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हिमाचल 137 क्यूसेक पानी छोड़े, हरियाणा रास्ता दे, दिल्ली बर्बादी रोके

06:42 AM Jun 07, 2024 IST
नयी दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित विवेकानंद कैंप में बृहस्पतिवार को टैंकर से पानी भरकर ले जाते लोग। - प्रेट्र
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नयी दिल्ली, 6 जून (एजेंसी)
दिल्ली में जारी जल संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को निर्देश दिए कि हिमाचल प्रदेश 137 क्यूसेक अतिरिक्त जल छोड़े और हरियाणा दिल्ली की तरफ पानी के प्रवाह को सुगम बनाए। जस्टिस पीके मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि हिमाचल प्रदेश उपलब्ध अतिरिक्त पानी छोड़ने के लिए तैयार है। उसने कहा कि पानी हरियाणा को पूर्व सूचना देकर 7 जून को छोड़े। हथिनीकुंड में आने वाले अतिरिक्त पानी को ऊपरी यमुना नदी बोर्ड (यूवाईआरबी) मापेगा, जिससे इसे वजीराबाद और दिल्ली तक पहुंचाया जा सके।
अदालत ने आदेश दिया कि पानी के प्रवाह को सुगम बनाए रखने में हरियाणा मदद करेगा, जिससे दिल्ली के लोगों को पानी उपलब्ध कराया जा सके। साथ ही, कोर्ट ने दिल्ली सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी को मिलने वाला पानी व्यर्थ न हो। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, हरियाणा तथा हिमाचल प्रदेश को सोमवार को अगली सनुवाई में अनुपालन हलफनामा दाखिल करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट दिल्ली सरकार की ओर से दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें हरियाणा को यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह हिमाचल प्रदेश द्वारा राष्ट्रीय राजधानी को उपलब्ध कराया जाने वाला अतिरिक्त पानी छोड़े।
अदालत ने कहा, ‘यूवाईआरबी ने माना कि हरियाणा भी इसी प्रकार की भीषण गर्मी के हालात से जूझ रहा है, लेकिन अदालत के सामने ऐसा कोई ठोस साक्ष्य नहीं है कि हरियाणा में पेयजल का गंभीर संकट है। कोर्ट ने कहा कि बोर्ड ने आखिरकार सिफारिश की कि मौजूदा गर्मी के मौसम के दौरान या 30 जून को मानसून के आने से पहले पेयजल जरूरतों को पूरा करने के लिए दिल्ली सरकार मानवीय आधार पर 150 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ने पर विचार करने के लिए हरियाणा को औपचारिक अनुरोध भेज सकती है। दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा, ‘हमने हाथ जोड़कर निवेदन किया था और हिमाचल को कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन हरियाणा आपत्ति जता रहा है।’ पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल से कहा, ‘यह एक अस्तित्वपरक (भौगोलिक कारणों के चलते) समस्या है।’

अड़ियल रवैया न अपनाएं

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘पानी हिमाचल प्रदेश से आता है, हरियाणा से नहीं। सवाल केवल पानी के प्रवाह का है। कृपया इस मुद्दे पर अड़ियल रवैया न अपनाएं। यह एक गंभीर समस्या है। यदि हम इसका संज्ञान नहीं लेंगे तो यह बिल्कुल भी उचित नहीं होगा।’
राजनीति नहीं होनी चाहिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘कल को इस बात पर राजनीति नहीं होनी चाहिए कि हिमाचल प्रदेश पानी छोड़ता है और हरियाणा पानी को आने नहीं देता। पानी को लेकर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।’

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