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आर्थिकी के मजबूत होकर आगे बढ़ने की उम्मीदें

06:11 AM Jun 04, 2024 IST
आर्थिकी के मजबूत होकर आगे बढ़ने की उम्मीदें
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डॉ. जयंतीलाल भंडारी

देश के आर्थिक परिदृश्य में शुभ संकेत दिखाई दे रहे हैं। हाल ही में केंद्रीय सांख्यिकी संगठन ने वर्ष 2023-24 में देश की विकास दर 8.2 फीसदी रहने संबंधी रिपोर्ट जारी की है। देश के शेयर बाजार फर्राटा भर रहे हैं। आर्थिक व वित्तीय बाजार मजबूत हो रहे हैं। वित्तीय और गैर वित्तीय क्षेत्रों के दमदार बही-खाते भारत की आर्थिक ताकत बढ़ा रहे हैं। रिजर्व बैंक द्वारा भारत सरकार को दिया गया रिकॉर्ड लाभांश, शेयर बाजार में निवेशकों का उत्साह और दुनिया की प्रमुख क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा भारत के विकास के प्रभावी विश्लेषण प्रस्तुत किए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि हाल ही में वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने मजबूत आर्थिक वृद्धि, तेज आर्थिक सुधार और बढ़ती राजकोषीय मजबूती के मद्देनजर भारत की रेटिंग को स्थिर यानी स्टेबल से बदलकर पॉजिटिव कर दिया है। रेटिंग एजेंसी का कहना है कि पिछले तीन साल में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की औसत वास्तविक वृद्धि दर 8.1 फीसदी सालाना रही है और अब यह विकास दर अगले तीन साल में लगातार 7 फीसदी के करीब होगी। इन्वेस्टमेंट बैंकर गोल्डमैन सैक्स ने अपनी रिपोर्ट में 2024 में भारत की विकास दर को बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है। अन्य महत्वपूर्ण नई रिपोर्टों के तहत अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष- आईएमएफ ने 6.8 प्रतिशत, एशियाई विकास बैंक- एडीबी ने 7 प्रतिशत तथा विश्व बैंक ने 7.5 प्रतिशत विकास दर रहने के अनुमान व्यक्त किए हैं।
विशेषज्ञों का मत है कि भारत की विकास दर आगामी दशक तक 6.5-7 प्रतिशत के स्तर पर दिखाई देगी। विभिन्न रिपोर्टों में रेखांकित किया जा रहा है कि भारत में वर्ष 2023-24 में प्रत्यक्ष कर संग्रह 17.7 फ़ीसदी बढ़कर 19.58 लाख करोड़ रुपए हो गया है। इसी तरह वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) उच्चतम स्तर पर रहा है। इसका आकार 20.18 लाख करोड़ रुपए रहा है, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 11.7 फ़ीसदी अधिक है। कर संग्रह के ये आंकड़े अर्थव्यवस्था में तेज उछाल और व्यक्तियों तथा कॉर्पोरेट सेक्टर की आमदनी में वृद्धि को दर्शाते हैं।
आरबीआई द्वारा हाल ही में सरकार के लिए अब तक के सबसे अधिक लाभांश की राशि सुनिश्चित की गई है, वहीं दूसरी ओर शेयर बाजार में सूचकांक की जो रिकॉर्ड ऊंचाई दिखाई दे रही है, उससे दुनिया में भारत के नए तेज विकास की संभावनाएं आगे बढ़ी हैं। रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2023-24 में सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपये लाभांश देने की मंजूरी दी है जो बजट अनुमान की तुलना में 107 फीसदी ज्यादा है। यह सरकार के लिए मौजूदा वित्त वर्ष में 1.09 लाख करोड़ रुपये के अप्रत्याशित लाभ जैसा है। रिजर्व बैंक ने पहली बार आकस्मिक जोखिम बफर (सीआरबी) बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया गया है, जो पहले 6 फीसदी था।
रिजर्व बैंक द्वारा रिकॉर्ड लाभांश देने के निर्णय और वैश्विक आर्थिक संगठनों व क्रेडिट एजेंसियों के द्वारा 2024-25 में भारत की ऊंची विकास दर के अनुमानों के बाद भारतीय शेयर बाजार को लाभ मिला। बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण पांच लाख करोड़ ड़ॉलर के पार पहुंचने के साथ ही भारत इस मुकाम तक पहुंचने वाला पांचवां सबसे बड़ा देश बन गया है। कोरोना के बाद भारतीय घरेलू खुदरा निवेशकों की रुचि शेयर बाजार में बढ़ी है। पिछले 10 साल में डीमेंट अकाउंट 2.3 करोड़ से बढ़कर 15 करोड़ हो गए हैं और म्यूचुअल फंड-निवेशकों की संख्या 1 करोड़ से 4.5 करोड़ हो गई। पिछले 10 पूर्व जो सेंसेक्स 25,000 अंकों पर था, आज 75,000 अंक से अधिक पर पहुंच गया। लाखों छोटे निवेशक बाजार से जुड़े हैं। भारत चौथा सबसे बड़ा शेयर बाजार है और वैश्विक निवेशकों का भरोसा भी इस पर बढ़ा है।
ऐसी आर्थिक मजबूती से देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में वृद्धि होगी। यह देश की उत्पादक क्षमता बढ़ाएगा और वृद्धि की संभावनाओं को बेहतर करेगा। ऐसे माहौल में न केवल देश में ज्यादा एफडीआई लाने में मदद मिलेगी, बल्कि यह विदेशी कंपनियों और निवेशकों को प्रोत्साहित करेगा कि वे भारत से हुई कमाई को फिर भारत में ही निवेश करेंें। इससे भारत में कारोबारी माहौल में सुधार होगा। यह सुधार घरेलू निवेशकों को भी बड़े पैमाने पर निवेश बढ़ाने के लिए प्रेरित करेगा। एफडीआई यानी विदेशी निवेशक तकनीकी विशेषज्ञता भी लाते हैं। चूंकि भारत लगातार चालू खाते के घाटे से जूझ रहा है और भारत को विदेशी बचतों को हासिल करने की जरूरत है, इसलिए एफडीआई विदेशी बचतों के सबसे टिकाऊ स्रोत के रूप में लाभप्रद होगा।
निश्चित रूप से वर्ष 2023-24 में भारत की विकास दर के 8.2 प्रतिशत रहने, शेयर बाजार के बढ़ने, रिजर्व बैंक द्वारा सरकार को बंपर लाभांश दिए जाने से सरकार को व्यय प्रबंधन में खासी मदद मिलेगी। फरवरी 2024 में संसद में पेश किए वित्त वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में सरकार ने 5.1 प्रतिशत राजकोषीय घाटे का लक्ष्य रखा है वहीं वित्त वर्ष 2025-26 तक राजकोषीय घाटा जीडीपी के 4.5 प्रतिशत पर लाना चाहती है। पूंजीगत व्यय के लिए उपलब्ध धन बढ़ने से निश्चित रूप से राजकोषीय घाटे की गुणवत्ता को बल मिलेगा।

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