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14 फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने वाला हरियाणा पहला राज्य

08:50 AM Feb 21, 2024 IST
14 फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने वाला हरियाणा पहला राज्य
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दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 20 फरवरी
पंजाब बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन के बीच हरियाणा की मनोहर सरकार ने अपनी उपलब्धियां बताई हैं। प्रदेश के किसानों के कल्याण को लिए फसलों के अलावा विभिन्न योजनाओं के लिए सरकार ने अपनी पीठ थपथपाई है। पंजाब के किसान संगठन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी कानून के अलावा कई मांगों को लेकर दिल्ली कूच का ऐलान किया हुआ है। हरियाणा पुलिस ने उन्हें पंजाब बॉर्डर पर रोका हुआ है।
हरियाणा सरकार ने इस बात पर खुशी जताई है और अपनी उपलब्धि भी बताई है कि हरियाणा, देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां 14 फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदा जा रहा है। मंगलवार को विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन अपने अभिभाषण के जरिये राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने राज्य सरकार की उपलब्धियों का ब्योरा रखा। हरियाणा में 19 लाख 94 हजार किसानों को ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’ के तहत अभी तक 4157 करोड़ 73 लाख रुपए की आर्थिक मदद की जा चुकी है। किसानों को 6 हजार रुपए सालाना मिलते हैं, जिन्हें दो-दो हजार की तीन किस्तों में दिया जाता है।
मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर पंजीकरण करवाने वाले किसानों की 14 फसलों को सरकार एमएसपी पर खरीदती है। पिछले सात सीजनों में किसानों की इन फसलों की खरीद की एवज में सरकार ने किसानों को 90 हजार करोड़ रुपए का भुगतान किया है। इतना ही नहीं, बाजरा को भावांतर भरपाई योजना में कवर किया है ताकि किसानों को किसी तरह का नुकसान ना हो। बाजरा उत्पादक किसानों को इस योजना के तहत 836 करोड़ 12 लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका है। किसान-मजदूरों को सस्ती दरों पर भरपेट भोजन मुहैया करवाने के लिए सरकार अभी तक प्रदेश की 25 बड़ी मंडियों में कैंटीन स्थापित कर चुकी है। अब 15 और मंडियों में कैंटीन शुरू की जाएगी। कैंटीन में किसानों को 10 रुपए में भरपेट भोजन मुहैया करवाया जाता है। नई मंडियों की स्थापना व मौजूदा मंडियों के विस्तार पर सरकार अभी तक 1095 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है।

13388 ने अपनाई प्राकृतिक खेती

हरियाणा ने प्रदेश के किसानों का रुझान प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ाने के लिए उन्हें प्रोत्साहन देने का निर्णय लिया है। पहले ही साल में 13 हजार 388 किसान आगे आए हैं। इतना ही नहीं, सरकार ने किसानों को प्राकृतिक खेती में प्रशिक्षित करने के लिए कुरुक्षेत्र गुरुकुल, करनाल के घरौंडा, जींद के हमेटी और सिरसा के मंगियाना में प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए हैं।

8178 करोड़ का मुआवजा मिला

प्रधानमंत्री फसली बीमा योजना हरियाणा में कारगर रही है। इस योजना के लागू होने के बाद से अभी तक राज्य के 32 लाख 6 हजार किसानों को उनकी फसलों के नुकसान पर 8 हजार 178 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया जा चुका है। इतना ही नहीं, जिन किसानों ने बीमा नहीं करवाया होता, उन्हें मुआवजा देने की नीति में भी सरकार ने बदलाव किया है। ऐसे किसानों की फसलों की प्राकृतिक आपदाओं में खराब होने पर किसानों को 10 हजार की बजाय 15 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाता है। पिछले चार वर्षों में राज्य सरकार ने किसानों को मुआवजे के रूप में 1845 करोड़ 95 लाख रुपए अपने कोष से दिए हैं।

पौने 2 लाख किसानों ने छोड़ी धान खेती

धान की खेती में सबसे अधिक पानी का इस्तेमाल होता है। पानी बचाने के लिए शुरू की गई ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना को अभी तक 1 लाख 72 हजार से अधिक किसानों ने अपनाया है। इन किसानों ने धान की बजाय दलहन, तिलहन, मक्का व कपास आदि का उत्पादन अपनाया। ऐसे किसानों को 7 हजार रुपए प्रति एकड़ सरकार प्रोत्साहन राशि देती है। योजना के तहत इन किसानों को सरकार की ओर से 117 करोड़ 22 लाख रुपए दिए जा चुके हैं।

पशुपालकों का भी ख्याल

प्रदेश में पशुपालकों के उत्थान व राज्य में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए नई योजना की शुरूआत की है। 20 से 50 दुधारू पशुओं की डेयरी स्थापित करने पर लाभार्थियों को बैंक लोन पर सरकार ब्याज अनुदान मुहैया करवाती है। 2, 4 और 10 दुधारू पशुओं की डेयरी के लिए पशुपालकों को कुल लागत पर 25 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। सांझी डेयरी योजना के पायलट आधार पर अम्बाला, रोहतक, जींद, कुरुक्षेत्र व सिरसा के पांच गांवों में लागू किया जा रहा है। इसी तरह देसी गायों को प्रोत्साहन के लिए हरयाना, साहीवाल और बेलाही नस्ल की अधिक दूध देने वाली गाय के पालकों को 5 हजार से 20 हजार रुपए तक का प्रोत्साहन दिया जाता है।
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