अधिकारियों की नाक तले 11 साल तक लेता रहा दिव्यांग पेंशन
यमुनानगर, 12 अक्तूबर (हप्र)
यमुनानगर में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें अधिकारियों की लापरवाही सामने आती है। पहले एक व्यक्ति 11 वर्षों तक दिव्यांग पेंशन लेता रहा। 5 वर्ष पहले जब पता चला कि वह व्यक्ति विकलांग नहीं है, शिकायत हुई, उसकी पेंशन तो बंद कर दी गई। लेकिन उसके खिलाफ न तो कोई कार्रवाई हुई न ही विभाग उससे रिकवरी करवा सका। विभाग ने उसे 1 लाख 55,249 की रिकवरी करनी है। मामला यमुनानगर के चबूतरो गांव का है। जहां मदनलाल नामक व्यक्ति ने विभाग को 2018 में शिकायत की कि उसी के गांव का रहने वाला हरमेश दिव्यांग पेंशन ले रहा है, जबकि वह दिव्यांग नहीं है। मामले की प्राथमिक जांच के बाद उसकी पेंशन बंद कर दी गई। लेकिन रिकवरी नहीं की गई। शिकायतकर्ता मदनलाल इसके बाद भी विभाग को शिकायतकर्ता रहा। मुख्यमंत्री, राज्यपाल को शिकायतें भेजी। शिकायतों की जांच भी हुई। लेकिन इसके बावजूद रिकवरी नहीं हुई।
समाज हितकारी संगठन का कहना है कि मामले की गहराई से जांच होनी चाहिए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
विभाग के पास भी रिकार्ड नहीं
मदनलाल ने इसको लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में शिकायत दी। इसके बाद हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन को रिकवरी के लिए लिखा। इस दौरान जांच की गई और पाया गया कि आरोपी हरमेश के खिलाफ कोई चल-अचल संपत्ति ही नहीं है, रिकवरी नहीं हो सकती। इसके बाद पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने इस संबंध में आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए। अब जिला समाज एवं कल्याण अधिकारी विशाल सैनी ने आरोपी हरमेश के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया है। हरमेश की पेंशन 1 दिसंबर, 2007 में शुरू हुई थी और वह 30 जून 2018 तक पेंशन लेता रहा। हैरानी की बात यह है कि हरमेश किस सर्टिफिकेट के आधार पर विकलांग साबित हुआ और उसकी पेंशन शुरू हुई उसका आज तक विभाग के पास कोई रिकॉर्ड सामने नहीं आया है।