Haryana News : जनसंख्या दर से भी तेजी से बढ़ रही नौकरियां : अरविंद विरमानी
हिसार, 27 नवंबर (हप्र)
नीति आयोग के सदस्य डॉ. अरविंद विरमानी ने कहा कि नौकरियां जनसंख्या दर से भी तेजी से बढ़ रही हैं और आकस्मिक श्रम वास्तविक मजदूरी के संदर्भ में सबसे तेजी से बढ़ते श्रम में से एक है। उन्होंने सलाह दी कि अवसर उपलब्ध हैं, हमें उन्हें पकड़ना होगा।
डॉ. विरमानी गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय हिसार के अर्थशास्त्र विभाग के सौजन्य से विकसित भारत 2047 : राज्य स्तरीय अर्थव्यवस्थाओं में रणनीतियां विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन-सह-पैनल चर्चा को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। ई-ग्रो फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रो. चरण सिंह विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे और कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने की।
डॉ. अरविंद विरमानी ने कहा कि चीन, जापान आदि जैसी अर्थव्यवस्थाएं, जो लगातार ऊपर जा रही हैं, बाजार अर्थव्यवस्थाएं नहीं हैं, बल्कि समाजवादी बाजार अर्थव्यवस्थाएं हैं। इस चुनौती पर बोलते हुए उन्होंने कहा, हर विद्यार्थी को किसी विशेष पाठ्यक्रम को पूरा करने के बाद उस पाठ्यक्रम के अनुसार कुशल व पुन: कुशल होने की आवश्यकता है। उन्होंने भविष्यवाणी की कि 2050 तक भारत, अमेरिका और चीन तीन प्रमुख वैश्विक शक्तियां होंगी। प्रो. चरण सिंह ने कहा कि आप विकसित राज्यों के बिना विकसित भारत की कल्पना नहीं कर सकते। उन्होंने राज्य सरकारों को प्रधानमंत्री के विकसित भारत के दृष्टिकोण को अपनाने और उस दिशा में निरंतर प्रयास करने की सलाह दी।
कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा कि भारत 1947 तक विकसित भारत बनने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। विभाग के अध्यक्ष प्रो. अश्विनी ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया।
डॉ. मनोज, डॉ. किरण देवी, डॉ. ललित शर्मा व डॉ. सोमनाथ, गार्गी बूरा सहित शोधार्थी एवं विद्यार्थी आयोजन समिति के सदस्यों के रूप में उपस्थित रहे तथा सम्मेलन की सफलता के लिए अमूल्य योगदान दिया।
‘डीएपी का इस्तेमाल नहीं छोड़ा तो 2050 तक कुछ भी नहीं होगा पैदा’
नीति आयोग के सदस्य डॉ. अरविंद विरमानी ने कहा कि अगर हम खेती में डीएपी या अन्य फर्टिलाइजर प्रयोग करते रहे तो 2050 तक कुछ पैदावार नहीं होगी। इससे न सिर्फ कृषि भूमि की मिट्टी खराब हो गई है बल्कि भूमिगत जल भी काफी नीचे चला गया है। डॉ. विरमानी ने डीएपी की कमी पर कहा कि फास्फेट का भारत में कोई संसाधन नहीं है। पहले यह मिडल ईस्ट से और अब रूस से भी इंपोर्ट होता है और इसके बिना डीएपी नहीं बन सकती। हमारे उद्योगपति मिडल ईस्ट और रूस जाकर इसको बनाकर भेजें तो ज्यादा बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि हमें कृषि के साथ मछली पालन, विशेष सब्जियां, स्ट्रॉबैरी आदि के उत्पादन के बारे में सोचना होगा और केमिकल खेती को कम करना होगा। नीति आयोग की उपलब्धियों पर उन्होंने कहा कि ईवी पॉलिसी नीति आयोग की देन है और एडीपी (आकांक्षी जिला कार्यक्रम) भी नीति आयोग की ही सोच है जिसमें पिछड़े हुए जिलों को सुधाने का कार्यक्रम बनाया और मंत्रालय ने इंसेंटिव भी दिया। इसके अलावा नीति आयोग इंडेक्स भी बनाता है जिससे कार्य करने वाले राज्यों व जिलों में आपस में प्रतिस्पर्धा होती है। अब ग्रीन हाइड्रोजन पॉलिसी बनाई है। उन्होंने कहा कि भारत मैन्युफेक्चरिंग में नंबर 5 पर, एक्सपोर्ट में 15वें नंबर पर है। इस गैप को कम करने पर भी काम चल रहा है। इसके लिए इंडस्ट्री को बढ़ावा देकर बड़े पैमाने पर उत्पादन करवाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 1960 में कोरिया, 1970 में मलेशिया, 1980 में थाईलैंड और 1990 में चीन ने मल्टीनेशनल कंपनियों को बुलाया और आज ये सभी देश हमसे आगे हैं। आज हम भी इस दिशा में काम कर रहे हैं।