सुधारों की मदद से बदला हरियाणा का विद्युत क्षेत्र
पीके दास
बिजली के उत्पादन और उपलब्धता के मामले में हरियाणा में कभी दिक्कत नहीं रही। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार के उठाये कदमों से आज भी हरियाणा इस क्षेत्र में पूरी तरह आत्मनिर्भर है। लेकिन उत्पादन और ट्रांसमिशन के अतिरिक्त उपभोक्ता सेवाओं के क्षेत्र में हरियाणा में जो बदलाव बीते नौ वर्ष में हुए हैं, उस दिशा में इससे पहले कभी काम नहीं हुआ। बिजली की निर्बाध उपलब्धता के साथ-साथ बिजली बिलों को उपभोक्ताओं के अनुकूल बनाने से लेकर बकाया बिजली बिलों पर ब्याज और सरचार्ज की माफी जैसे कदम उठाकर मुख्यमंत्री ने प्रदेश की जनता को बड़ी राहत दी।
बिजली क्षेत्र को लेकर मुख्यमंत्री की प्रतिबद्धता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कोविड जैसे असामान्य काल में भी बिजली प्लांटों में मरम्मत का काम पूरा करवाया। उनके इन्हीं प्रयास की बदौलत आज हरियाणा में कुल मिलाकर लगभग 13367.81 मेगावाट की स्थापित विद्युत क्षमता है। इसमें हरियाणा पावर जनरेशन कार्पोरेशन (एचपीजीसीएल ) 2929.30 मेगावाट, निजी संयंत्र 6569.75 मेगावाट तथा केंद्रीय क्षेत्र में आने वाले संयत्र 3868.76 मेगावाट का योगदान कर रहे हैं। इन कदमों से प्रदेश के विद्युत संयंत्रों का प्लांट लोड फैक्टर यानी संयंत्रों की क्षमता का इस्तेमाल 72 प्रतिशत पर पहुंच गया। एक दशक पहले यह मात्र 45 प्रतिशत था।
मुख्यमंत्री मनोहरलाल लाल के नेतृत्व में पिछले 9 साल के दौरान बिजली क्षेत्र में जो कार्य हुए हैं, वे पूर्व में हुए तमाम कार्यों से ज्यादा हैं। इस दौरान न केवल सभी उपभोक्ताओं को बिजली की पूर्ण उपलब्धता सुनिश्चित हुई है, बल्कि राज्य के चारों विद्युत निगम मुनाफे की स्थिति में आ गए। यही नहीं, पर्यावरण क्षति को रोकने के लिए भी इस दौरान हरियाणा में काफी काम हुआ है। एक तरफ जहां एचपीजीसीएल ने सल्फर ऑक्साइड तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन पर केंद्र के नए मानकों का अनुपालन करने में उपलब्धि अर्जित की है, प्रदेश में विद्युत उत्पादन क्षमता में विस्तार को लेकर मुख्यमंत्री आत्मनिर्भर होने के बावजूद रुके नहीं हैं। उनकी सोच हरियाणा से आगे बढ़कर देश की विद्युत उत्पादन क्षमता में वृद्धि तक पहुंची है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) ने 2029-30 तक देश में 30 गीगावाट अतिरिक विद्युत क्षमता सृजित किए जाने की आवश्यकता बताई है। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री ने पिछले साल ही 600 मेगावाट के यमुनानगर संयंत्र में 800 मेगावाट की अतिरिक्त कोयला आधारित सुपरक्रिटिकल यूनिट स्थापित करने की मंजूरी दे दी थी। वैश्विक निविदाएं मांगी गई हैं। कांट्रेक्ट के बाद इसे 52 सप्ताह में पूरा करने का लक्ष्य है।
*सेवानिवृत्त आईएएस