हुड्डा ने जीती टिकट की जंग, अब प्रचार में दिखेगा दम
दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 26 अप्रैल
हरियाणा के पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने साबित कर दिया है कि पार्टी हाईकमान में उनकी मजबूत पकड़ भी है और जलवा अभी भी कायम है। बेशक, टिकटों के फैसले में पार्टी की आंतरिक खींतचान और गुटबाजी के चलते देरी हुई, लेकिन आठ में से सात संसदीय क्षेत्रों में अपनी पसंद के नेताओं को टिकट दिलवा कर हुड्डा ने पहली ‘जंग’ जीत ली है। प्रत्याशियों के ऐलान के साथ ही अब हुड्डा की अगली ‘परीक्षा’ भी शुरू हो गई है।
यह परीक्षा होगी चुनावी मैनेजमेंट और कांग्रेस प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करवाना। पार्टी हाईकमान ने न केवल एक तरह से हुड्डा को ‘फ्री-हैंड’ दिया है, बल्कि उन पर पूरा भरोसा भी जताया है। मजबूत चेहरों के साथ हुड्डा ने टिकट आवंटन में जातिगत संतुलन भी साधने की कोशिश की है। इतना ही नहीं, प्रत्याशियों के चयन के जरिये उन्होंने प्रदेश में कांग्रेस में ही अपने विरोधियों द्वारा कथित तौर पर किए जा रहे प्रचार को भी तोड़ने की कोशिश की है।
प्रदेश में लम्बे समय के बाद यह पहला मौका है जब कांग्रेस ने टिकट आवंटन में सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले को अपनाया है। पिछले तीन यानी 2009, 2014 व 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने राज्य की 10 सीटों में से चार पर जाट प्रत्याशियों को टिकट दिए थे। इस बार केवल दो यानी रोहतक से दीपेंद्र सिंह हुड्डा और हिसार से जयप्रकाश ‘जेपी’ को ही जाट कोटे से टिकट मिला है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित अंबाला और सिरसा को छोड़कर बाकी जगह दूसरी जातियों को साधने की कोशिश की है। 2009 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने भिवानी-महेंद्रगढ़ से श्रुति चौधरी, हिसार से जयप्रकाश ‘जेपी’, रोहतक से दीपेंद्र सिंह हुड्डा और सोनीपत से जितेंद्र सिंह मलिक को जाट कोटे से टिकट दिया था। हिसार में हजकां के चौ़ भजनलाल के मुकाबले जयप्रकाश ‘जेपी’ चुनाव हार गए थे, लेकिन बाकी तीनों जगहों पर जाट प्रत्याशी जीते थे। 2014 के चुनावों में कांग्रेस ने रोहतक से दीपेंद्र हुड्डा, भिवानी-महेंद्रगढ़ से श्रुति चौधरी, सोनीपत से जगबीर सिंह मलिक और हिसार से पूर्व वित्त मंत्री प्रो़ संपत सिंह को टिकट दिया था।
इन चुनावों में अकेले दीपेंद्र हुड्डा ही चुनाव जीत सके थे। 2019 के लोकसभा चुनावों में भी कांग्रेस ने चार जाट चेहरों पर दांव लगाया था। चारों ही चुनाव हारे। इनमें सोनीपत से भूपेंद्र सिंह हुड्डा, रोहतक से दीपेंद्र हुड्डा, कुरुक्षेत्र से निर्मल सिंह और भिवानी-महेंद्रगढ़ से श्रुति चौधरी शामिल रहे। इस बार जाट बाहुल्य कहे जाने वाले सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में भी इस बार कांग्रेस ने भाजपा के ब्राह्मण उम्मीदवार मोहनलाल बड़ौली के मुकाबले ब्राह्मण कोटे से ही सतपाल ब्रह्मचारी को टिकट देकर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है।
माना जा रहा है कि दूसरी जातियों को साधने के लिए ही कांग्रेस ने यह फार्मूला अपनाया है। कुरुक्षेत्र में भाजपा के वैश्य प्रत्याशी नवीन जिंदल के सामने पहले से ही इंडिया गठबंधन के सुशील गुप्ता चुनाव लड़ रहे हैं। भिवानी-महेंद्रगढ़ में लम्बे समय के बाद जाट धर्मबीर सिंह के मुकाबले गैर-जाट यानी राव दान सिंह को टिकट देकर समीकरण बदलने की कोशिश की है। करनाल में पंजाबी वोट बैंक को साधने के लिए भाजपा के हेवीवेट मनोहर लाल के मुकाबले कांग्रेस ने भी इसी जाति के दिव्यांशु बुद्धिराजा को मैदान में उतार दिया है। इसी तरह से फरीदाबाद में गुर्जर कार्ड खेला है। भाजपा के केपी गुर्जर के मुकाबले कांग्रेस ने पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह को गुर्जर कोटे से टिकट दिया है।
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