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उम्र की धवलता पर खिजाब का हिजाब

06:21 AM Oct 06, 2023 IST
उम्र की धवलता पर खिजाब का हिजाब
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राकेश सोहम‍्

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उधर ‘गदर 2’ में उम्रदराज सनी पाजी, गबरू जवान साबित हुए। इधर शाहरुख, ‘जवान’ बनकर धमाल मचा रहे हैं। जवानी जिंदाबाद। यों भी वर्तमान युवाओं का है, भविष्य युवाओं के लिए है। अब बुड्ढों का काम खत्म हुआ। ये दौर-ए-जवानी है। इसलिए उम्रदराज लोग अपनी बची-खुची जवानी को बचाने में भिड़े दिखाई देते हैं। उनकी उम्र की धवलता खिज़ाब के हिजाब से रौशन है। कोई बूढ़ा कहलाना पसंद नहीं करता। बाजारवाद के दौर में जवानी का जोश भर देने का दावा ठोकने वाली दवाओं की भरमार है। बड़े-बड़े मसाज सेंटर और ब्यूटी पार्लर जेब ढीली करने में लगे हैं। आधुनिका की उम्र बीस-पच्चीस के ऊपर नहीं बढ़ रही! उम्रदराज लोग साबित करने में लगे हैं कि आदमी शरीर से बुड्ढा होता है, मन से नहीं।
एक जमाना हुआ जब शोख प्रेमिका अपने प्रेमी को रात में घर पर आने से मना करती थी। वह इशारों-इशारों में गुनगुनाते हुए कहती थी ...ना बाबा ...ना बाबा... पिछवाड़े बुड्ढा खांसता...। अब जमाना बदल गया है। प्रेमिका बेफिक्र हो गई है। बुड्ढा सांसें भरने लगा है। अर्थ ने अनर्थ की राह पकड़ ली है। ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ का अर्थ भी बदलता हुआ दिख रहा है- तुम सो जाओ मां, मैं ज्योति के पास जा रहा हूं। शर्म और हया, बेशर्मी का जामा पहने घूमती है। बड़े बुजुर्ग की छत्रछाया सिमट रही है। वह वृद्धाश्रमों में पनाह ढूंढ़ती है।
एक समय बुड्ढे अमिताभ भी ‘बुड्ढा होगा तेरा बाप’ कहते हुए पर्दे पर अपने आप को जवान सिद्ध कर रहे थे। हालांकि बाप बाप है और बुड्ढा बुड्ढा! लेकिन सभी बाप बूढ़े नहीं होते, जैसे सभी बुड्ढे बाप नहीं होते। बाप होने के लिए बुड्ढा होना कभी जरूरी नहीं रहा। कई मर्तबा तो बाप के बाप भी बुड्ढे नहीं होते। आश्चर्य तब गहरा जाता है जब बेटा अपने बुड्ढे बाप का बाप निकलता है। वर्षों पुराना आतंकवाद भी कहां बुड्ढा हो रहा है। वह अब कनाडा में सीना ताने दिखाई दिया। भ्रष्टाचार बुड्ढा नहीं हो रहा। भ्रष्टाचारी भी बुड्ढे नहीं हो रहे। कितने ही उम्रदराज अधिकारी करोड़ों का काला धन समेटने और पचाने का सामर्थ्य रखते हैं। उन्हें कतई बुड्ढा नहीं कहा जा सकता।
ससुरी महंगाई तो बिल्कुल भी बुड्ढी नहीं हो रही। वह पेट्रोल-डीजल पीकर जवान बनी हुई है। उसकी तड़क-भड़क से बेचारा आम आदमी दिल पे हाथ रखकर गा उठता है- जोश ए जवानी हाय रे हाय... निकले जिधर से धूम मचाए। दुनिया का मेला, मैं हूं अकेला... कितना अकेला हूं मैं...।

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