धरोहर की जिम्मेदारी
विश्व विरासत दिवस पर इस साल की थीम थी- ‘विरासत और जलवायु।’ सामान्यतः विरासत का आशय मानवकृत उदाहरणों से जोड़ लिया जाता है, किंतु इसके साथ प्राकृतिक विरासत, और उसमें भी जल और वायु के महत्व को रेखांकित करने के लिए ही संभवतः यह ‘जलवायु’ विशेष रूप से है। जंगल, नदी, पहाड़, जल-प्रपात आदि नैसर्गिक सौंदर्य स्थल मूर्त विरासत है। साथ ही पुरातात्विक और ऐतिहासिक मंदिर, भवन, संरचनाएं भी मूर्त विरासत हैं। संस्कृति और परंपरा जिसमें नृत्य, संगीत, खान-पान, जीवन-शैली, लोकाचार, रीति-रिवाज, तीज-त्योहार आदि सभी शामिल हैं, अमूर्त विरासत है। दूसरे शब्दों में नदी-पहाड़, पेड़-पौधे, जीव-जन्तु, उनका परिवेश, स्मारक, कला, गीत-संगीत, परंपरा, जीवन-शैली, जिनमें मानव सभ्यता के सुदीर्घ इतिहास और उद्यम की सौंदर्यमूलक अभिव्यक्ति हो, वह सभी विरासत है।
यह मात्र पर्यटन और मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि मानवता के उच्चतर मूल्यों और प्रतिमानों की पहचान है। पीढ़ी-दर-पीढ़ी, बरसों से चली आ रही विरासत को आने वाली पीढ़ी के हाथों सौंपना हर पीढ़ी का दायित्व है। कई ऐसे विरासत स्थल हैं, जो महत्वपूर्ण होने के बावजूद भी उपेक्षित रह जाते हैं, वहीं दूसरी तरफ लोकप्रिय स्थलों में पर्यटकों की भारी संख्या पहुंचती है, साथ ही अनियंत्रित विकास के कारण उस विरासत को क्षति पहुंचने की आशंका बनी रहती है। स्पष्ट है कि महान विरासत के साथ, गांव-बस्ती, नगर के पारा-मोहल्ला में आसपास फैली विरासत और उसके संरक्षण का भी अपना महत्व है।
इस दृष्टि से वन-पर्वत क्षेत्रों के साथ-साथ प्रत्येक बसाहट से संबद्ध विशिष्ट प्राकृतिक संरचना, जीव-जंतु, पेड़-पौधे, नदी-नाले का उद्गम, संगम और अन्य जल-स्रोत, नदी-नालों के घाट, गुड़ी आदि स्थानीय आस्था-उपासना स्थल महत्वपूर्ण होते हैं। पुराने तालाब, डीह-टीला आदि की जानकारी के साथ विरासत स्थलों का संकेत मिलता है। हरेक गांव में घटना, पर्व, परंपरा, संस्था आदि की अपनी विरासत, मान्यताओं, विश्वास और विभूतियों से जुड़ी गौरव-गाथा होती ही है। ध्यान रहे कि सरकारों की प्राथमिकता रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, सड़क और कानून-व्यवस्था है। इसलिए धरोहर की रक्षा के लिए प्रत्येक नागरिक को इसे पुनीत कर्तव्य मानते हुए स्वयं जिम्मेदारी लेनी होगी। जिस प्रकार हम अपनी खुशियों, सुखद स्मृतियों, सुंदर वस्तुओं, कलाकृतियों, पुरखों की निशानियों को बचा कर रखना चाहते हैं, उसी प्रकार का लगाव रखते, धरोहर के प्रति सजगता आवश्यक है।
साभार : अक्लतारा डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम