‘जो इंद्रियों के वशीभूत हो जाता है, वह बहुत दु:ख पाता है’
यमुनानगर (हप्र)
इस्कॉन प्रचार समिति यमुनानगर जगाधरी द्वारा सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा में चौथे दिवस की कथा में कथा व्यास इस्कॉन कुरुक्षेत्र के अध्यक्ष साक्षी गोपाल दास प्रभु ने बताया कि इस भौतिक संसार में आसक्ति ही हमारे दु:खों का सबसे बड़ा कारण है। जो अपने इंद्रियों के वशीभूत हो जाता है, वह बहुत दु:ख पाता है। अगर आपको माया से बचना है तो आपको मायापति (भगवान श्रीकृष्ण) की शरण में जाना होगा। अगर हम ध्यानपूर्वक और सावधानी से हरे कृष्ण महामंत्र का जाप करेंगे तो हमारी इंद्रियां संसार के विषय भोग में आकर्षित होने से बच जाएंगी और हमारी इंद्रियां हमारे बस में रहेंगी। प्रत्येक व्यक्ति को अपने मन को शिक्षा देनी चाहिए कि अगर वह भगवान कृष्ण का भजन करेगा तो वह अभय हो जाएगा। शौनक आदि ऋषि श्री सूत गोस्वामी जी से कह रहे हैं कि प्रत्येक दिन उदय होने वाला सूर्य और अस्त होने वाला सूर्य व्यक्ति को सावधान करता है कि मैंने उसके जीवन में से एक दिन समाप्त कर दिया है। एक व्यक्ति सबसे अमूल्य धन हमारा समय है जो समय निकल गया दुनिया की पूरी दौलत भी इसको वापस नहीं ला सकती। हमारा जीवन कमल के फूल के पत्ते पर गिरने वाली पानी की बूंद की तरह कुछ समय का मेहमान है। मुख्यातिथि के रूप में खुशी राम ठकराल, कृष्ण दर्शन दास, आरआर गुप्ता, मधुलता देवी दासी, हाकम सैनी, मीना तनेजा, उर्मिला कालड़ा, सोनल जलोतरा, गौरव, नरेन्द्र आहूजा ने दीप प्रज्वलित कर, माला अर्पण कर आशीर्वाद प्राप्त किया।