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आम आदमी के जीवन में भी दिखे विकास की खुशी

06:35 AM Aug 08, 2023 IST

जयंतीलाल भंडारी

हाल ही में तीन अगस्त को आर्थिक शोध व बाजार पर नजर रखने वाले दुनिया के दो दिग्गज वैश्विक वित्तीय संगठनों— ब्रोकरेज फर्म मोर्गन स्टेनली और एस एंड पी ग्लोबल द्वारा वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रकाशित रिपोर्टों में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में लंबी तेजी का दौर शुरू हो गया है। दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में तेजी से आगे बढ़ते हुए भारत आर्थिक शक्ति बनने की डगर पर अग्रसर है।
कोई एक वर्ष पहले दुनिया के प्रमुख आर्थिक और वित्तीय संगठनों की रिपोर्टों में कहा जा रहा था कि दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा रखने वाला भारत वर्ष 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में दिखाई देगा, लेकिन इन दिनों प्रकाशित हो रही रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि भारत 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में दिखाई दे सकता है। हाल ही में प्रकाशित अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), अमेरिकी इन्वेस्टमेंट बैंक मॉर्गन स्टेनली जैसे कई वैश्विक संगठनों की रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि भारत 2027 तक जापान और जर्मनी को पीछे छोड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरकर सामने आएगा। इतना ही नहीं, 30 जुलाई को विश्व प्रसिद्ध स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि फिलहाल भारत में जो प्रति व्यक्ति आय 2450 डॉलर है, वह वर्ष 2030 तक 70 फीसदी बढ़कर 4000 डॉलर प्रति व्यक्ति हो जाएगी।
उल्लेखनीय है कि 27 जुलाई को जारी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शोध इकाई इकोरैप की रिपोर्ट में भी कहा किया गया है कि भारत वर्ष 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की तरफ अग्रसर है। रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 की अप्रैल से जून की पहली तिमाही में भारत की आर्थिक विकास दर 8 फीसदी से ज्यादा रहने वाली है। इससे चालू वित्त वर्ष के दौरान सालाना विकास दर के 6.5 फीसदी रहने की संभावना बन गई है। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2027 तक अमेरिकी इकोनॉमी का आकार 31.09 ट्रिलियन डॉलर का होगा और यह पहले स्थान पर होगी। दूसरे स्थान पर चीन 25.72 ट्रिलियन डॉलर के साथ होगा। तीसरे स्थान पर भारत 5.15 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के रूप में दिखाई देगा। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि 26 जुलाई को राष्ट्रीय राजधानी के प्रगति मैदान में दोबारा बनाए गए अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी एवं सम्मेलन केंद्र परिसर (आईईसीसी) ‘भारत मंडपम’ राष्ट्र को समर्पित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि निश्चित रूप से आने वाले वर्षों में वृद्धि की रफ्तार और तेज होगी और भारत दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा। इस दावे की तार्किकता है कि क्योंकि जापान की अर्थव्यवस्था स्थिर हो चुकी है और जर्मनी की अर्थव्यवस्था धीमी गति से बढ़ रही है।
यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (यूएनईएससीएपी) की डिजिटल एवं टिकाऊ व्यापार सुविधा संबंधी रिपोर्ट-2023, इनवेस्को ग्लोबल की ‘सोवरेन वेल्थ फंड निवेश रिपोर्ट-2023’, निवेश बैंक गोल्डमैन सैक्स की ‘भारत की आर्थिक संभावना रिपोर्ट 2023’ को भारत की बढ़ती हुई आर्थिक, वित्तीय और निवेश अहमियत को रेखांकित करते हुए दिखाई दे रही हैं। संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक आयोग की डिजिटल एवं टिकाऊ व्यापार सुविधा संबंधी रिपोर्ट में भारत 140 देशों को पीछे छोड़ते हुए दुनिया में आगे पहुंच गया है।
