पूर्व सीएम के बयान के बाद भड़के हरियाणा के कर्मचारी संगठन
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 30 मई
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा अधिकारियों व कर्मचारियों पर लगाए गए विपक्षी दलों से मिलीभगत के आरोपों पर कर्मचारी संगठनों ने कड़ी नाराज़गी जताई है। दरअसल, विगत दिवस पूर्व सीएम ने कहा था कि कुछ अधिकारियों-कर्मचारियों ने गड़बड़ की है। चार जून को चुनावी नतीजों के बाद ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के संकेत भी मनोहर लाल ने दिए थे। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा का कहना है कि इन धमकियों से कर्मचारी डरेंगे नहीं।
उन्होंने कहा कि सरकार को कर्मचारियों को धमकाने की बजाय उनकी लंबित मांगों का समाधान कर उनमें सरकार के खिलाफ बढ़ रही नाराजगी को दूर करने के लिए शीघ्र अतिशीघ्र ठोस कदम उठाने चाहिए। सरकार ऐसा करने की बजाय उसको धमकी देकर आक्रोश को बढ़ाने का ही काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारी ही इतनी भीषण गर्मी में बिजली अन्य आवश्यक सेवाएं प्रदान करने में दिन रात जुटे हुए हैं। सरकार को उनकी पीठ थपथपाने की बजाय उन पर गलत आरोप लगाकर उनके मनोबल को तोड़ने का काम नहीं करना चाहिए। लांबा ने बताया कि कर्मचारियों के आंदोलन के दबाव में हरियाणा सरकार ने पुरानी पेंशन बहाली की मांग को एग्जामिन करने के नाम पर एक कमेटी का गठन किया था। इसे बाद में यह कहकर ठंडे बस्ते में डाल दिया की केंद्र सरकार द्वारा इस मामले में गठित कमेटी के आउटकम के बाद ही सरकार कोई फैसला करेगी। केंद्र सरकार तो पुरानी पेंशन बहाली की मांग को मानने के लिए स्पष्ट मना कर चुकी हैं। सरकार ने अभी तक पचास प्रतिशत डीए होने के बाद एचआरए के स्लैब में 10-20-30 करने का भी पत्र तक जारी नहीं किया। वहीं केंद्रीय कर्मचारी उक्त लाभ ले चुके हैं।
उन्होंने कहा कि इस कारण कर्मचारियों एवं अधिकारियों को एक से तीन हजार रुपए तक प्रति महीने नुकसान उठाना पड़ रहा है। जनवरी-2026 से आठवां पे कमीशन लागू किया जाना चाहिए। लेकिन केंद्र सरकार ने इसके गठन से ही साफ इंकार कर दिया है। इतना ही नहीं, केंद्र एवं राज्य सरकार एवं पीएसयू के खाली पड़े करीब एक करोड़ रिक्त पदों को पक्की भर्ती से नहीं भरा जा रहा है। इससे कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ रहा है। हरियाणा में भी कई लाख पद रिक्त पड़े हैं।