बेजुबान पक्षियों के लिए आशियाना, अस्पताल साथ-साथ
बिजेंद्र सिंह/हप्र
पानीपत, 12 अक्तूबर
पानीपत शहर में पक्षियों के आशियाने की समस्या को देखते हुए भगवान महाबीर स्वामी चेरिटेबल ट्रस्ट ने करीब पांच साल पहले सेक्टर 11-12 में एंजल मॉल से कुछ दूरी पर ड्रेन के पास खाली पड़ी जगह में एक 40-45 फीट की ऊंचाई का पक्षियों का आशियाना बनवाया था, जिसका उदघाटन तत्कालीन शहरी विधायक रोहिता रेवड़ी ने 22 सितंबर, 2019 को किया था। पक्षियों के इस आशियाने में एक समय में करीब एक हजार पक्षियों के जोड़े रह सकते हैं। ट्रस्ट ने उस समय वहीं पर पक्षियों के लिये एक दाना स्थल भी बनवाया और पानीपत शहर के बहुत से क्षेत्रों के लोग अब उसी दाना स्थल पर पक्षियों के लिये दाना डालने आते हैं। ट्रस्ट ने इसी आशियाना व दाना स्थल के पास ही जालियों का एक बड़ा कमरानुमा स्थान बनवाया गया है, जिसमें घायल पक्षियों का फ्री इलाज किया जाता है। पक्षियों के इस अस्पताल में हर माह 150-200 पक्षी आते हैं और ट्रस्ट के सेवक नीरज द्वारा इनका इलाज किया जाता है एवं देखरेख की जाती है।
फव्वारे के लिये बिजली का नहीं मिला कनेक्शन
बन चुके हैं कई अन्य पक्षियों के आशियाने : सुरेश जैन
सुरेश जैन ने बताया कि उनकी ट्रस्ट ने पानीपत में सबसे पहले पक्षियों का आशियाना बनाया था, लेकिन अब तो पानीपत के गांव सींक पाथरी में ऐतिहासिक माता के मंदिर के पास, गांव अहर कुराना सहित पानीपत के कई अन्य स्थानों, जींद के सफीदों में करीब 80 मंजिलें ऊंचाई के आशियानें बन चुके हैं। रोहतक के सांपला में भी आशियाना निर्माणाधीन है, लेकिन किसी अन्य आशियाने के पास पक्षियों का अस्पताल नहीं है और हमारे ट्रस्ट द्वारा ही पक्षियों का आशियाना, अस्पताल व पक्षियों के नहाने के लिये फव्वारा बनवाया गया है। उन्होंने बताया कि जल्द ही इस 40-45 फीट ऊंचाई वाले पक्षियों के आशियाने को 80 मंजिला बनवाया जाएगा, ताकि शहर के ज्यादा पक्षी यहां पर रह सकें।
अस्पताल में आ जाते हैं 150 से 200 घायल पक्षी
ट्रस्ट के प्रधान सुरेश जैन के अनुसार पक्षियों के इस अस्पताल में कुछ लोग तो जो पक्षियों को पालते हैं और उनके पक्षी किसी वजह से घायल हो जाते हैं, वे लोग घायल पक्षियों को यहां पर छोड़ जाते है। जो भी व्यक्ति घायल पक्षी को इस अस्पताल में छोड़कर जाता है, तो उससे कोई भी पैसा नहीं लिया जाता। इसके अलावा बिजली का करंट लगने, पंखे से कटे या किसी अन्य वजह से पक्षी घायल होते है और दूसरे लोग भी यहां पर लाकर छोड़ देते हैं। हर माह 150 से 200 घायल पक्षी इस अस्पताल में आ जाते हैं। इस अस्पताल में अब करीब 150 पक्षी है, जिसमें कई रंगों के कबूतर, चिड़िया व तोता आदि शामिल हैं। कुछ खरगोशों का भी यहीं पर इलाज चल रहा है। जालियों वाले कमरे के गेट के पास सबसे उपर थोड़ा रास्ता छोड़ा गया है और कुछ पक्षी तो ठीक होने के बाद उसमें से निकल कर बाहर आसमान में उड़ जाते है। जो पक्षी ठीक होने के बाद भी उस रास्ते से बाहर नहीं निकलते तो उन पक्षियों को काला आम्ब के पास जंगल में छोड़ दिया जाता है।