गर्म तासीर का हेल्दी हर्ब
रेखा देशराज
गोखरू या गोक्षुर का पौधा जमीन पर फैलता है और जब मानसूनी बारिश होती है,यह उग आता है। यह एक जड़ी बूटी है। आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल वात, पित्त और कफ को नियंत्रित करने के लिए रामबाण के तौर पर किया जाता है। गोखरू का फल, पत्ता और तना यानी इसके करीब करीब सभी हिस्से जबरदस्त आयुर्वेदिक औषधि का भंडार होते हैं। क्षुप वनस्पति की उस श्रेणी में आते हैं, जिन्हें न तो पेड़ कहा जा सकता है और न ही झाड़ी। क्षुप ऐसे भू-भाग में उगते हैं, जहां खूब झाड़ियां होती हैं, बलुई और पथरीली मिट्टी के क्षेत्रों में। इसमें चने के आकार के कड़े और कंटीले फल लगते हैं। इसे हस्त चिंघाड़ भी कहा जाता है। ये फल औषधियां बनाने के काम में आते हैं और वैद्यक में इन्हें शीतल, मधुर, पुष्ट, रसायन, दीपन और काश, वायु, अर्श और ब्रणनाशक कहा गया है।
गर्म तासीर की औषधि
गोखरू की तासीर बेहद गर्म होती है और भले यह लोकप्रिय औषधि के रूप में अभी ज्यादा चर्चित हुआ हो, लेकिन इसका तरह-तरह की बीमारियों में सदियों से इस्तेमाल होता रहा है। इसका वैज्ञानिक नाम ट्रिबुलस टेरेस्ट्रिस है। गोखरू को कुछ लोग बिंदी के नाम से भी जानते हैं, यह जाइगोफाइलिई कुल के अंतर्गत शुमार किया जाता है।
स्वादिष्ट सब्जी भी
गोखरू को स्वादिष्ट व्यंजन के रूप में भी बनाकर खाया जाता है। इसकी भाजी बहुत एलीट सब्जियों में गिनी जाती है, जिसमें गोखरू की कोंपलें यानी नरम पत्तियां, आलू और विभिन्न तरह के मसाले होते हैं।
आयुर्वेदिक दवाइयों का अहम हिस्सा
क्षुप के बीज को गोखरू कहते हैं और इन्हें बाजार में इसी नाम से खरीदा जा सकता है। क्योंकि क्षुप के ये बीज यानी गोखरू, आयुर्वेदिक दवाइयों का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं, इसलिए ये मार्केट में काफी महंगे भी बिकते हैं, अब तो इनका महंगा मिलना इसलिए भी लाजमी हो गया है, क्योंकि हाल के सालों में गोखरू बांझपन की समस्या को दूर करने वाले एक महत्वपूर्ण बीज के रूप में लोकप्रिय हुआ है। यही नहीं, यह भी प्रचलित है कि गोखरू से शक्ति बढ़ती है इसलिए ऐसी औषधियों के बाजार में गोखरू रातोंरात बहुत महत्वपूर्ण हो गया है।
त्वचा के लिए फायदेमंद
औषधीय इस्तेमाल के अलावा गोखरू का इस्तेमाल सौंदर्य सामग्री के रूप में भी किया जाता है। साथ ही गोखरू के फल में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होता है, जो एक्जिमा जैसे त्वचा संबंधी रोगों के खतरे को कम करने वाला माना जाता है।
दशमूल औषधियों में है शामिल
आयुर्वेद के दशमूल नामक दस औषधियों का जो समूह है, उसमें एक प्रमुख औषधि के रूप में गोखरू की भी मौजूदगी है। इसका इस्तेमाल क्वाथ और चूर्ण के रूप में किया जाता है। क्वाथ दरअसल औषधियों को उबालकर उनसे निकाले गये रस को कहते हैं, जबकि चूर्ण औषधियों को चूरा बना लेने का नाम है। क्वाथ या काढ़ा बहुत तीव्र प्रभाव वाला होता है, इसलिए बिना किसी विशेषज्ञ की सहायता लिए खुद इसे नहीं इस्तेमाल करना चाहिए।
कई हालिया रिसर्च के मुताबिक, गोखरू महिला व पुरुषों के प्रजनन संबंधी रोगों के अलावा हृदय संबंधी कुछ रोगों के इलाज में भी कारगर माना जाता है। इन तमाम वजहों के चलते इसे हेल्दी हर्ब में शुमार किया जाता है। लेकिन इसका इस्तेमाल अपने आप कतई नहीं करना चाहिए।
सूजन कम करने का गुण
गोखरू सूजन कम करने वाला, शूगर को कम करने और मूत्र विरेचनीय गुणों वाला होता है। इसलिए भी इसका खुद से इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। गोखरू की एक सबसे बड़ी विशेषता यह मानी जाती है कि यह शरीर में किसी तरह का दुष्प्रभाव पैदा किए बिना टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोंस के लेवल को बढ़ा देता है। यह प्रोटीन से भरपूर जड़ी बूटी है। लेकिन इसके उपयोग के पहले किसी आयुर्वेदाचार्य से सलाह जरूर ले लें। -इ.रि.सें.