Haryana News : मानेसर नगर निगम ने बिल्डर को दी गौचारे की 8 एकड़ जमीन
08:05 AM Jan 23, 2025 IST
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विवेक बंसल/हप्र
गुरुग्राम, 22 जनवरी
गुरुग्राम, 22 जनवरी
गांव झुंड सराय की वह 8 एकड़ जमीन, जो कभी मवेशियों के चारे के लिए इस्तेमाल होती थी, अब विवाद का केंद्र बन गई है। मानेसर नगर निगम ने गौचारे की जमीन एक निजी बिल्डर को पार्क बनाने के लिए सौंप दी है। इस फैसले से ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है, क्योंकि यह जमीन बिल्डर की प्रस्तावित रेजिडेंशियल कॉलोनी के पास स्थित है और इससे उसे अरबों रुपये का लाभ हो सकता है।
ग्रामीणों ने इस फैसले के खिलाफ जमकर विरोध किया और बिल्डर द्वारा लगाए गए होर्डिंग और दीवारों को तोड़ दिया। इस विरोध के बावजूद, नगर निगम ने जमीन पर अपने स्वामित्व का बोर्ड लगा दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि इस इलाके में खेल स्टेडियम या कोई सार्वजनिक उपयोग का स्थान नहीं है, जबकि यह जमीन इस उद्देश्य के लिए बहुत उपयुक्त हो सकती है। वीरवती नामक महिला ने कहा, ‘यह जमीन हमारे जीवन का सहारा थी। हम इसे किसी भी कीमत पर बिल्डर के हवाले नहीं होने देंगे। जरूरत पड़ी तो जान भी दे देंगे।’ पता चला कि नगर निगम और बिल्डर एम3एम इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के बीच 30 अक्तूबर 2024 को एक समझौता हुआ था। इस एमओयू के अनुसार, बिल्डर अपने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के तहत यहां हर्बल पार्क बनाएगा। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि यह महज दिखावा है। असल में, इस कदम से बिल्डर को अपनी रेजिडेंशियल कॉलोनी के लिए अरबों रुपये का फायदा होगा। सरपंच अनिल यादव ने आरोप लगाया कि अधिकारियों और बिल्डर के बीच गहरी मिलीभगत है।
खेल स्टेडियम बनाने की मांग
ग्रामीणों ने सरकार से अपील की है कि इस जमीन पर पार्क बनाने के बजाय एक खेल स्टेडियम बनाया जाए। उनका कहना है कि सीएसआर का पैसा ऐसे प्रोजेक्ट्स पर खर्च होना चाहिए जो समुदाय के वास्तविक लाभ के लिए हों, न कि बिल्डर के निजी लाभ के लिए। निगम अपना फैसला वापस लेना चाहिए।
सरकारी नियमों की अनदेखी?
जानकारों का कहना है कि हरियाणा में सीएसआर का पैसा आम जनता के फायदे के लिए खर्च होना चाहिए, लेकिन बिल्डर इसे अपने निजी फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। झुंड सराय के ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार की जमीन को बिल्डरों के हवाले किया जा रहा है। इस मामले में बिल्डर से संपर्क किया गया, लेकिन उनकी लीगल टीम ने संदेश रिसीव किया, फिर भी कोई जवाब नहीं दिया। ग्रामीणों की मांग है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और जमीन का उपयोग सामुदायिक परियोजनाओं के लिए किया जाए। यदि सरकार ने इस मामले में हस्तक्षेप नहीं किया, तो यह मामला और बड़ा हो सकता है।
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