जनजातीय क्रांतिकारियों के स्वतंत्रता संग्राम में बलिदान पर इतिहास मौन : वैभव सुरंगे
गुरुग्राम, 25 नवंबर (हप्र)
वनवासी कल्याण आश्रम के अखिल भारतीय युवा प्रमुख वैभव सुरंगे ने कहा कि इतिहास भारत की विभिन्न जनजातीय क्रांतिकारियों द्वारा देश के स्वतंत्रता संग्राम के लिए दिए गए बलिदान पर मौन है। यह बात उन्होंने गुरुग्राम में वनवासी कल्याण आश्रम में आयोजित 150वें जनजातीय गौरव दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय सवयंसेवक संघ हरियाणा प्रान्त के संघ संचालक प्रताप तथा नया गुरुग्राम के संघ चालक यशपाल ने भी सम्बोधित किया।
वैभव सुरंगे ने कहा कि देश के स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत 1857 से 70 वर्ष पहले बिहार के भागलपुर में शुरू हो चुकी थी, जब जनजातीय क्रांतिकारी तिलका मांझी ने 1780 में अपने साथियों के साथ मिल कर भागलपुर के अंग्रेजी कलेक्टर ऑगस्टस क्लीवलैंड की हत्या कर दी थी। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत जनजातीय क्रांतियों से हुई थी, जिसमें सैकड़ों जनजातीय वीरों ने अपने साथियों के साथ अपने प्राणाें की आहुति दी थी परन्तु देश के इतिहास में इसका वर्णन नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि इतिहास में यह पढ़ने को नहीं मिलता कि संथाल समुदाय के क्रांतिकारी तिलका मांझी को 1785 में अंग्रेजी शासन ने गिरफ्तार करके भागलपुर चौक पर फांसी दे दी थी। बाद में इसी चौक का नाम तिलका मांझी चौक रखा गया था। छत्तीसगढ़ में भी 1818 में जब अंग्रेजी शासन शुरू हुआ, उसके 5 वर्ष बाद ही 1823 गेंद सिंह ने विद्रोह कर दिया। फिर 1832 में भी जनजातीय क्रांतिकारी बुद्धू भगत ने अंग्रेजी शासन के विरुद्ध लड़का विद्रोह शुरू कर दिया था।
इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता हरीकांत मिश्रा, होम डेवलपर्स एसोसिएशन के संरक्षक दिनेश नागपाल, लिवेंस क्लब के इंटरनेशनल डायरेक्टर वीरेंदर कुमार लूथरा, पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के पूर्व सेक्रेटरी जनरल सौरभ सान्याल, प्रोग्रेसिव फेडरेशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री गुरुग्राम के अध्यक्ष प्रद्युमन कुमार गुप्ता, हरियाणा कला परिषद के पूर्व निदेशक संजय भसीन, होम डेवलपर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेंद्र यादव उपस्थित थे।