Gyan ki Baatein : व्रत में दिन के समय नहीं सोते... ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी?
चंडीगढ़, 3 अप्रैल (ट्रिन्यू)
Gyan ki Baatein : व्रत में दिन के समय नहीं सोने की परंपरा भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण धार्मिक और मानसिक अनुशासन से जुड़ी हुई है। जब हम व्रत रखते हैं तो यह न केवल शरीर को तप या उपवास देने का एक तरीका है बल्कि यह आत्मा को शुद्ध करने और मानसिक अनुशासन को सुदृढ़ करने का भी एक जरिया है। दादी-नानी भी अक्सर व्रत के दौरान सोने के लिए मना करती हैं।
धार्मिक और मानसिक अनुशासन
व्रत के दौरान दिन के समय सोना आलस्य को बढ़ावा और मानसिक स्थिति को कमजोर करता है जबकि व्रत रखने का उद्देश्य आत्म-नियंत्रण और संयम विकसित करना है। भारतीय संस्कृति में इसे एक "आलस्य की आदत" के रूप में देखा जाता है, जो व्यक्ति के मानसिक बल और समर्पण को कमजोर करता है। यही वजह है कि दादी-नानी दिन में ना सोने की सलाह देती हैं।
भगवान से जुड़ने का अवसर
व्रत का उद्देश्य अपने आप को धार्मिक कर्तव्यों और ईश्वर की भक्ति के प्रति समर्पित करना है। दिन में सोने से पूजा और ध्यान के समय में कमी हो सकती है, जो व्रत के मुख्य उद्देश्य से विपरीत है। व्रत में हमें ईश्वर से जुड़ने के लिए मानसिक शांति और एकाग्रता की चाहिए होती है, जो सोने से प्राप्त नहीं हो सकती।
मां दुर्गा हो जाती हैं नाराज
नवरात्रि व्रत को शक्ति और भक्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। वहीं, विष्णु पुराण के अनुसार, नवरात्रि व्रत के दौरान दिन में सोने से बचना चाहिए क्योंकि इससे व्रत की पवित्रता और एकाग्रता भंग हो सकती है। ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा भी नाराज हो जाती है। नवरात्रि व्रत शरीर को शुद्ध करने और मन को शुद्ध करने के लिए रखे जाते हैं।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।