इनवेस्को ग्लोबल की रिपोर्ट के मुताबिक सोवरेन वेल्थ फंड के निवेश को लेकर दुनिया के 142 मुख्य निवेश अधिकारियों ने भारत को पहली पसंद बताया है। इनवेस्को के अध्ययन के मुताबिक भारत की कारोबारी व राजनीतिक स्थिरता में बढ़ोतरी हो रही है जो उसका मजबूत पक्ष है। राजकोषीय घाटा कम हो रहा है और राजस्व संग्रह में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसके अलावा भारत की आबादी, नियामक पहल और सोवरेन निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल से भी भारत को निवेश की पहली पसंद बनने में मदद मिली है। विकासशील देशों में निवेश के लिए अब चीन नहीं बल्कि भारत निवेशकों की पहली पसंद बन गया है।
इसी तरह निवेश बैंक गोल्डमैन सैक्स द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक चूंकि भारत की 1.4 अरब की आबादी दुनिया की सबसे बड़ी आबादी बन गई है, इसलिए भारत की जीडीपी में प्रभावी रूप से विस्तार होने का अनुमान है। अनुमान लगाया कि अगले 20 वर्षों में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत का निर्भरता अनुपात सबसे कम होगा। यह वास्तव में भारत के लिए विनिर्माण क्षमता स्थापित करने, सेवाओं में वृद्धि जारी रखने, बुनियादी ढांचे के विकास को जारी रखने के मामले में सही होने की खिड़की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के लिए नवाचार और बढ़ती श्रमिक उत्पादकता महत्वपूर्ण होने जा रही है। पूंजी निवेश भी भविष्य में विकास का एक महत्वपूर्ण चालक होगा। बढ़ती आय और गहरे वित्तीय क्षेत्र के विकास के साथ, अनुकूल जनसांख्यिकी के कारण भारत की बचत दर बढ़ने की उम्मीद है।
इसमें कोई दो मत नहीं है कि देश की अर्थव्यवस्था के तेजी से आगे बढ़ाने में बुनियादी ढांचे के निर्माण में आई क्रांति अहम भूमिका निभा रही है। पिछले लगभग एक दशक में आधुनिक बुनियादी ढांचे के निर्माण पर 34 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। उद्योग-कारोबार को आसान बनाने के लिए 1,500 पुराने कानूनों और 40 हजार अनावश्यक अनुपालन को समाप्त किए जाने की अहम भूमिका है।
इस समय भारत को एक वैश्विक डिज़ाइन और विनिर्माण केंद्र में बदलने के लिए मेक इन इंडिया 2.0, मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों के लिए तकनीकी समाधान को बढ़ावा देने के लिए उद्योग 4.0, स्टार्टअप संस्कृति को उत्प्रेरित करने के लिए स्टार्टअप इंडिया, मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी अवसंरचना परियोजना के लिए पीएम गति शक्ति और उद्योगों को डिजिटल तकनीकी शक्ति प्रदान करने के लिए डिजिटल इंडिया जैसी सफल पहल भारत चतुर्थ औद्योगिक क्रांति की दिशा में आगे बढ़ रहा है। भारत कारोबार सुगमता के लिए रणनीतिक रूप से और तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस परिप्रेक्ष्य में लोकसभा ने जिस जन विश्वास (प्रावधान संशोधन) विधेयक, 2023 को मंजूरी दी है, वह उद्योग-कारोबार बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होगा।
दरअसल, कई और प्रभावी कारण भारत के टिकाऊ विकास और कारोबार को गतिशील कर रहे हैं। करीब 60 फीसदी तक वृद्धि घरेलू खपत और निवेश के कारण होती है। भारतीय बाजार बढ़ती डिमांड वाला बाजार है। भारत का शेयर बाजार दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा शेयर बाजार है। देश में बढ़ते हुए मध्यम वर्ग की उत्साहवर्धक क्रयशक्ति और देश के स्थिर राजनीतिक नेतृत्व के कारण भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है।
हमें इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि जीडीपी के मामले में भारत वर्ष 2027 में दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य के साथ-साथ प्रति व्यक्ति आय के मामले में भी ऊंचाई प्राप्त करे। ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ आम आदमी की मुट्ठियों में भी अधिक विकास की खुशियां पहुंचते हुए दिखाई दे सकेंगी।
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लेखक अर्थशास्त्री हैं।

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