्रण जरूरी है। इसके अतिरिक्त, चालक सड़क नियमों का सख्ती से पालन नहीं करते हैं।
सतपाल सिंह, करनाल
जागरूकता अभियान चले
सड़क हादसों में हर साल एक लाख से भी ज्यादा लोगों की जान जाती है, इसका कारण जल्दबाजी व लापरवाही तो है ही, लोग अपने जीवन मूल्य ही भूल गए हैं। हमें यातायात के नियमों का पालन करते हुए, अपने साथ-साथ दूसरों का भी ध्यान रखना होता है। दोषी तो काफी हद तक सड़कें भी हैं, लेकिन इससे भी बड़ा कारण है सड़क सुरक्षा नियमों की पूरी जानकारी का न होना। मोटर वाहन चालकों, पैदल यात्री, साइकिल चालक यहां तक कि पुलिस कर्मियों तक को भी यातायात नियमों की पूरी जानकारी का अभाव है। इसके लिए सरकार, सामाजिक संस्था और संगठन भी स्कूल-कॉलेजों व अन्य स्थानों पर समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाएं।
हर्षिता जांगड़ा, तोशाम, भिवानी
सड़क हादसों का कारण अनियंत्रित गति, ड्राइवर द्वारा शराब का सेवन, ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करना, बसों में अधिक सवारी भरना, सड़कों एवं गाड़ियों का रख-रखाव सही नहीं होना और बच्चों का बिना लाइसेंस गाड़ी चलाना इत्यादि। सड़क दुर्घटनाओं में उपचार हेतु अभी तक ट्रॉमा सेंटर नहीं बन पाए हैं। एम्बुलेंस की कमी है, समय पर इलाज नहीं मिलने से काफी जानें चली जाती हैं। ट्रैफिक नियमों की अवहेलना पर कठोर दण्ड राशि, लाइसेंस रद्द करना जैसे नियम सख्त हों। सड़क सुरक्षा सप्ताह से जागरूकता तो जनता में ला रहे हैं लेकिन अभी भी आबादी की तुलना में व्याप्त संसाधन और नेटवर्क विकसित करने का प्रयास करना होगा।
भगवानदास छारिया, इंदौर
देश में प्रति वर्ष बड़ी संख्या में सड़क दुर्घटनाओं में लोग बे-मौत मारे जाते हैं। यातायात के नियमों की लापरवाही इसका एक बड़ा कारण है। मोबाइल पर बात करते, तेज रफ्तार से गाड़ी चलाते हुए लोगों को आम देखा जा सकता है। लोगों की लापरवाही के साथ-साथ शासन-प्रशासन की ढिलाई भी देखी जा सकती है। दुर्घटना होने पर उचित समय पर उपचार न मिलना, सरकारी प्रबन्ध की कमजोरी ही दर्शाता है। सड़क हादसों को रोकने के लिए सरकार को यातायात के नियमों की पालना के लिए सख्ताई बरतने की ज़रूरत है।
सतीश शर्मा, माजरा
अब तो सड़क दुर्घटनाओं में सड़कों पर रात के समय बैठने वाले गोवंश भी बढ़ोतरी करने का कारक बन गए हैं। वहीं लापरवाही से वाहन चलाने वालों को सजा देने वाला तंत्र मजबूत नहीं है। यातायात पुलिस भी खानापूर्ति करती है और वह भी व्यक्ति की हैसियत के हिसाब से चालान करती है। यहां दोहरा मापदण्ड अपनाया जाता है। सड़कें कोई एक दिन में ठीक नहीं हो सकतीं लेकिन लापरवाही से या तेज रफ्तार से वाहन चलाने वालों पर तो कार्रवाई की जा सकती है। इसके साथ लोगों को जागरूक करना जरूरी है।
जगदीश श्योराण, हिसार
पुरस्कृत पत्र
सजगता-सतर्कता जरूरी
सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले लोगों के आंकड़े वास्तव में चिंताजनक हैं। कई बार प्रतिस्पर्धा के कारण चालक अपने वाहनों की रफ्तार बढ़ा देते हैं। प्रत्येक लेन व हर प्रकार के वाहनों के लिए गति सीमा तय है। इसका कड़ाई से पालन होना चाहिए। चालक का पूरा ध्यान ड्राइविंग पर ही होना चाहिए। नागरिकों की लापरवाही भी इन दुर्घटनाओं को बढ़ावा देती हैं। बसों के पीछे लटक कर या छतों पर बैठ कर सफ़र करना इन हादसों को निमंत्रण देने जैसा है। सामान ढोने वाले वाहनों में यात्रियों के सफ़र पर पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए। सड़कों का दोषपूर्ण होना भी हादसों का एक प्रमुख कारण है। ड्राइवरों के आराम व पर्याप्त नींद की व्यवस्था इन दुर्घटनाओं की रोकथाम में एक अहम भूमिका निभा सकती है।
शेर सिंह, हिसार