कैसे देखें हम दिवाली की चमक-दमक
सहीराम
दिवाली की चमक-दमक उतनी नहीं है, जितना कोहरा है। कोहरा होता तो गनीमत थी। अंग्रेजी वालों ने अच्छा किया कि इसका स्मॉग नाम रख दिया। हिंदी वाले भी नाराज होने की बजाय इसका कोई अच्छा-सा नाम रख सकते हैं, कुछ वैसे ही कि तुम भी अच्छा-सा रख लो अपने अफसाने का नाम। बेशक स्मॉग जानलेवा हो, फिर भी नाम तो अच्छा-सा रखा ही जा सकता है। दिवाली आई तो वे घोषणावीर इस बार पता नहीं कहां चले गए जो चीनी लड़ियों का बिना नागा हर वर्ष बहिष्कार करने की घोषणा किया करते थे। हो सकता है चुनावों में व्यस्त हों। या फिर कहीं रेव पार्टियों में तो व्यस्त नहीं हैं? आजकल उनकी भी बहुत चर्चा है। वैसे भैया सच बताएं, हमें तो पता नहीं कि यह होती क्या हैं? किसी सेलिब्रिटी से पूछो, वही अच्छे से बता सकता है कि यह होती क्या हैं!
अच्छी बात यही है जनाब कि इस स्मॉग के लिए किसानों के पराली दहन को जिम्मेदार बताने वाले वीर अभी भी मैदान में डटे हुए हैं। इससे ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के मजे आए हुए हैं और देशी-विदेशी रंग-बिरंगी गाड़ियों में चलने वालों के भी। ऐसे में यह गाना गाया जा सकता है कि देखो वीर बहादुरो ऑटो इंडस्ट्री पर कोई इल्जाम न आए। अलबत्ता इधर देश की राजधानी में ऑड-ईवन की फिर चर्चा है। इसे लागू करने वालों को गलियाने-लतियाने और जुतयाने का एक और बहाना मिल जाएगा। लेकिन जनाब यह तो मानना पड़ेगा कि हवा जहरीली है। अभी थोड़े पटाखे और चलने दो।
खैर, जैसे हमें गर्व करने का कोई बहाना चाहिए, चाहे सुदूर कैरेबियन गुयाना में भारतीय मूल के किसी व्यक्ति के प्रधानमंत्री बनने पर ही गर्व क्यों न करना पड़े। ऋषि सुनक तो इंग्लैंड का ही मामला है। उन पर तो हम इसलिए गर्व कर सकते हैं कि अंग्रेजो तुमने हम पर दो सौ साल राज किया, लो अब हम तुम पर राज करेंगे। भले ही ऋषि सुनक अपने को कितना ही ब्रिटिश मानें।
खैर, तो जैसे हमें गर्व करने का कोई न कोई बहाना चाहिए वैसे हमें नाराज होने का भी कोई न कोई बहाना चाहिए- फिर चाहे ऑड-ईवन पर ही क्यों न नाराज होना पड़े। अरे यार, हमने गाड़ी क्या घर में खड़ी करने के लिए खरीदी है। लोग देखें तो सही कि हमारी गाड़ी कितनी इतराती हुई सड़क पर चलती है। यार, स्मॉग में लोग क्या खाक देखेंगे, पर नहीं जी ऑड-ईवन तो नहीं चाहिए। और तो और हम इसलिए भी नाराज हो सकते हैं कि कोर्ट हमें पटाखे नहीं चलाने दे रहा। कोर्ट दूसरों को कटघरे में खड़ा करता है और यह पटाखावीर कोर्ट को ही कटघरे में खड़ा कर देते हैं। अरे यारो पहले सांस तो ले लो, देखो उखड़ रही है। और वैसे भी त्योहार का दिन है यार। हंस-खेल कर मनाओ न!