Gyan Ki Baat : पूजा-पाठ के समय क्यों ढकना चाहिए सिर? जानिए दादी-नानी की परंपरा का वैज्ञानिक महत्व
चंडीगढ़ , 8 जनवरी (ट्रिन्यू)
Gyan Ki Baat : किसी भी पवित्र स्थान पर जाने के लिए कुछ खास नियम या दिशा-निर्देश होते हैं। उनमें से एक है पूजा के दौरान अपना सिर ढकना। चाहे आप मंदिर जाए, गुरुद्वारे या मस्जिद... सिर ढकना बहुत शुभ माना जाता है। अक्सर आपने भी दादी-नानी को पूजा के वक्त सिर ढकने के लिए टोकटे हुए देखा होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि पूजा के वक्त अपना सिर क्यों ढकते हैं?
शास्त्रों के अनुसार, हिंदू परंपरा में पूजा के दौरान सिर ढकना देवताओं के प्रति सम्मान, कृतज्ञता और मानवता का प्रतीक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे ध्यान केंद्रित करने और मानसिक शांति पाने में भी मदद मिलती है।
पूजा के दौरान सिर ढकना क्यों जरूरी है?
गरुण पुराण के अनुसार, पूजा या कोई भी अन्य शुभ कार्य करते समय सिर को ढकना चाहिए क्योंकि इससे मानसिक शांति और ध्यान बनाए रखने में मदद मिलती है। यह भी माना जाता है कि इससे आपका मन नहीं भटकता और आप पूरी तरह से पूजा पर ध्यान केंद्रित कर पाते हैं। इससे आपके जीवन में सौभाग्य आता है।
सिर ढकने के पीछे यह भी एक कारण है कि सभी मंदिर या किसी भी धार्मिक स्थान पर देवताओं का दिव्य आशीर्वाद लेने जाते हैं। मंदिर के अंदर की शांति आत्मा की ऊर्जा को जागृत करती है। अगर प्रभावी तरीके से नियंत्रित न किया जाए तो यह जागृत आत्मशक्ति कुछ ही सेकंड में ब्रह्मरंध्र के माध्यम से निकल सकती है।
यह भी कहा जाता है कि सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह की ऊर्जाएं होती हैं, जो पूजा के समय अपनी ओर आकर्षित भी करती है। नतीजतन, अपने सिर को ढकना बेहतर होता है, ताकि कोई नकारात्मक ऊर्जा हमें याद न दिलाए।
क्या कहता है विज्ञान?
सिर ढकने के पीछे न केवल धार्मिक मान्यता है बल्कि वैज्ञानिक कारण भी है। माना जाता है कि हवन के दौरान जलने वाली लपटें आपके शरीर के तापमान को बनाए रखती हैं, जब आप सिर ढककर बैठते हैं।
वैज्ञानिकों का मानना है कि सिर ढकने से आकाशीय विद्युत तरंगों से बचाव होता है, जो सिर दर्द, आंखों में तकलीफ, क्रोध, और तनाव जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।