Haryana News : गुरुग्राम के सेक्टर-80 में सोसाइटी के बीच हरे पेड़ों की कटाई
गुरुग्राम, 15 दिसंबर (हप्र)
गुरुग्राम के सेक्टर - 80 में एक बिल्डर ने सोसाइटी बनाने के लिए हरे-भरे पेड़ों की कटाई की, जिसमें पीपल और नीम के पेड़ भी शामिल थे। यह घटना तब हुई जब राज्य और केंद्रीय सरकारें पर्यावरण संरक्षण के लिए हरे पेड़ों की रक्षा की दिशा में प्रयास कर रही हैं। एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) ने भी हरियाणा सरकार और जिला प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि पेड़ों की कटाई नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे पर्यावरण पर बुरा असर पड़ता है, पॉल्यूशन बढ़ता है और छाया की कमी होती है। बिल्डर ने हरियाणा सरकार से भूमि लेकर सोसाइटी बनाने के लिए काम शुरू किया था, और उसमें सैकड़ों पेड़ों को जड़ से उखाड़ दिया। यह घटना रविवार,15 दिसंबर को हुई, आसपास के ग्रामीणों ने मौके पर पहुंचकर पेड़ों की कटाई को रोकने का प्रयास किया।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि वन विभाग का एक कर्मचारी मौके पर आया, लेकिन उसने भी बिल्डर की तरफदारी की और शिकायतकर्ताओं से कहा कि सभी पेड़ों की कटाई के लिए अनुमति प्राप्त है।
शिकायतकर्ताओं ने पेड़ों की कटाई की अनुमति का प्रमाण मांगा, लेकिन बिल्डर और वन विभाग ने कोई दस्तावेज़ नहीं दिखाए। इसके बाद, जबरदस्ती पेड़ों को काटकर गाड़ियों में भर लिया गया और भेज दिया गया। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि यह सब वन विभाग और बिल्डर के बीच मिलीभगत से हो रहा है। शिकायतकर्ता ने एनजीटी, हरियाणा के वन मंत्री राव नरवीर सिंह, गुरुग्राम के जिला उपायुक्त अजय कुमार और केंद्रीय गृहमंत्री भूपेंद्र यादव से इस मामले की शिकायत की और पेड़ों की कटाई करने वाले बिल्डर और वन विभाग के अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
शिकायतकर्ता ने कहा कि यदि यह सिलसिला जारी रहा तो भविष्य में पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा, पेड़ लगाने के बजाय काटे जा रहे हैं। हरे-भरे पेड़ों की कटाई से इलाके में हरियाली की जगह सुनसान दिखाई दे रही है। प्रशासन की आंखें बंद हैं और बिल्डर को अनुमति दी जा रही है, जबकि कहीं और पेड़ों की कटाई हो रही है, और परमिशन कहीं और दी जाती है।
शिकायतकर्ता एडवोकेट संदीप सिंह और संदीप शेट्टी ने कहा कि वे इस मामले को मुख्यमंत्री हरियाणा, नायब सिंह सैनी के पास ले जाएंगे, ताकि वन विभाग के अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी हालत में पेड़ों की कटाई को रोका जाएगा, और यदि जरूरत पड़ी तो वे सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे।